Real Story of Cancer in Hindi: कैंसर, एक ऐसी बीमारी बन चुकी है, जिसकी एक तरफ रोजाना कोई न कोई इलाज या स्टडी सामने आती हैं, तो दूसरी तरफ मामलों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो लोग कैंसर के प्रति जागरूक हो गए हैं और कैंसर के लक्षणों की पहचान करके समय रहते डॉक्टर से सलाह ले रहे हैं। इसलिए मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके साथ-साथ, आए दिन वैज्ञानिकों द्वारा कैंसर का इलाज करने वाले डिवाइस भी खोजे जा रहे हैं। इस वजह से कैंसर के इलाज के बाद सर्वाइवल रेट भी बढ़ गया है। कुछ ऐसा ही कनाडा में रहने वाली हरजीत कौर के साथ भी हुआ। उन्हें दुर्लभ ब्लड कैंसर था, लेकिन स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (stem cell transplant) की वजह से जीवनदान मिला। उनकी कैंसर की जर्नी बहुत ही दर्दनाक थी, लेकिन उनके हौसले और हिम्मत ने न सिर्फ उन्हें इस मुश्किल वक्त से निकाला, बल्कि वह आज दुनियाभर में कैंसर के प्रति जागरुकता अभियान भी चला रही हैं। आइये जानते हैं, हौसलों से भरी उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी।
कैंसर का कैसे पता चला?
उस समय को याद करते हुए हरजीत कौर कहती हैं, “मैं 32 साल की थी और उस वक्त हमें कनाडा आए हुए करीब एक साल हो गया था। हम दोनों पति-पत्नी अपने परिवार को आगे बढ़ाने का सोच रहे थे और जीवन के नए सपनों में गुम थे। मेरे लिए वो पल जीवन के खूबसूरत पलों में से एक थे। साल 2019 में मुझे थकान, तेज बुखार, त्वचा में रैशेज होने लगे थे। साथ ही मेरा वजन भी काफी कम होने लगा था, लेकिन इसकी वजह समझ नहीं आ रही थी। फिर अगस्त 2019 में बॉडी चेकअप कराने पर पता चला कि मुझे हेमोफैगोसाइटिक लिम्फोहिस्टियोसाइटोसिस (HLH) के साथ सबक्यूटेनसियस पैनिकुलिटिस टी-सेल लिम्फोमा (Subcutaneous Panniculitis T-cell Lymphoma) नाम का स्टेज 4 कैंसर हुआ था। यह दुर्लभ किस्म का ब्लड कैंसर शरीर में तेजी से फैलता है। इसे भी पढ़ें:मेनोपॉज के दौरान संजू शर्मा को हुआ था ब्रेस्ट कैंसर, इलाज के साथ डाइट और योग करके खुद को किया फिट और हेल्दी
दुर्लभ कैंसर का पता चलने पर मानसिक स्थिति
इस बारे में बात करते हुए लगा कि हरजीत कौर वापस उस दौर में ही चली गई हैं और उस समय अपनी मानसिक स्थिति के बारे में बताते हुए कहती हैं, “जब डॉक्टर ने मुझे कहा कि आपको कैंसर है, तो एक पल के लिए मैं शॉक में चली गई। कल तक मैं अपना परिवार शुरू करने की सोच रही थी, और अब मुझे कैंसर से लड़ने की जद्दोजहद करनी पड़ेगी।(mental health in cancer patients) एक पल को लगा कि मेरे सारे सपने टूट गए, क्योंकि अपनों से बहुत दूर, एक अनजान देश में बैठकर अब अकेले ही कैंसर से लड़ाई लड़नी पड़ेगी। कई बार लगा कि क्या मैं इस दुर्लभ कैंसर को मात दे पाऊंगी? क्या मैं कभी अब नार्मल जिंदगी जी पाऊंगी? ऐसे बहुत से सवाल मेरे दिमाग में लगातार चल रहे थे, लेकिन फिर मैंने अपने मन को मजबूत किया और खुद को हिम्मत दी कि मुझे इससे लड़ना है और जीतना भी है। मैं कैंसर को खुद पर हावी नहीं होने दे सकती, और फिर मैंने कैंसर के खिलाफ पूरे हौसले के साथ खड़ी हो गई।”
कैंसर का इलाज कैसे हुआ?
हरजीत का कैंसर का इलाज काफी दर्दभरा था। उनकी कई कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी की गई ताकि उनकी स्थिति को स्थिर किया जा सके। इस बारे में हरजीत कौर ने बताया, “साल 2020 में कोविड-19 (Covid-19) अपने चरम पर था और मेरा इलाज भी अपने पूरे जोर से चल रहा था। इस दुख की घड़ी में मेरा भाई रोशनी की किरण बनकर आया। वह मेरा डोनर बना और मेरी स्टेम सेल थेरेपी हुई। कोरोना के कारण और स्टेम सेल थेरेपी के चलते मुझे 35 दिन तक बिल्कुल आइसोलेट कर दिया गया। इस दौरान शारीरिक दर्द के साथ मैं मानसिक रूप से भी परेशान थी, क्योंकि दर्द में अकेले कमरे में लेटे रहना किसी मानसिक प्रताड़ना से कम नहीं था। यह समय मेरे जीवन का सबसे दुखदायी समय था।” इसे भी पढ़ें: जंक-फूड्स के कारण प्रियंका को 23 साल की उम्र में हो गया था रेक्टल कैंसर, परिवार के सपोर्ट से दी कैंसर को मात
परिवार का सपोर्ट
हरजीत कौर ने कहा, “इस मुश्किल दौर में परिवार मेरा संबल बना। हालांकि वे मेरे पास नहीं थे, लेकिन उनके रोजाना वीडियो कॉल्स, प्रार्थना और इमोशनल सपोर्ट ने मुझे बहुत हिम्मत दी। मेरे भाई ने अपने स्टेम सेल्स दिए, जो उसका निस्वार्थ प्यार और त्याग का प्रतीक है। मैं जीवन में उसके इस समर्पण को कभी नहीं भुला पाऊंगी। (family support in cancer patients) ट्रांसप्लांट के दौरान मेरे माता-पिता के ऑडियो और वीडियो मैसेज आते थे। मेरे पति ने मुझे हमेशा हौसला दिया कि इस जंग को हम दोनों मिलकर जीत लेंगे। अपने पति के ये शब्द मेरे लिए बहुत बड़ा आसरा बने। मेरे परिवार ने जो कुछ किया, उसके लिए मैं अपनी फैमिली का तहे दिल से शुक्रगुजार करती हूं।”
कैंसर के इलाज के बाद जीवनशैली
हरजीत कौर के अनुसार इलाज के बाद मुझे कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
- मेनोपॉज जल्दी होना
- आंखों की रोशनी में जटिलताएं
- मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं
हरजीत ने अपने लाइफस्टाइल में बदलाव को लेकर बताया, “इन समस्याओं को काबू करने के लिए मैंने अपने लाइफस्टाइल में कई बदलाव किए हैं।”
- मेंटल हेल्थ पर काम करना- मैं रोजाना मेडिटेशन, जर्नलिंग (journaling) और आभार व्यक्त करती हूं।
- सेहतमंद आदतें - मैं संतुलित और पोषक तत्वों से युक्त भोजन को ही प्रेफर करती हूं।
- खुद पर काम करना - अब मैंने ‘न’ कहना सीख लिया है। मैं अपनी सेहत और रिकवरी का पूरा ध्यान रखती हूं।
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दुर्लभ ब्लड कैंसर के बाद जीवन जीने का नजरिया
हरजीत कहती हैं, “फिलहाल तो मुझे कैंसर का कोई लक्षण नहीं है। दुर्लभ और तेजी से बढ़ने वाले इस कैंसर के कारण मेरा लगातार पेट सीटी स्कैन (PET CT scan) और मेडिकल चेकअप होते रहते हैं। हालांकि मैंने कैंसर को मात दे दी है, लेकिन फिर भी डर बना रहता है कि कहीं यह दोबारा न आ जाए। लेकिन अब जीवन में पॉजिटिव हो चुकी हूं। कैंसर ने मेरे जीने का उद्देश्य ही बदल दिया है। मेरे सोचने और समझने का नजरिया बदल चुका है। अब मैं रोजाना अपने जीवन के प्रति आभार व्यक्त करती हूं।”
कैंसर ने जीवन का लक्ष्य दिया
हरजीत अपनी इस जर्नी को बताते हुए बहुत ही पॉजिटिव थीं और उन्होंने कहा कि कैंसर ने उन्हें जीवन जीने का मकसद दे दिया। अपने मिशन के बारे में कहती हैं, “अब मैं कैंसर के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ा रही हूं। इसी के चलते मैंने चाय एंड होप - साउथ एशियन कैंसर कम्युनिटी (Chai and Hope - South Asian Cancer Community) बनाई है, जिसमें कैंसर से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई से लोगों को रूबरू कराती हूं। लोगों में आज भी कैंसर को लेकर कई तरह के मिथक हैं, जिन्हें दूर करना बहुत जरूरी हैं, ताकि लोग समय रहते इलाज करवा सके और उनका जीवन बच सके।”
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कैंसर पीड़ितों के लिए मैसेज
हरजीत कहती हैं, “हालांकि कैंसर की वजह से मैंने बहुत कुछ खोया है, लेकिन इसके साथ मैंने जीने की कला सीखी है। मुझे अपने जीवन में क्या करना है, इसकी स्पष्टता मिल गई है। मैं सभी से कहती हूं कि आप अकेले नहीं हैं। जीवन में आशा रखें, पॉजिटिव रहें और हमेशा याद रखें कि कैंसर के बावजूद जीवन में आगे बढ़ना है। इस जंग को जीतकर जिंदगी को एक नए सिरे से पिरोएं और लोगों के लिए प्रेरणा बनें।“