
True Story of Breast Cancer Survivor in Hindi: आमतौर पर मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं होती हैं। इस समय महिलाएं गर्भाशय या अंडाशय (ओवरी) की परेशानियों से जूझ रही होती हैं। ऐसे में ब्रेस्ट से जुड़ी किसी भी तरह की दिक्कत मेनोपॉज के इस समय को और अधिक मुश्किल कर देती है। लेकिन संजू शर्मा के साथ तो मेनोपॉज के साथ ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी भी जुड़ गई। एक तरफ मेनोपॉज का समय और दूसरी तरफ ब्रेस्ट कैंसर का इलाज, संजू इन दोनों परेशानियों से बड़ी हिम्मत से लड़ी। हालांकि यह समय काफी दर्दभरा रहा, लेकिन उनकी बीमारी से लड़ने की शक्ति बहुत लोगों को प्रेरणा दे सकती है। इसलिए फरवरी में कैंसर से जुड़े हमारे कैंपेन ‘कैंसर फ्री इंडिया’ के अंतर्गत हम आपके लिए ग्रेटर नोएडा की रहने वाली संजू शर्मा की कैंसर से जुड़ी कहानी लेकर आए हैं।
ब्रेस्ट कैंसर का कैसे पता चला?
संजू शर्मा उस वक्त को याद करते हुए कहती हैं, “ दरअसल, मैंने 20-25 साल बाद दोबारा पढ़ने का सोचा और खुद को ओवेरेयिन कैंसर में पीएचडी के लिए रजिस्टर करा दिया। लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि जो मैं पढ़ रही हूं, वही मुझे झेलना भी पड़ेगा। यह बात साल 2023 की है, मैं 51 साल की हो गई थी। उस समय मुझे अंदाजा था कि यह समय मेरे मेनोपॉज का है। इन दिनों मुझे बहुत ज्यादा ब्लींडिग होने लगी। इस वजह से मैंने डॉक्टर को दिखाया, तो उन्होंने दवाई देकर मुझे तसल्ली दी कि यह मेनोपॉज की वजह से है। लेकिन समस्या यह थी कि ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो रही थी, इसलिए डॉक्टर ने चेकअप कराने की सलाह दी।”
संजू कैंसर के लक्षणों को बताते हुए कहती हैं, “उस दौरान मुझे दाएं हाथ में काफी सूजन आ गई थी। मुझे कोई चोट नहीं लगी ती, फिर भी मुझे बहुत ज्यादा दर्द होता था। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि यह दर्द क्यों हो रहा है। परिवार ने कहा कि ड्राइव करने की वजह से हो सकता है। मैं कई सालों से गाड़ी ड्राइव कर रही थी, लेकिन कभी हाथ में सूजन जैसी कोई समस्या नहीं आई थी। कई बार मुझे दायीं तरफ की ब्रेस्ट में 5-10 सैंकेड के लिए चुभन महसूस होती थी। मुझे ब्रेस्ट में गांठ नहीं थी, लेकिन मुझे दर्द ऐसा होता है कि जैसे कोई इंजेक्शन लगा रहा हो। यह दर्द रेगुलर नहीं था। दायीं तरफ की ब्रेस्ट का रंग भी बदलने लगा था। इन लक्षणों को देखकर मुझे लगा कि शायद मुझे ब्रेस्ट में कोई तो समस्या है, लेकिन जब टेस्ट हुए तो पता चला कि मुझे स्टेज 1 ब्रेस्ट कैंसर है।”
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ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
संजू को 10 नवंबर 2023 को कैंसर का पता चला और 14 नवंबर को सर्जरी भी हो गई। इलाज के बारे में संजू ने बताया, “जैसे ही मुझे ब्रेस्ट कैंसर का पता चला, तुरंत ही मैंने सर्जरी कराने का फैसला ले लिया। इसके बाद 8 कीमोथेरेपी और 15 रेडिएशन थेरेपी हुई। हालांकि शुरुआत में मैं थोड़ा परेशान हो गई थी, लेकिन फिर लगा कि मुझे निराश होने की बजाय इलाज के बारे में सोचना और जल्द से जल्द ठीक होना है। इलाज को मैंने खुद पर कभी हावी नहीं होने दिया। सर्जरी के तुरंत बाद मैं कांफ्रेस में भी शामिल हुई। मैं खुद ही अकेले कीमोथेरेपी के लिए भी चली जाती थी। मैं कभी इस बीमारी को लेकर मानसिक रूप से कमजोर नहीं हुई। हालांकि कुछ कीमोथेरेपी में मुझे तकलीफ हुई, लेकिन इस दौरान मैंने अपनी डाइट का पूरा ख्याल रखा।”
कीमोथेरेपी के दौरान डाइट
संजू ने कहा, “मैंने फूड न्यूट्रिशन में मास्टर किया है, तो मुझे पता है कि कीमोथेरेपी के बाद डाइट कितनी महत्वपूर्ण है। इस दौरान अक्सर लोग अपना खाना छोड़ देते हैं और सिर्फ दलिया या खिचड़ी ही खाते हैं। फल-सब्जियां खाना बंद कर देते हैं, लेकिन मैंने अपनी डाइट पर पूरा ध्यान दिया। मैं खाने को तरल बनाकर लेती थी। मैं गर्म पानी पीती थी और दिन में कम से कम 3 लीटर पानी पीती थी। कीमोथेरेपी के दौरान मैंने सब विटामिन और जरूरी पोषक तत्व अपने भोजन से ही लिया। मैंने सिर्फ कैल्शियम की टैब्लेट ली थी। इसके अलावा किसी भी तरह की और कोई मल्टी विटामिन दवाई नहीं ली। मैंने अपने खाने पर पूरा ध्यान दिया।”
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ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद रखा ध्यान
संजू कहती हैं, “सर्जरी के बाद मेरे हाथ में दर्द रहने लगा था। मैंने फिजियोथेरेपी लेनी शुरू की, लेकिन फिर मुझे लगा कि न सिर्फ हाथ का, बल्कि मुझे अपने पूरे शरीर का ध्यान रखने की जरूरत है। मैं पहले स्विमिंग करती थी, तो मैंने सर्जरी के बाद फिर से स्विमिंग की क्लासेज जॉइन कर ली। मैं एक-दो घंटे तक स्विमिंग करने लगी। इससे न सिर्फ मेरे हाथ को आराम मिला, बल्कि पूरा शरीर काफी हद ठीक हुआ। मैं रोजाना योग करती हूं। इससे मेरे शरीर में बहुत लचीलापन आ गया है।”
परिवार का पूरा सपोर्ट मिला
इस समय संजू को परिवार का पूरा सहयोग मिला। अपने इलाज के दौरान होने वाली मुश्किलों को संजू ने परिवार की मदद से ही पार किया। इस दौरान एक वाकया के बारे में बताते हुए संजू ने कहा, “5वीं कीमो के बाद मेरी तबीयत थोड़ी ज्यादा खराब हो गई थी। बेटी मुझे खाना खिलाती और ध्यान रखती, लेकिन तीसरे दिन बड़ी मायूस होकर कहती कि मम्मी, तीन दिन से घर में कोई हंसा ही नहीं है। आप उठो और थोड़ा हमारे साथ बैठो। मेरी बेटी ने मुझे सहारा देकर ड्राइंग रूम में सोफे पर बिठाया। बच्चों और पति ने मिलकर खूब बातें की और सभी ने मुझे बहुत हंसाया। मैं उस दिन बहुत हंसी और लगा कि मैं काफी हद तक ठीक हूं। परिवार का सपोर्ट हमेशा बीमारी के दर्द को कम कर देता है।”
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कैंसर से जूझ रहे लोगों के लिए संजू का मैसेज
कैंसर को हरा चुकी संजू शर्मा सभी लोगों को लिए प्रेरणा हैं, क्योंकि इलाज के दौरान जिस तरह से उन्होंने खुद को मेंटली और फिजिकली मजबूत रखा, वह काबिले तारीफ है। वह सभी से कहती हैं, “किसी भी तरह की समस्या हो, जीवन में कभी हार मत मानो। यह हमेशा याद रखें कि यह जीवन कभी नहीं रुकने वाला, तो आप इस रास्ते पर खुशी-खुशी चलें। दुख-दर्द को लेकर मत बैठें, बस हिम्मत करके उसका समाधान सोचें। मेरा पूरा विश्वास है कि रात के बाद सुबह जरूर होती है।”
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