Myths of Child Immunization: जैसे ही शिशु का जन्म होता है, उसका वैक्सीनेशन शुरू हो जाता है, जो तकरीबन 10 साल की उम्र तक चलते रहते हैं। दुनियाभर में बच्चों का वैक्सीनेशन प्रोग्राम इस उद्देश्य से चलाया जाता है, ताकि बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सके। वैक्सीनेशन समय पर लगाकर बच्चों को बीमारियों से बचाया जा सकता है, लेकिन भारत में अब भी लोगों के मन में वैक्सीनेशन को लेकर कई तरह के मिथ फैले हुए हैं। इसी वजह से कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जिसमें माता-पिता अपने बच्चों को वैक्सीनेशन नहीं लगवाते। इन्हीं मिथकों की सच्चाई जानने के लिए हमने हैदराबाद के सिटिजन स्पेशलिटी अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. किरन कुमार दामेरा (Dr. Kiran Kumar Damera, Neonatologist & Pediatrician, Citizens Specialty Hospital, Hyderabad) से बात की।
मिथ: शिशु को एक से ज्यादा वैक्सीन एक साथ देने पर हानिकारक साइड इफैक्ट्स हो सकते हैं।
सच्चाई: डॉ. किरन कुमार कहते हैं, “सभी वैक्सीन सुरक्षा के लिहाज से पूरी तरह से चेक किए जाते हैं। वैक्सीन की व्यापक रिसर्च की जाती है। इसके बाद ही शिशुओं को वैक्सीन लगाने की परमिशन दी जाती है। एक की समय पर एक से ज्यादा वैक्सीन देना वैज्ञानिक तौर पर सुरक्षित साबित हुए हैं। इसलिए ये कहना गलत है कि इससे शिशु की इम्युनिटी कमजोर होती है, बल्कि समय पर वैक्सीन देने से कई गंभीर बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। एक साथ वैक्सीन देने से क्लिनिक के विजिट भी कम होते हैं।”
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मिथ: जिन बच्चों को दुर्लभ बीमारियां हैं, उन्हें वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है।
सच्चाई: डॉ. किरन के अनुसार, जिन बच्चों को दुर्लभ बीमारियां होती है, उनका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है। ऐसे में उन्हें संक्रमण होने जैसी जटिलताओं का रिस्क बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस स्थिति में वैक्सीनेशन देना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। हालांकि, दुर्लभ बीमारियों के केस में शिशुओं के वैक्सीनेशन शैड्यूल में बदलाव हो सकते हैं, लेकिन यह भी शिशु की कंडीशन देखकर किए जाते हैं। इसके लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना बहुत जरूरी है।
मिथ: ब्रेस्टफीड कर रहे शिशु के लिए वैक्सीन की जरूरत नहीं है, क्योंकि मां के दूध से सुरक्षा मिल रही है।
सच्चाई: डॉ. किरन कहते हैं, “यह सच है कि ब्रेस्टफीडिंग से शिशु को इम्युनिटी और पोषण दोनों मिलता है, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि यह वैक्सीनेशन का विकल्प हो सकता है। वैक्सीन शिशु के इम्यून सिस्टम को लंबे समय तक गंभीर बीमारियों से बचाने में सक्षम होते हैं। ब्रेस्टफीड से यह मुमकिन नहीं है। इसलिए मैं सभी पैरेंट्स से अपील करूंगा कि अपने शिशु को समय पर वैक्सीन जरूर लगवाएं।”
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मिथ: वैक्सीन देरी से लगवाने पर शिशु के स्वास्थ्य पर ज्यादा असर नहीं पड़ता।
सच्चाई: इस बारे में डॉ. किरन कहते हैं कि वैक्सीन को देरी से लगवाने पर शिशु को कई तरह के संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। खसरा, काली खांसी और पोलियो जैसी बीमारियां शिशुओं के लिए जानलेवा हो सकती हैं। इसलिए हमेशा शिशुओं को वैक्सीनेशन उनके शैड्यूल पर ही लगवाने चाहिए। समय पर वैक्सीन लगवाने से उन्हें पूरी सुरक्षा मिलती है।
मिथ: पहले लोग वैक्सीनेशन नहीं कराते थे, फिर भी उनकी बीमारियों के प्रति इम्युनिटी ज्यादा थी।
सच्चाई: डॉ. किरन कहते हैं, “पुराने जमाने में जब लोग वैक्सीन नहीं लगवाते थे, तो वह कई तरह की संक्रमित बीमारियों के कारण बीमार, विकलांग हो जाते थे। कई बार उन लोगों की मृत्यु का कारण भी संक्रमण होता था। बीमारियों की चपेट में आने के कारण कई शिशु बाल अवस्था तक पहुंच नहीं पाते थे। वैक्सीन की वजह से बच्चों में ये जोखिम बहुत कम हुआ है और बच्चे सेहतमंद जिंदगी जी रहे हैं। बीमारी के संपर्क में आकर उस संक्रमण से इम्युनिटी मिलना जोखिमभरा हो सकता है। इसकी बजाय वैक्सीन से सुरक्षित, भरोसेमंद और नियंत्रित तरीका है।“
मिथ: वैक्सीनेशन के कारण बच्चों को ऑटिज्म जैसी कई दुर्लभ बीमारियां ज्यादा हो रही हैं।
सच्चाई: डॉ. किरन कहते हैं कि विज्ञान में कई तरह की रिसर्च हो चुकी है, जिसमें वैक्सीन से ऑटिज्म या किसी भी तरह की बीमारी होने का कारण नहीं मिला है। यह मिथ लोगों के बीच कुछ गलत अध्ययनों की वजह से फैला है, लेकिन बड़े पैमाने पर की गई रिसर्च से पता चलता है कि ऑटिज्म या किसी भी तरह की दुर्लभ बीमारी का वैक्सीन से कोई लिंक नहीं है।
मिथ: जो बीमारियां देश से खत्म हो चुकी हैं, उनके लिए वैक्सीन लगवाने की कोई जरूरत नहीं है।
सच्चाई: डॉ. किरन कहते हैं, “चाहे बीमारी दुर्लभ हो या फिर स्थानीय, अगर वह देश में खत्म हो गई है, तो भी अंतरराष्ट्रीय ट्रेवल के माध्यम से देश में वापस आ सकती है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब तक बीमारी खत्म नहीं होती, तब तक वैक्सीन लगवाने की जरूरत है। इसलिए देश में बीमारी खत्म होने के बावजूद वैक्सीन लगवाना लगातार जारी रखना चाहिए।
FAQ
जन्म के समय कौन-कौन से टीके लगते हैं?
जन्म के समय शिशु को बीसीजी (BCG) हेपेटाइटिस बी और ओरल पोलियो वैक्सीन दी जाती है।बीसीजी का पूरा नाम क्या है?
सीजी का पूरा नाम बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (Bacillus Calmette-Guérin) है। इस वैक्सीन को शिशुओं को टीबी से बचाने के लिए दिया जाता है।बच्चों के लिए सबसे दर्दनाक टीका कौन सा है?
वैक्सीनेशन में डीटीपी (DTP) के टीके से शिशु को बुखार, दर्द, सूजन होती है। कई मामलों में शिशु को उल्टी भी आती है।