
Lung Cancer Complications in Hindi: आजकल फेफड़ों का कैंसर सिर्फ सिगरेट पीने की वजह से नहीं हो रहा, बल्कि इसका कारण प्रदूषण और सेकेंड हैंड स्मोकिंग से भी हो सकता है। इसलिए फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में मृत्यु का प्रमुख कारण बनता जा रहा है, लेकिन सबसे चिंता की बात तो यह है कि फेफड़ों का कैंसर फेफड़ों तक ही सीमित नहीं रहता। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह पूरे शरीर में फैल सकता है। इससे रोगी को कई तरह की समस्याएं हो सकती है और इस बारे में हमने आर्टा ऑफ हीलिंग कैंसर के ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा (Dr. Mandeep Singh Malhotra, Oncologist, Art of Healing Cancer) से बात की।
लंग कैंसर से होने वाली दिक्कतें
डॉ. मनदीप कहते हैं कि अगर किसी को लंग से जुड़े लक्षण नजर आते हैं, उन्हें तुरंत डॉक्टर से मिलकर इलाज शुरू कराना चाहिए ताकि कैंसर की जटिलताओं से बचा जा सके।
सांस लेने में दिक्कत
फेफड़ों का कैंसर बढ़ने पर लंग का काम करना कम हो जाता है। कभी-कभी कैंसर के कारण फेफड़ों के चारों ओर तरल पदार्थ भर जाता है, जिससे रोगी को लगातार सांस फूलने की शिकायत होती है। धीरे-धीरे हल्की-हल्की एक्टिविटी करने से भी मरीज को थकान और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। इसके लिए जरूरी है कि समय-समय पर फेफड़ों की जांच करानी चाहिए। डॉक्टर ने जो भी दवाइयां लेने की सलाह दी है, उसे समय पर लें और फॉलोअप जरूर लें।
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लगातार खांसी और खून आना
दरअसल, लंग कैंसर की वजह से सांस लेने के पूरे सिस्टम को नुकसान पहुंचता है। इस वजह से मरीज को लगातार खांसी आने लगती है और खांसी में खून की दिक्कत भी आ सकती है। खांसी में खून आने से मरीज को थकान और कमजोरी की समस्या देखने को मिल सकती है। अगर लगातार खांसी रहे, तो मरीज को आराम करने की सलाह दी जाती है। रोगी को प्रदूषण से जरूर बचना चाहिए।
इंफेक्शन का रिस्क
कैंसर की वजह से फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और इस वजह से मरीज को बार-बार निमोनिया या अन्य इंफेक्शन हो सकता है। इससे इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और शरीर इंफेक्शन को लेकर बहुत ज्यादा संसेटिव हो जाता है। मरीज को इससे बचने के लिए हाथों की सफाई रखनी चाहिए। चेहरे पर मास्क पहनना चाहिए। डॉक्टर ने जो वैक्सीनेशन बताए हैं, उन्हें समय पर लेना चाहिए। लंग कैंसर के मरीजों को भीड़भाड़ वाली जगहों से बचना चाहिए।
लंग कैंसर का पूरे शरीर में फैलना
जैसे-जैसे कैंसर शरीर में बढ़ता है, तो कैंसर की गांठ भी मरीज की हड्डियों, दिमाग और लिवर में फैल जाती है। इसे मेटास्टेटिक (Metastasis) स्टेज कहा जाता है। इस स्थिति में मरीज को तेज दर्द, सिरदर्द, दौरे, पीलिया या हड्डियों में टूट-फूट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह स्थिति काफी गंभीर होती है, इसलिए रोगी को रेगुलर MRI, CT Scan और ब्लड टेस्ट कराने चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी लेनी चाहिए।
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खून में थक्के जमना
लंग कैंसर में मरीज के शरीर में खून के थक्के जमने का रिस्क काफी ज्यादा बढ़ जाता है। इस वजह से मरीज को लकवा होने का भी रिस्क रहता है। कई मामलों में मरीज को हार्ट अटैक या हार्ट की बीमारियां भी हो सकती है। इसके लिए डॉक्टर ब्लड थिनर की दवाइयां दी जाती है। साथ ही मरीज को हार्ट से जुड़ी बीमारियों की जांच भी रेगुलर कराते रहना चाहिए।
निष्कर्ष
डॉ. मनदीप कहते हैं कि फेफड़ों के कैंसर में शुरुआती लक्षणों की पहचान, समय पर उपचार और लाइफस्टाइल में बदलाव रोगी की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, रोगी को स्मोकिंग और प्रदूषण से बचना चाहिए साथ ही पौष्टिक डाइट और हाइड्रेशन जरूरी है। मरीज को डॉक्टर की सलाह लेकर लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव करने चाहिए। अगर किसी मरीज को खांसी, सांस फूलने, दर्द या खून आने लगे, तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
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Current Version
Oct 07, 2025 15:50 IST
Modified By : Aneesh RawatOct 07, 2025 15:45 IST
Published By : Aneesh Rawat