
Blood Clot in Lungs: कई लोगों को सीने में दर्द, सांस फूलने या हार्ट बीट बढ़ने की समस्या होने लगती है, तो भी वे इसे इग्नोर कर देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि थकान की वजह से हो रहा है, तो कुछ लोगों को इसका कारण स्ट्रेस भी हो सकता है। अगर किसी को बार-बार ये समस्याएं हो, तो इसे नजरअंदाज करने की बजाय तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। दरअसल, यह लक्षण कभी-कभी एक गंभीर समस्या का संकेत होते हैं, जिसे मेडिकल भाषा में पुल्मोनेरी इम्बोलिस्म (Pulmonary Embolism) कहा जाता है। इसमें शरीर में बने खून के थक्के फेफड़ों की नसों में जाकर फंस जाते हैं। इससे ब्लड फ्लो रुक जाता है और शरीर में आक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके बनने के क्या कारण होते हैं, यह जानने के लिए हमने बीएलके मैक्स सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के चेस्ट और रिस्पिरेटरी डिसीज विभाग के प्रिंसीपल डायरेक्टर और एचओडी डॉ. संदीप नायर (Dr. Sandeep Nayar Principal Director & HOD - Chest & Respiratory Diseases, BLK Max Super Speciality Hospital) से बात की।
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फेफड़ों में खून के थक्के बनने के कारण
डॉ. संदीप नायर कहते हैं, “ पैरों की नसों में कभी-कभी खून का थक्का बन जाता है, जिसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis (DVT) कहते हैं। जब यह थक्का टूटकर खून के साथ ऊपर की ओर फेफड़ों तक पहुंचकर वहां की नस को ब्लॉक कर देता है, तो इसे पुल्मोनेरी इम्बोलिस्म (Pulmonary Embolism) कहा जाता है। इस ब्लॉकेज होने से फेफड़ों में खून पहुंचना कम हो जाता है, शरीर को कम ऑक्सीजन मिलती है, सांस फूलने लगती है और मरीज की कंडीशन खराब होने लगती है। आमतौर पर इसे मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है।”

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फेफड़ों में थक्के बनने के लक्षण क्या है?
डॉ. संदीप कहते हैं कि फेफड़ों में थक्के बनने के लक्षण अचानक शुरू होते हैं और तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए इसके लक्षणों की जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है।
- चलते-फिरते या आराम करते हुए भी बिना वजह सांस फूलने लगे, तो इसे हल्के में न लें।
- खासकर गहरी सांस लेने पर चुभन जैसा दर्द महसूस होता है। इसे कई लोग हार्ट में दर्द होना समझ लेते हैं।
- हार्टबीट का अचानक तेज हो जाना भी फेफड़ों में थक्के बनने का कारण हो सकता है।
- अगर खांसी के साथ खून आए, तो तुरंत जांच जरूरी है।
- अगर कंडीशन खराब हो जाए, तो मरीज अचानक गिर जाते हैं। यह स्थिति जानलेवा हो सकती है, इसलिए तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
फेफड़ों में थक्के बनने का रिस्क किन्हें ज्यादा होता है?
डॉ. संदीप नायर बताते हैं कि यह समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन कुछ कंडीशन में यह रिस्क को कई गुना बढ़ा देता हैं।
- अगर कोई लगातार 6 घंटे बैठे रहता है, जैसे ऑफिस में बैठे रहना, लंबे सफर में लगातार बैठे रहना या ऑपरेशन या बीमारी में कई दिनों तक बेड रेस्ट करना। इन स्थितियों में पैरों की नसों में खून रुकना शुरू हो जाता है, जिससे DVT का खतरा बढ़ता है।
- अगर किसी को हड्डियों में फ्रैक्चर, खासकर पैरों या कूल्हों के, थक्का बनने का रिस्क बढ़ाते हैं।
- प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद शरीर में स्वाभाविक रूप से क्लोटिंग होने का रिस्क बढ़ जाता है।
- मेडिकल बीमारियां जैसे कैंसर, हार्ट फेलियर, इंफेक्शन, शरीर में क्लोटिंग होने पर थक्के बनने की संभावना ज्यादा होती है।
- जो लोग गर्भनिरोधक दवाइयां या हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराते हैं, उनमें खून के थक्के बनने की संभावना बढ़ाती हैं।
- मोटापा, स्मोकिंग और पानी कम पीना, ये तीनों फैक्टर खून को गाढ़ा बनाते हैं, जिससे थक्के की समस्या बढ़ती है।
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फेफड़ों में थक्के जमने पर जांच और इलाज कैसे होता है?
इस बारे में डॉ. संदीप नायर कहते हैं, “मरीज के चेकअप में CT Pulmonary Angiography (CTPA) सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट है। इसके अलावा, D-dimer, पैरों का USG/DOPPLER (DVT देखने के लिए) और ECG, X-ray कराया जाता है। इलाज करने के ये तरीके हो सकते हैं।”
- खून को पतला करने वाली दवाइयां दी जा सकती है। आमतौर पर शुरुआत में यही किया जाता है, जिसका इलाज कुछ महीनों तक चल सकता है।
- थ्रोम्बोलाइटिक दवाइयों की मदद से खून के रक्त के थक्कों को घोलने की कोशिश की जाती है, लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ गंभीर मामलों में ही किया जाता है।
- डॉक्टर कुछ मामलों में मरीज के IVC फिल्टर लगा देते हैं, जो बड़ी नसों से खून के थक्कों को फेफड़ों तक पहुंचने से रोकता है। यह तब इस्तेमाल किया जाता है, जब एंटीकोएगुलेंट दवाइयां असर नहीं करती।
- कुछ मामलों में थक्कों को हटाने के लिए सर्जरी करनी पड़ सकती है।
फेफड़ों में खून के थक्के बनने से कैसे बचें?
डॉ. संदीप नायर ने टिप्स दिए हैं, जिसे लोगों को अपनी लाइफस्टाइल में अपनाना चाहिए।
- रोजाना वॉक, स्ट्रेचिंग और योग से शरीर का ब्लड फ्लो सही रहता है।
- स्मोकिंग खून को गाढ़ा करती है और नसों को नुकसान पहुंचाती है। इसलिए इससे दूरी ही रखनी चाहिए।
- अगर सफर लंबा है, तो हर एक से दो घंटे में पैर जरूर हिलाएं। पैरों को स्ट्रेच करते रहें।
- डिहाइड्रेशन थक्का बनने का एक बड़ा कारण है। इसलिए रोजाना प्रचुर मात्रा में पानी पिएं।
- अगर कोई हाई रिस्क में हैं, तो उसे डॉक्टर इससे बचने की दवाइयां भी देते हैं।
निष्कर्ष
फेफड़ों में थक्के बनने से बचने के लिए अपने लाइफस्टाइल में बदलाव जरूर करने चाहिए और साथ ही अगर किसी भी तरह का शरीर में बदलाव महसूस होता है, तो डॉक्टर से चेकअप कराना बहुत जरूरी है। रोजमर्रा की
छोटी-छोटी सावधानियां रखकर इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। अगर लक्षण दिखते ही पहले घंटे में मेडिकल हेल्प मिल जाए, तो इलाज आसान हो जाता है और मरीज की जान बचाई जा सकती है।
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Dec 01, 2025 14:39 IST
Published By : Aneesh Rawat