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यंग लोगों में क्यों बढ़ रही है अर्थराइटिस की बीमारी ? डॉक्टर से जानें बचाव के टिप्स

Arthritis in Young People: युवाओं में अर्थराइटिस होने के कई कारण हैं, जिसके बारे में इस लेख में डॉक्टर ने विस्तार से बताया है और साथ ही बचाव के टिप्स भी दिए हैं।

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यंग लोगों में क्यों बढ़ रही है अर्थराइटिस की बीमारी ? डॉक्टर से जानें बचाव के टिप्स

Arthritis in Young People: पहले माना जाता था कि घुटनों या जोड़ों की समस्या सिर्फ बुजुर्गों में ही होती है, लेकिन अब तो यह परेशानी युवाओं में भी देखने को मिल रही है। दरअसल, आजकल युवाओं में बदलता लाइफस्टाइल और खानपान ने जीवन की क्वालिटी में काफी असर डाला है। इस वजह से 30 से 40 उम्र के लोगों में अर्थराइटिस की समस्या बहुत ज्यादा देखने को मिल रही हैं। यंग लोगों में जोड़ों में दर्द या अर्थराइटिस की समस्या के क्या कारण हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है, इस बारे में हमने दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट और ऑर्थोपेडिक्स विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. साइमन थॉमस ( Dr Simon Thomas, Senior Director, Robotic Joint Replacements and Orthopaedics, Max Super Speciality Hospital, Shalimar Bagh) से बात की। उन्होंने बताया कि युवाओं के रहनसहन में काफी बदलाव आया है, इस वजह से यह बीमारी अब सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गई है।


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क्यों बढ़ रही है युवाओं में अर्थराइटिस की समस्या?

डॉ. साइमन कहते हैं कि अर्थराइटिस का मतलब है कि जोड़ों का डीजेनेरेशन यानी घिसाव और सूजन (joint degeneration with inflammation) है। इसके कुछ ये कारण हो सकते हैं।

लाइफस्टाइल में बदलाव

आजकल लोग घंटों तक लैपटॉप या टीवी के सामने बैठे रहते हैं। जो लोग ऑफिस में लगातार 8-9 घंटे एक ही पॉजीशन में घंटों तक बैठते हैं, उन्हें अर्थराइटिस की समस्या हो सकती है। कई लोग एक ही पोजीशन में बैठकर घंटों तक लगातार मोबाइल पर स्क्रॉल करते रहते हैं। जो युवा बिल्कुल ही एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते, उन्हें भी ये समस्या होने का रिस्क बहुत ज्यादा रहता है। ये आदतें मांसपेशियों और जोड़ों के लचीलेपन को कम करती हैं, जिससे घुटनों या जोड़ों में डिजनरेशन तेजी से होने लगता है।

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जंक फूड और मोटापा

युवाओं के खानपान में काफी बदलाव आया है। ऑफिस में बैठकर या फिर टीवी देखते हुए रातभर चिप्स, बर्गर और पैकेज्ड फूड खाने की आदत के चलते वजन में लगातार बढ़ोतरी होती है। हाई शुगर और हाई कोलेस्ट्रॉल वाली डाइट के कारण मोटापा बढ़ता है, जिसका सीधा असर जोड़ों पर पड़ता है। ज्यादा वजन से घुटनों और हिप्स पर स्ट्रेस बढ़ता है, जो अर्थराइटिस की समस्या को बढ़ा देता है।

स्पोर्ट्स इंजरी और गलत रिहैबिलिटेशन

कई मामलों में युवाओं को अगर खेल-कूद या किसी भी शारीरिक एक्टिविटी के दौरान लगी चोट का सही इलाज न कराया जाए, या फिर रिहैबिलिटेट न किया जाए, तो वह लिगामेंट्स और कार्टिलेज को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है। इससे बहुत कम उम्र में ही अर्थराइटिस होने की संभावना बढ़ जाती है।

स्ट्रेस और नींद की कमी

आजकल युवाओं को स्ट्रेस बहुत ज्यादा रहता है और साथ ही देर रात तक मोबाइल चलाने की आदत के चलते नींद पूरी नहीं हो पाती। इसका असर शरीर के इम्यून सिस्टम पर पड़ता है और यह जोड़ों में सूजन और दर्द को बढ़ा सकते हैं।

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क्या है रुमेटॉइड अर्थराइटिस?

डॉ. थॉमस बताते हैं कि रुमेटॉइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम खुद ही अपने जोड़ों के कार्टिलेज को नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे लोगों को घुटनों या जोड़ों में दर्द होने लगता है। इसे पहचानने के लिए स्पेशल टेस्ट किए जाते हैं, जिसे डॉक्टर की सलाह पर कराना चाहिए। इसे कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर दवाइयां देते हैं।

युवाओं को अर्थराइटिस के कैसे बचाव करना चाहिए?

डॉ. थॉमस कहते हैं कि युवाओं अपनी रोजमर्रा की आदतों में कुछ सुधार करने चाहिए।

  1. एक्टिव रहना जरूरी है – रोजाना नियमित रूप से हल्की-फुल्की एक्सरसाइज, वॉक या योग जरूर करें।
  2. हेल्दी वजन रखें - अर्थराइटिस की मुख्य वजह मोटापा होता है, इसलिए वजन को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है।
  3. हेल्दी डाइट लें – वजन कंट्रोल करने के लिए अपने खाने-पीने पर ध्यान दें। खाना का पौष्टिक खाना खाएं। जंक फूड की जगह मौसमी फल, सब्जियां खाएं।
  4. खेलकूद करते समय सावधानी रखें – जो भी रोजाना खेलकूद में भाग लेते हैं, उन्हें चोट से बचने की जरूरत है। अगर खेलते हुए चोट लग जाए तो डॉक्टर से सही इलाज और रिहैब कराएं।
  5. समय पर डॉक्टर से सलाह लें - अगर चलते समय या सीढ़ियां चढ़ते-उतरते समय घुटनों में दर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करा लें और इलाज शुरू कर दें।

निष्कर्ष

डॉ. थॉमस जोर देते हुए कहते हैं कि अब अर्थराइटिस सिर्फ बुजुर्गों की समस्या नहीं रह गई है। जिन युवाओं का लाइफस्टाइल हेल्दी नहीं है, उन्हें जोड़ों में दर्द की समस्या बहुत जल्दी हो सकती है। इसलिए समय पर सावधानी बरतनी चाहिए और लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह लेने में लापरवाही न बरतें।

 

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  • Sep 30, 2025 15:33 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Sep 24, 2025 17:50 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Sep 24, 2025 17:49 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Sep 24, 2025 17:49 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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