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आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि दिनों दिन अर्थराइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। WHO की मानें, तो 2019 के एक आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब 528 मिलियन लोग अकेले ओस्टियोअर्थराइटिस का शिकार हैं। मौजूदा समय में यह आंकड़ा और ज्यादा बढ़ चुका है। ऐसे में यह सवाल जरूर उठता है कि आखिर अर्थराइटिस के मामले तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं? अर्थराइटिस के कारणों की बात करें, तो इसमें गहरी चोट लगना, ऑटोइम्यून कंडीशन, बढ़ती उम्र आदि शामिल हैं। हालांकि, यह अर्थराइटिस को मोटापे के साथ जोड़कर भी देखा जाता है। ऐसे में यह जान लेना बहुत जरूरी है कि मोटापा और अर्थराइटिस के बीच क्या कनेक्शन है? क्या मोटापे से जूझ रहे लोगों में अर्थराइटिस होने का रिस्क अधिक होता है? जानिए, इसी तरह की तमाम जरूरी बातें। इस बारे में जानने के लिए हमने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और हिलिंग टच क्लीनिक के ऑर्थोपेडिक सर्जन और स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट डॉ. अभिषेक वैश से बात की।
क्या मोटापे के कारण अर्थराइटिस हो सकता है?
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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार (NIH), "मोटापा और अर्थराइटिस का आपस में गहरा कनेक्शन है। ऐसा इसलि कहा जा सकता है, क्योंकि जब व्यक्ति का वजन ज्यादा होता है, इसका भार जोड़ों पर पड़ने लगता है। इस तरह से हड्डियां ही नहीं, ज्वाइंट्स भी धीरे कमजोर होने लगते हैं। अगर समय रहते अपने वजन को मैनेज न किया जाए, तो कहीं न कहीं अर्थराइटिस होने का रिस्क भी बढ़ने लगता है। वैसे भी जोड़ों पर अतिरिक्त वजन का दबाव बनने के कारण फैट टिश्यूज में सूजन आने लगती है, जिससे जोड़ों को नुकसान होने लगता है।"
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मोटापे के कारण अर्थराइटिस होने के मुख्य कारण- How Does Obesity Contribute To Arthritis
जोड़ों पर बढ़ता दबावः आपको यह पता ही होगा कि मोटापा कई गंभीर समस्याओं की जड़ बन सकता है। अगर वजन को कंट्रोल न किया जाए, तो एक समय बाद व्यक्ति के लिए चलना-फिरना भी मुश्किल होने लगता है। मोटापे के कारण अर्थराइटिस का जोखिम भी बढ़ जाता है। अर्थराइटिस फाउंडेशन की मानें, तो हमारे शरीर का अतिरिक्त वजन हमारे जोड़ों पर अतिरिक्त भार बढ़ा देता है, जो कि हमारे नीतंब, जोड़ और घुटनों के लिए कष्टकारी हो जाता है। यही दबाव जोड़ों को समय के साथ-साथ जोड़ों को कमजोर कर देता है।
डैमेज कार्टिलेजः मोटापे के कारण न सिर्फ चलने-फिरने या उठने-बैठने में दिक्कतें आती हैं। इसके साथ-साथ हमारी कार्टिलेज भी डैमेज हो सकती हैं। दरअसल, शरीर का अतिरिक्त भार जब जोड़ों पर पड़ता है, तो मूवमेंट के दौरान उनमें चोट लगने का रिस्क रहता है। यहां तक कि एक समय बाद यह ओस्टियोअर्थराइटिस में भी तब्दील हो सकती है।
जोड़ों से संबंधित समस्याः ध्यान रखें कि जैसे-जैसे वजन बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे शरीर के कई जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। इसमें पीठ के निचले हिस्से, पैरों, पीठ, घुटनों और अन्य जोड़ शामिल हैं। असल में, फैट टिश्यूज, खासकर विसरल फैट, इंफ्लेमेटरी केमिकल्स रिलीज करते हैं। इसे साइटोकिन्स कहा जाता है। ब्लड में घुलने के कारा यह जोड़ों के सूजन को बढ़ाती है, जिससे दर्द भी बढ़ने लगता है।
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अर्थराइटिस में वजन कम करने के फायदे
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दर्द में कमीः क्या आप जानते हैं कि अगर आप अपने शरीर का सिर्फ 10 फीसदी अतिरिक्त वजन कम करते हैं, तो इससे अर्थराइटिस के दर्द में भी कमी आने लगती है।
विकास की गति में कमीः जैसे-जैसे आप वजन कम करते हैं, तो दर्द कम होगा तथा अर्थराइटिस का विकास भी धीमा होने लगेगा। जाहिर है, यह स्थिति अर्थराइटिस के मरीजों के लिए अच्छी मानी जाती है।
जोड़ों पर कम दबावः जब आपका वजन कम हो जाता है, तो जोड़ों पर भी इसका असर कम पड़ने लगता है। ऐसे में चलने-फिरने में दिक्कतें कम आती हैं और और जोड़ों पर दबाव भी कम हो जाता है।
सूजन में कमीः वजन कम होते ही शरीर के किसी भी हिस्से में आई सूजन का स्तर भी कम हो जाता है। अर्थराइटिस के मरीजों को यह फायदा पहुंचाती है।
निष्कर्ष
वैसे तो अर्थराइटिस को हमेशा से ही बढ़ती उम्र की बीमारी माना जाता रहा है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति मोटापे का शिकार है, तो उन्हें अर्थराइटिस होने का रिस्क रहता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि अर्थराइटिस और मोटापे का गहरा कनेक्शन है। इसलिए, जरूरी है कि अगर किसी का वजन ज्यादा है, तो वे इसे कंट्रोल करने की कोशिश करें। ध्यान रखें कि अर्थराइटिस एक गंभीर समस्या है। एक बार अर्थराइटिस हो जाए, तो इसे रिवर्स नहीं किया जा सकता है। इस समस्या से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और खानपान की बुरी आदतें छोड़ दें और समय-समय पर अपनी जांच करवाएं।
All Image Credit: Freepik
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Current Version
Nov 05, 2025 19:15 IST
Published By : Anurag Gupta