
अर्थराइटिस या गठिया हड्डियों से जुड़ी एक समस्या है। यह समस्या आमतौर पर बुजुर्गों में देखी जाती है, लेकिन आजकल युवा अवस्था में भी लोग इसकी चपेट में आने लगे हैं। अर्थराइटिस होने पर हड्डियां कमजोर होने के साथ ही जोड़ों में सूजन भी बनी रहती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। इसके पीछे बहुत से कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। आइये डॉ. रिबेका पिंटो से जानते हैं पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इस बीमारी का ज्यादा जोखिम क्यों रहता है।
महिलाओं में क्यों होता है ज्यादा खतरा?
डॉ. रिबेका के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अर्थराइटिस होने का जोखिम ज्यादा इसलिए होता है क्योंकि भारत में महिलाओं का वजन पुरुषों की तुलना में ज्यादा होता है। अधिक वजन होना अर्थराइटिस के पीछे एक बड़ा कारण माना जाता है। कई बार महिलाओं में होने वाले हार्मोन इंबैलेंस भी अर्थराइटिस के खतरे को बढ़ाता है। शरीर में फैट ज्यादा होने से घुटनों, टखने और हिप्स पर अधिक वजन पड़ता है। इससे शरीर के इन अंगों पर ज्यादा भार पड़ता है, जिससे अर्थराइटिस या फिर जोड़ों में दर्द होने का जोखिम बढ़ता है।
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महिलाओं में अर्थराइटिस के अन्य कारण
- महिलाओं में अर्थराइटिस होने के पीछे अन्य कारण भी जिम्मेदार माने जाते हैं।
- महिलाओं में गर्भावस्था या फिर मेंस्ट्रुअल साइकिल होने पर उनमें हार्मोनल इंबैलेंस होता है, जिस कारण अर्थराइटिस का खतरा ज्यादा रहता है।
- महिलाओं में जोड़ कमजोर होने या फिर उम्र बढ़ना भी इस समस्या का एक बड़ा कारण माना जाता है।
- मेनोपॉज होने पर महिलाओं के एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने लगते हैं, जिससे अर्थराइटिस होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
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अर्थराइटिस से बचने के तरीके
- अर्थराइटिस से बचने के लिए आपको नियमित तौर पर एक्सरसाइज और व्यायाम करना चाहिए।
- इसके लिए आपको धूम्रपान और शराब पीने से परहेज करना चाहिए।
- ऐसे में आपको ब्लड शुगर लेवल के साथ-साथ वजन कंट्रोल में रखना चाहिए।
- इसके लिए हेल्दी डाइट लें। ऐसे में पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए।
- इससे बचने के लिए भरपूर नींद लें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
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