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उम्र बढ़ने पर घुटनों में लुब्रिकेशन क्यों घटता है? डॉक्‍टर से जानें

उम्र बढ़ने पर सिनोवियल फ्लूड घटने, कार्टिलेज घिसने और पोषण की कमी से घुटनों का लुब्रिकेशन कम होता है, जिससे जकड़न और दर्द बढ़ता है।
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उम्र बढ़ने पर घुटनों में लुब्रिकेशन क्यों घटता है? डॉक्‍टर से जानें


जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारे जोड़ों (Joints) की लचक और मजबूती धीरे-धीरे कम होने लगती है। घुटनों के जोड़ों में मौजूद लुब्रिकेशन, जिसे सिनोवियल फ्लूड (Synovial Fluid) कहते हैं, हड्डियों को घिसने से बचाता है और मूवमेंट को स्मूद बनाता है। लेकिन उम्र के साथ यह फ्लूड कम हो जाता है, जिससे घुटनों में जकड़न, दर्द और चलने-फिरने में दिक्कत बढ़ जाती है। डॉक्टर्स बताते हैं कि यह कमी केवल बढ़ती उम्र का असर नहीं है, बल्कि लाइफस्टाइल, पोषण और बढ़ता वजन भी इसके कारण हैं। अगर समय रहते सही उपाय न किए जाए, तो यह स्थिति ऑस्टियोअर्थराइटिस (Osteoarthritis) जैसी गंभीर समस्या का रूप ले सकती है। आइए जानते हैं कि उम्र के साथ घुटनों का लुब्रिकेशन क्यों घटता है और इससे बचने के ल‍िए क्‍या किया जा सकता है। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के अपोलो हॉस्‍प‍िटल के ऑर्थो ड‍िपार्टमेंट के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ इमरान अख्‍तर से बात की।

उम्र बढ़ने पर घुटनों में लुब्रिकेशन क्यों घटता है?- Ghutne Ka Greece Kyon Khatm Hota Hai

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1. सिनोवियल फ्लूड का कम बनना- Reduced Production of Synovial Fluid

उम्र बढ़ने के साथ शरीर के जोड़ों में प्राकृतिक रूप से लुब्रिकेंट फ्लूड का निर्माण धीमा हो जाता है। यह फ्लूड हड्डियों के बीच घर्षण को रोकता है, और इसकी कमी से मूवमेंट में रुकावट और दर्द महसूस होता है।

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2. कार्टिलेज का घिसना और डैमेज होना- Cartilage Wear and Damage

जोड़ों के बीच मौजूद कार्टिलेज, एक कुशन की तरह काम करता है। उम्र के साथ यह घिसने लगता है, जिससे हड्डियां सीधे आपस में रगड़ खाती हैं और लुब्रिकेशन की जरूरत और भी बढ़ जाती है।

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3. पोषण की कमी और डिहाइड्रेशन- Nutritional Deficiency and Dehydration

  • प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और हायल्यूरोनिक एसिड जैसे पोषक तत्व जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।
  • इनकी कमी और पर्याप्त पानी न पीने से सिनोवियल फ्लूड का लेवल घट जाता है।

4. वजन और निष्क्रिय जीवनशैली- Excess Weight and Sedentary Lifestyle

  • ज्‍यादा वजन घुटनों पर ज्यादा दबाव डालता है, जिससे लुब्रिकेशन जल्दी कम होने लगता है।
  • वहीं, लंबे समय तक निष्क्रिय रहने से सिनोवियल फ्लूड का सर्कुलेशन घटता है और जोड़ सख्त हो जाते हैं।

घुटनों में लुब्रिकेशन की कमी से कैसे बचें?- How To Prevent Decrease In Knee Lubrication

  • प्रोटीन और ओमेगा-3 से भरपूर डाइट लें। सोया, दालें, अखरोट जैसे फूड्स जोड़ों के लिए फायदेमंद होते हैं।
  • पर्याप्त पानी पिएं। डिहाइड्रेशन से सिनोवियल फ्लूड का लेवल घट सकता है, इसलिए रोज पर्याप्‍त पानी प‍िएं।
  • नियमित एक्सरसाइज करें। वॉकिंग, साइकि‍ल चलाना और स्ट्रेचिंग से जोड़ों में ब्लड सर्कुलेशन और फ्लूड प्रोडक्शन बेहतर होता है।
  • वजन को कंट्रोल रखें। ज्‍यादा वजन घुटनों पर दबाव डालता है और लुब्रिकेशन को तेजी से कम करता है।
  • कैल्शियम और विटामिन-डी लें। ये पोषक तत्व हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाए रखते हैं।
  • लंबे समय तक बैठने से बचें। बार-बार पोजीशन बदलें ताकि ज्‍वॉइंट्स एक्टिव रहें और सख्त न हों।
  • डॉक्टर से नियमित चेकअप कराएं। शुरुआती जकड़न या दर्द में अनदेखी न करें और जरूरत पड़ने पर चेकअप कराएं।

निष्कर्ष:
उम्र के साथ घुटनों का लुब्रिकेशन कम होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन सही डाइट, पर्याप्त हाइड्रेशन, नियमित व्यायाम और वज़न नियंत्रित रखकर इसे धीमा किया जा सकता है। अगर दर्द, जकड़न या सूजन लगातार बनी रहे तो डॉक्टर से सलाह लेकर सिनोवियल फ्लूड टेस्ट या जॉइंट हेल्थ चेकअप कराना जरूरी है, ताकि समय रहते इलाज शुरू हो सके और घुटनों की लचक बनी रहे।

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