
Rheumatoid Arthritis in Women: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे जोड़ों में दर्द की परेशानी भी होने लगती है। इसे आमतौर पर लोग आर्थराइटिस की समस्या कहते हैं और यह लाइफस्टाइल से जुड़ी हो सकती है। अगर शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपने जोड़ों पर ही हमला करने लग जाए, तो इसे ऑटोइम्यून रोग कहते हैं। जोड़ों की परेशानी बढ़ने की इस समस्या को रूमेटॉइट अर्थराइटिस करते हैं। इसमें जोड़ों में दर्द, सूजन, स्टिफनेस और जोड़ों के आकार (symptoms of rheumatoid arthritis) में बदलाव भी हो सकता है। ऑटोइम्यून की रूमेटॉइट अर्थराइटिस की समस्या आमतौर पर महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। इसके क्या कारण हैं और कैसे महिलाएं इसे मैनेज कर सकती है, यह सब जानने के लिए हमने पुणे के मणिपाल अस्पताल के जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. श्रीकांत मणिकट्टू (Dr. Shrikant Manikattu, Joint Replacement Surgeon, Manipal Hospital, Baner, Pune) से बात की।
महिलाओं को रूमेटॉइट अर्थराइटिस ज्यादा गंभीर होने के कारण
डॉ. श्रीकांत मणिकट्टू ने महिलाओं में रूमेटॉइट अर्थराइटिस होने के कई वैज्ञानिक कारण बताए हैं।
हार्मोनल फैक्टर्स
दरअसल, महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन का लेवल पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होता है। यह हॉर्मोन इम्यून सिस्टम को एक्टिव रखता है और शरीर को इंफेक्शन से बचाने में मदद करता है लेकिन यही एक्टिव इम्यून सिस्टम ऑटोइम्यून बीमारी का कारण भी बन सकता है। जब शरीर का इम्यून सिस्टम ज्यादा ही एक्टिव हो जाता है, तो वह अपने ही टिश्यू पर हमला करने लगता है। प्रेग्नेंसी के बाद या मेनोपॉज के दौरान जब हार्मोनल स्तर में बड़ा बदलाव आता है, तब रूमेटॉइड अर्थराइटिस के लक्षण अधिक गंभीर हो जाते हैं। इसी वजह से कई महिलाएं प्रेग्नेंसी के बाद या 40 की उम्र के बाद इस बीमारी की शिकार होती हैं।
महिलाओं में इम्यून सिस्टम का ज्यादा ही मजबूत होना
आमतौर पर इम्यून सिस्टम इंफेक्शन से जल्दी ठीक होने में मदद करता है, लेकिन अगर इम्यून सिस्टम ज्यादा ही एक्टिव हो जाए, तो यह शरीर को बाहरी इंफेक्शन समझकर उसी पर अटैक करने लगता है। इससे जोड़ों में दर्द, सूजन और स्टिफनेस बढ़ने लगती है। महिलाओं में यह प्रोसेस तेजी से होने लगता है और इस वजह से लक्षण ज्यादा ही गंभीर दिखाई देने लगते हैं। इसलिए कई बार महिलाएं छोटी उम्र में ही रूमेटॉइड अर्थराइटिस के लक्षण महसूस करने लगती हैं।
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जेनेटिक फैक्टर्स
कई रिसर्च के अनुसार, रूमेटॉइड अर्थराइटिस के का कारण HLA जीन ग्रुप होता है। महिलाओं में कुछ खास HLA-DR4 और HLA-DRB1 जीन वेरिएंट्स ज्यादा होते हैं, जो इस बीमारी की संभावना को बढ़ाते हैं। अगर परिवार में पहले से किसी महिला को यह रोग है, तो अगली जेनरेशन में यह रिस्क ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए अगर परिवार में किसी महिला को रूमेटॉइट अर्थराइटिस है, तो आगे वाली जनरेशन को लक्षणों पर खास ध्यान देना चाहिए।
विटामिन की कमी
डॉ. श्रीकांत कहते हैं कि भारत में बड़ी संख्या में महिलाओं में विटामिन D की कमी पाई जाती है। विटामिन D हड्डियों और जोड़ों को मजबूत रखने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी कंट्रोल में रखता है। अगर विटामिन D की कमी हो जाए, तो इससे न सिर्फ हड्डियां कमजोर होती हैं, बल्कि जोड़ों में सूजन और दर्द की संभावना भी बढ़ जाती है।
लाइफस्टाइल फैक्टर्स
जिन महिलाओं को थकावट, न्यूट्रिशन की कमी, नींद की कमी और स्ट्रेस होने के कारण रूमेटॉइड अर्थराइटिस को और गंभीर बना देते हैं। अगर शरीर लगातार थका हुआ और कमजोर होता है, तो ऑटोइम्यून एक्टिविटी ज्यादा बढ़ जाती है, जिससे जोड़ों में सूजन बढ़ती है।
लेट डायग्नोसिस या देर से इलाज
डॉ. मणिकट्टू बताते हैं कि भारत में अक्सर महिलाएं अपनी सेहत को लेकर बहुत ज्यादा लापरवाही बरतती हैं। घर परिवार की जिम्मेदारियों के बीच वे अपने दर्द या सूजन को नजरअंदाज कर देती हैं। जब तक महिलाएं डॉक्टर के पास पहुंचती हैं, तब तक उनके जोड़ों में परमानेंट नुकसान शुरू हो चुका होता है।
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रूमेटॉइड अर्थराइटिस में शुरुआती लक्षण
डॉ. श्रीकांत कहते हैं कि महिलाओं को रूमेटॉइड अर्थराइटिस से जुड़े लक्षणों पर शुरुआत में ही नजर रखनी चाहिए।
- सुबह उठते समय जोड़ों में अकड़न
- सूजन और दर्द
- थकावट या बुखार जैसा महसूस होना
रूमेटॉइड अर्थराइटिस से बचाव के लिए महिलाओं से जुड़ी सावधानियां
डॉ. श्रीकांत ने महिलाओं को कुछ खास टिप्स दिए हैं।
- जोड़ों का दर्द या सूजन को हल्के में न लें - अगर दर्द 4-6 हफ्तों से ज्यादा समय तक बना रहे, तो रूमेटोलॉजिस्ट या ऑर्थोपेडिक सर्जन से जांच करवाएं।
- विटामिन D और कैल्शियम रेगुलर लें - धूप में रहना, संतुलित आहार और सप्लीमेंट्स जोड़ों को मजबूत रखते हैं।
- एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाना - हल्की एक्सरसाइज, योग या फिजियोथेरेपी जोड़ों की मूवमेंट बनाए रखती है।
- स्ट्रेस कम करें - स्ट्रेस हार्मोन (cortisol) सूजन को बढ़ा सकता है, इसलिए मेडिटेशन या डीप ब्रीदिंग का अभ्यास करें।
- रेगुलर मेडिकल चेकअप कराना - शुरुआती डायग्नोसिस ही बीमारी की गंभीरता को कम कर सकता है।
निष्कर्ष
महिलाओं में रूमेटॉइड अर्थराइटिस के लक्षण गंभीर होने के कई कारण होते हैं। इसलिए अगर किसी महिला को जोड़ों में बार-बार दर्द या सूजन महसूस होती है, तो उसे अनदेखा न करें। समय पर जांच और सही इलाज कराने से जोड़ों को बचाया जा सकता है और जीवन की क्वालिटी को बेहतर रखा जा सकता है।
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Oct 09, 2025 07:03 IST
Published By : Aneesh Rawat