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Menopause Weak Joints: मेनोपॉज एक ऐसी अवस्था है, जिसमें महिलाओं को पीरियड्स होना पूरी तरह बंद हो जाते हैं। मेनोपॉज का मतलब होता है कि महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन काम करना बंद कर चुके हैं और वे अब कभी भी कंसीव नहीं कर सकेंगी। मेनोपॉज एक नेचुरल प्रक्रिया है, इसलिए इससे घबराना नहीं चाहिए। हालांकि, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे उन्हें हॉट फ्लैशेज होने लगते हैं, उन्हें हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं, एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। यहां एक सवाल जरूर उठता है कि क्या मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं? आखिर इनका आपस में क्या कनेक्शन है? आइए, Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता जानते हैं इससे जुड़ी तमाम जरूरी बातें।
क्या मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं?- Does Menopause Cause Weak Joints
एनसीबीआई की एक रिपोर्ट की मानें, तो मेनोपॉज और मस्कुलोस्केलेटल स्वास्थ्य आपस में गहरा कनेक्शन है। मस्कुलोस्केलेटल, मसल्स, हड्डियां, ज्वाइंट्स और कनेक्टिव के बेहतर स्वास्थ्य की ओर संकेत करता है। कहने का मतलब है कि मेनोपॉज के बाद मस्कुलोस्केलेटल हेल्थ पर नेगेटिव असर पड़ता है, जिसकी वजह से हड्डियां और मासंपेशियां कमजोर होने लगती हैं। सवाल है, ऐसा क्यों होता है? डॉ. शोभा गुप्ता के अनुसार, "मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है, जो कि हड्डियों और कार्टिलेज स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसके साथ ही मसल्स लॉस भी बढ़ने लगता है।"
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मेनोपॉज के बाद हड्डियों कमजोर क्यों होती हैं?
एस्ट्रोजन का कमीः मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पीरियड्स की कमी की वजह से ओवरीज सही तरह से काम नहीं करती हैं। वैसे भी एस्ट्रोजन एक ऐसा हार्मोन है, जो कि ज्वाइंट टिश्यूज को मेंटेन करता है। ऐसे में जोड़ों में सूजन की समस्या भी देखने को मिलती है।
सार्कोपेनिया: एस्ट्रोजन का स्तर कम होने की वजह से सार्कोपीनिया की अवस्था भी शुरू हो जाती है। हालांकि, सार्कोपेनिया बढ़ती उम्र के साथ होने वाली समस्या है। इस बीमारी में मसल्स लॉस होने लगता है और मसल्स फंक्शन भी प्रभावित होते हैं। यहां तक कि सार्कोपेनिया के कारण ओवर ऑल मस्कुलोस्केलेटल हेल्थ पर असर पड़ता है।
मसल्स में कमजोरीः एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण मसल्स कमजोर हो जाती है, जोड़ों में दर्द होने लगता है और उसे पूरा सपोर्ट भी नहीं मिलता है। यही नहीं, मेनोपॉज के कारण जोड़ों की स्टेबिलिटी भी प्रभावित हो जाती है, जिसकी वजह से महिलाओं के लिए चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है या उन्हें अक्सर जोड़ों में दर्द बना रहता है।
जोड़ों में सूजन होनाः चूंकि, मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन कम हो जाता है, जिससे जोड़ों में सूजन आ जाती है। यहां तक कि मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोअर्थराइटिस जैसी समस्या का जोखिम भी बढ़ जाता है।
मेनोपॉज के बाद हड्डियों को मजबूत कैसे बनाएं
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित एक लेख में यह सलाह दी गई है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं को नियमित रूप से एक्सरसाइज करना चाहिए। इसमें योगा, पिलाटे या स्ट्रेंथ एक्सरसाइज शामिल हैं। इससे हड्डियों को मजबूती मिलती है, फ्लेक्सिबिलटी बढ़ती है और कमजोरी भी दूर होती है।
- मेनोपॉज के बाद विटामिन-डी को डाइट में ज्यादा से ज्यादा शामिल करना चाहिए। विटामिन-डी मसल्स फंक्शन को सपोर्ट करने के लिए अहम पोषक तत्व है। यह कैल्शियम को एब्जॉर्ब करता है, जिससे हड्डियों और मसल्स को स्ट्रेंथ मिलती है।
- मेनोपॉज के बाद हड्डियों में कमजोरी और दर्द बढ़ जाए, तो इसे इग्नोरन करें। डॉक्टर को कंसल्ट करें और उनकी दी हुई सलाह को फॉलो करें।
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निष्कर्ष
मेनोपॉज के बाद हड्डियों का कमजोर होना स्वाभाविक है। ऐसा एस्ट्रोजन के स्तर मं आई कमी के कारण होता है। ऐसे में महिलाओं की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, मसल्स फंक्शन पर असर पड़ता है और जोड़ों में दर्द व सूजन भी बढ़ जाती है। इस तरह की स्थिति में महिलाओं को नियमित रूप से प्रीवेंशन टिप्स फॉलो करने चाहिए, जिनका जिक्र हमने इस लेख में किया है। इससे आपकी हड्डियों को मजबूती मिलेगी और जोड़ों का दर्द भी कम होगा।
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Current Version
Oct 22, 2025 11:30 IST
Published By : Meera Tagore