How Does Menopause Affect Your Joints: मेनोपॉज के दौरान शारीरिक बदलाव होना लाजिमी है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इस अवस्था का मतलब है कि एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आना। जैसे-जैसे महिलाओं में पीरियड्स बंद होते जाते हैं, उनके रिप्रोडक्टिव ऑर्गन पूरी तरह से काम करना बंद कर देते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। इसमें हॉट फ्लैशेज, जोड़ों में दर्द, कमजोरी और थकान आदि शामिल हैं। यहां यह जान लेना आवश्यक है कि क्या मेनोपॉज के कारण जोड़ों में लुब्रिकेशन की कमी हो जाती है, जो ज्वाइंट पेन आदि की वजह बनता है? आइए, ग्रेटर नोएडा स्थित Motherhood Hospitals में Consultant–Obstetrics & Gynaecology डॉ. कनिका गेरा ठकराल से जानते हैं मेनोपॉज का ज्वाइंट लुब्रिकेशन पर क्या असर पड़ता है?
क्या मेनोपॉज के कारण जोड़ों में लुब्रिकेशन कम होता है?
मेनोपॉज के कारण जोड़ों में लुब्रिकेशन पर असर पड़ता है। इस बात की पुष्टि करते हुए डॉ. कनिका गेरा ठकराल कहती हैं, "मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं। विशेषकर, एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आ जाती है। यह हार्मोन शरीर में कई अहम फंक्शन के लिए कारगर भूमिका निभाता है।" डॉ. कनिका गेरा ठकराल आगे बताती हैं, "एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में गिरावट के कारण ज्वाइंट लुब्रिकेशन कम होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ज्वाइंट में मौजूद गाढ़ा तरल पदार्थ होता है, जिसे साइनोवियल फ्लूइड कहा जाता है। यह एक तरह का चिपचिपा और तैलीय पदार्थ होता है, जो जोड़ों को मूव करने में मदद करता है। मेनोपॉज के दौरान जोड़ों में लुब्रिकेंट में कमी के कारण सूजन आ जाती है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।"
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मेनोपॉज जोड़ों के लुब्रिकेशन को कैसे प्रभावित करता है
फ्लूइड रिटेंशन में कमीः मेनोपॉज के कारण शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। ध्यान रखें कि एस्ट्रोजन की कमी के कारण शरीर में वॉटर रिटेंशन की दिक्कत हो जाती है, जो कि कार्टिलेज और साइनोवियल फ्लूइड को हाइड्रेटेड रखने और ज्वाइंट्स को लुब्रिकेटेड बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
कोलेजन प्रोडक्शन में कमीः डॉ. कनिका गेरा ठकराल के अनुसार एस्ट्रोजन की मदद से कोलेजन का संतुलन भी शरीर में बना रहता है। कोलेजन हमारे शरीर में पाया जाने वाला एक तरह का प्रोटीन है, जो टिश्यूज, मसल्स आदि को मजबूती देने में अहम योगदान निभाता है। यही नहीं, कोलेजन की मदद से बॉडी की फ्लेक्सिबिलिटी भी मिलती है। इसका मतलब है कि मेनोपॉज के बाद कोलेजन का स्तर कम हो जाता है और बॉडी स्टिफ हो जाती है।
मूवमेंट में तकलीफः जैसा कि कुछ देर पहले ही जिक्र किया है कि एस्ट्रोजन की कमी की वजह से कार्टिलेज कमजोर हो जाते हैं और कोलेजन का स्तर भी गिर जाता है। ऐसे में मेनोपॉज के बाद महिलाओं को मूवमेंट में दिक्कत आने लगती है। खासकर, उठकर बैठने में उन्हें तकलीफ महसूस होती है।
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निष्कर्ष
मेनोपॉज होने पर महिलाओं का शरीर पहले की तरह सक्रिय नहीं रह जाता हे। इस स्थिति में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और हड्डियां भी कमजोर हो जाती है। इस अवस्था के दौरान जब भी महिलाओं को हड्डियों या जोड़ों से संबंधित समस्या होने लगती है, तो उन्हें बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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FAQ
क्या मेनोपॉज के दौरान हड्डियों में दर्द होता है?
मेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। इसकी वजह से महिलाओं को कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें हड्डियों का कमजोर होना, जोड़ों में दर्द होना और मांसपेशियों से संबंधित समस्या महसूस करना शामिल है।क्या मेनोपॉज में हैवी ब्लीडिंग होती है?
मेनोपॉज एक ऐसी अवस्था है, जिसके बाद पीरियड्स पूरी तरह बंद हो जाते हैं। हालांकि, मेनोपॉज होने से पहले की प्रक्रिया में ब्लीडिंग में उतार-चढ़ाव बना रहता है। इस दौरन कभी ब्लीडिंग कम या ब्लीडिंग हैवी हो सकती है। यह पूरी तरह नॉर्मल है।मेनोपॉज के दौरान पीरियड कितने दिन तक रहता है?
मेनोपॉज के दौरान पीरियड्स कितने दिनों तक होंगे, इसका सटीक जवाब नहीं दिया जा सकता है। कभी महिलाओं को या अधिक दिनों तक रक्तस्राव होते हैं, तो कभी इसे कम भी हो सकता है।