रुमेटीइड गठिया (आरए) एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसका इलाज आमतौर पर असंभव है बस इसके लक्षणों को कंट्रोल करने की कोशिश की जा सकती है। इस बीमारी को लेकर हाल ही में शोधकर्ताओं ने कुछ तथ्यों का पता लगाया है जिसे जानकर आपको भी हैरानी हो सकती है। दरअसल, इस बीमारी का जितनी जल्दी पता लग जाए स्थिति को उतनी जल्दी कंट्रोल किया जा सकता है। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने खून में बायोमार्कर पर ध्यान केंद्रित किया है और कुछ शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देने की कोशिश की है। इसी दौरान वैज्ञानिकों को कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो बताते हैं कि इस बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही ये शरीर में फैल चुकी होती है यानी इसे ऐसे समझें कि बीमारी के लक्षण भले ही आज नजर आ रहे हों लेकिन असल में ये साल पहले ही हो चुकी होती है। इस बीमारी को लेकर शोध बहुत कुछ बताते हैं और इसे लेकर क्या है डॉक्टर की राय, जानते हैं इन तमाम चीजों के बारे में विस्तार से।
शोध में कही गई है ये बात
साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन ने व्यक्तियों की प्रतिरक्षा प्रणाली में उन परिवर्तनों को दर्शाया है जो रुमेटीइड गठिया के विकास के चक्र को दिखाते हैं। अध्ययन के लेखक, गैरी फ़्रीस्टीन, एमडी, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में स्वास्थ्य विज्ञान के वरिष्ठ एसोसिएट वाइस चांसलर, ने कहा, "अधिकांश लोग जो आरए के जोखिम में हैं, उनमें यह बीमारी कभी विकसित नहीं होती बल्कि जब आप इस लक्षणों की पहचान कर रहे होते हैं तो बीनारी लगभग 1 से 5 पुरानी हो चुकी होती है।
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लक्षणों से 3-5 साल पहले खून में इस प्रोटीन का स्तर बढ़ जाना
रुमेटॉइड आर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्तियों में लक्षणों के प्रकट होने से 3-5 वर्ष पहले ही एंटी-सिट्रुलिनेटेड प्रोटीन एंटीबॉडी (ACPA) और रुमेटॉइड फैक्टर (RF) का स्तर बढ़ जाता है। हालांकि, दूसरे शब्दों में कहें तो ACPA और RF के स्तर RA की प्रगति के सटीक पूर्वानुमान नहीं हैं। ACPA और RF से प्रभावित जोखिम वाली आबादी में रुमेटॉइड आर्थराइटिस के विकास को रोकने के लिए जोखिम कारकों पर ध्यान देना होगा। इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने जोखिम वाले व्यक्तियों की प्रतिरक्षा प्रोफाइल में परिवर्तनों की जांच की, जिन्हें बाद में रुमेटीइड गठिया हुआ, जिन्हें कन्वर्टर कहा जाता है।
इसे लेकर क्या है डॉक्टर की राय?
डॉ. मानव लूथरा, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन, अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, कानपुर बताते हैं कि रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसे लोग अक्सर तभी पहचानते हैं जब हाथ-पैर के जोड़ सूजने और दर्द करने लगते हैं। लेकिन हाल के शोध से पता चला है कि यह बीमारी कई साल पहले ही चुपचाप शुरू हो जाती है। शरीर के खून में कुछ खास संकेत, जैसे इम्यून सिस्टम से जुड़ी एंटीबॉडीज और सूजन के मार्कर, 3 से 5 साल पहले ही दिखने लगते हैं। इसका मतलब यह है कि बीमारी बिना दर्द दिए धीरे-धीरे शरीर में अपनी जमीन तैयार करती रहती है।
शुरुआती संकेतों को समय रहते पकड़ लें
डॉ. मानव लूथरा बताते हैं कि इस बीमारी से बचने का एक तरीका यही है कि अगर हम इन शुरुआती संकेतों को समय रहते पकड़ लें, तो बीमारी को तेजी से बढ़ने से रोका जा सकता है। हालांकि, हर व्यक्ति में ऐसे संकेत होने पर भी रूमेटॉयड आर्थराइटिस जरूरी नहीं कि पूरी तरह विकसित हो, फिर भी यह जानकारी बहुत अहम है।
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इससे हमें मौका मिलता है कि हम जोखिम वाले लोगों की जल्दी पहचान करके उनकी जीवनशैली, खानपान और जरूरत पड़ने पर दवाओं के जरिए बीमारी को नियंत्रित कर सकें। इसलिए हमे यह समझना होगा कि जोड़ो का दर्द शुरू होने से पहले ही शरीर संकेत देता है, बस हमें उन्हें पहचानना सीखना होगा।
FAQ
रुमेटीइड गठिया का मुख्य कारण क्या है?
रूमेटोइड गठिया ऑटोइम्यून बीमारी है जो आनुवंशिक, हार्मोनल और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से होती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ जोड़ों के ऊतकों पर हमला करती है। इसमें शरीर में खास लक्षण देखे जाते हैं जैसे जोड़ों में दर्द और सूजन और शुरुआत में जोड़ों के पास की त्वचा लाल और गर्म रहती है।आरए फैक्टर पॉजिटिव होने पर क्या होता है?
आरए फैक्टर यानी रूमेटॉइड फैक्टर टेस्ट पॉजिटिव होने का मतलब है कि आपके खून में रुमेटॉइड फैक्टर (RF) नाम का प्रोटीन, सामान्य से अधिक है, जो रुमेटॉइड आर्थराइटिस का संकेत हो सकता है।रूमेटाइड अर्थराइटिस होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?
रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीजों को तले हुई चीजों क खाने से बचना चाहिए। इसके अलावा भुना खाना, नमक, प्रीसर्वेटिव, चीनी, रिफाइंड कार्ब्स, शराब और तंबाकू आदि के सेवन से बचना चाहिए। ये उन कारकों को बढ़ावा देते हैं जो इस बीमारी के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
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Sep 30, 2025 08:00 IST
Published By : Pallavi Kumari