दिल्ली में एक बार फिर जहरीली हुई हवा, कुछ इलाकों में बिगड़ा एयर क्वालिटी इंडेक्स

दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स पिछले कुछ दिनों से खराब चल रहा है। गुरुवार को कुछ इलाकों में एक्यूआई लेवल 400 तक पहुंच गया था। 
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दिल्ली में एक बार फिर जहरीली हुई हवा, कुछ इलाकों में बिगड़ा एयर क्वालिटी इंडेक्स


दिल्ली में जहां एक तरफ एचएमपीवी का कहर बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर कोहरे और प्रदूषण ने भी लोगों को परेशान कर दिया है। राजधानी में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण एक बार फिर से बढ़ गया है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते दिल्ली में Grab 3 लागू कर दिया गया है। कुछ इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स काफी खराब स्थिति है। जिसके चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। कुछ इलाकों में एक्यूआई लेवल काफी ज्यादा है। 

नए साल तक खराब रह सकता है एक्यूआई 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने नए साल तक एक्यूआई खराब रहने की आशंका जाहिर की है। मौसम विभाग की मानें तो 31 दिसंबर के दिन नए साल के जश्न के लिए जलाए जाने वाले पटाखों से एक्यूआई और खराब हो सकता है। एक्यूआई खराब होने के चलते शुक्रवार सुबह दिल्ली की सड़कों पर वीजिबिलिटी भी काफी कम थी। कोहरे और प्रदूषण के चलते दिल्ली से 11 ट्रेनें देर से चलाई जा रही हैं। गुरुवार सुबह 6 बजे तक दिल्ली का एक्यूआई 381 तक पहुंच चुका था। 

कौन से इलाके में कितना एक्यूआई 

  • दिल्ली के कई इलाकों में एक्यूआई काफी खराब रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय नॉर्थ कैंपस का एक्यूआई 378 और आर के पुरम में 397 दर्ज किया गया है।
  • जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम 371 और न्यू मोती बाग का एक्यूआई 378 तक पहुंच चुका था।
  • वहीं कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जिनमें एक्यूआई लेवल 400 के भी पार जा चुका था। जिसमें से नेहरू नागा का एक्यूआई 417, आईटीओ का 409 तक था।
  • पटपड़गंज 418 के साथ ही साथ आनंद विहार का एक्यूआई लेवल 439 तक पहुंच चुका था।
  • हवा जहरीली होने के चलते इन इलाकों में लोगों का घरों से बाहर निकलना तक दूभर हो गया था। 

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एक्यूआई बढ़ने से सेहत पर पड़ता है ये असर 

  • एक्यूआई लेवल या प्रदूषण बढ़ जाने पर शरीर पर कई तरीकों से असर पड़ता है। 
  • एक्यूआई बढ़ने से फेफड़ों में दूषित कण जाने लगते हैं, जिससे फेफड़ों में इंफेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है। 
  • ऐसी स्थिति में आपको सांस लेने में भी कठिनाई महसूस हो सकती है। 
  • एक्यूआई बढ़ने से अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ने के साथ ही ब्रॉनकाइटिस के मामले भी बढ़ जाते हैं। 

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