
सर्दियों के मौसम में अक्सर लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ये ठंडा मौसम ज्यादातर उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, जिन्हें पहले से COPD यानी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज है। यह एक फेफड़ों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें फेफड़ों की वायु नलिकाएं संकरी और सूजन हुई रहती है। ऐसे में सांस लेते समय हवा का फ्लो बाधित होता है और व्यक्ति को सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है। दरअसल जब तापमान में गिरावट आती है और हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है तो यह स्थिति और ज्यादा बिगड़ जाती है। ऐसे में आइए दिल्ली के पीएसआरआई हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजी, डॉ. नीतू जैन (Dr. Neetu Jain, Senior Consultant Pulmonology, PSRI Hospital, Delhi) से जानते हैं कि ठंडी हवा और प्रदूषण किस तरह COPD के लक्षणों को खराब कर सकता है?
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ठंडी हवा और प्रदूषण कैसे COPD के लक्षणों को बढ़ाता है?
डॉ. नीतू जैन के अनुसार, "ठंडी और सूखी हवा, तापमान में तेज गिरावट और वातावरण में बढ़ता प्रदूषण, ये सभी चीजें मिलकर सांस से जुड़ी समस्याओं को और ज्यादा गंभीर बना देते हैं। COPD में फेफड़ों की वायु मार्ग संकुचित हो जाते हैं, ऐसे में मौसम का हल्का-सा बदलाव भी सांस लेना मुश्किल कर देता है।"
1. ठंडी हवा से फेफड़ों के एयरवे में संकुचन
सर्दियों में ठंडी हवा फेफड़ों के एयरवे को इरिटेट करती है। जब ठंडी हवा नाक या मुंह से शरीर के अंदर जाती है, तो श्वसन नलिकाएं सिकुड़ने लगती हैं, जिसे “ब्रॉन्कोस्पाज्म” कहा जाता है। इससे खांसी, सीटी जैसी आवाज आना और सांस फूलने की समस्या बढ़ जाती है।
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2. नमी कम होने से म्यूकस का गाढ़ा होना
ठंड में हवा बहुत ज्यादा ड्राई हो जाती है, जिससे इस सूखी हवा का असर श्वसन तंत्र पर सीधा पड़ता है। COPD में शरीर फेफड़ों के अंदर सामान्य से ज्यादा म्यूकस बनाता है। जब हवा में नमी कम हो जाती है, तो यह म्यूकस गाढ़ा होकर फेफड़ों में जमा होने लगता है और इसके कारण कफ निकालने में मुश्किल होना, सांस रुक-रुक कर आना, इंफेक्शन का जोखिम आदि समस्याएं हो सकती हैं। यह स्थिति COPD के मरीजों के लिए बहुत ज्यादा असुविधा से भरी और खतरनाक साबित हो सकती है।
3. फेफड़ों में सूजन
सर्दियों में हवा ठंडी होने के कारण वातावरण में मौजूद प्रदूषक कण जमीन के पास ही जमा रहते हैं। ये सूक्ष्म कण फेफड़ों के अंदर गहराई तक पहुंच जाते हैं और COPD के मरीजों में पहले से मौजूद सूजन की समस्या को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। प्रदूषण में मौजूद गैसें जैसे- सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन श्वसन नलिकाओं को और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसके कारण खांसी बढ़ना, सांस तेज होना, सीने में जलन, छाती भारी लगना आदि जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
4. स्मॉग का असर
सर्दियों की सुबह और शाम के समय अक्सर ज्यादा स्मॉग बनता है। स्मॉग वास्तव में स्मोक और फॉग यानी धुएं और धुंध के मिलने के कारण होता है। यह COPD के मरीजों के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है, क्योंकि ठंडी हवा एयरवे को संकुचित करती है, प्रदूषण सूजन और म्यूकस दोनों को बढ़ाता है। इन दोनों के कारण फेफड़ों पर दोहरा असर पड़ता है। व्यक्ति को बार-बार इनहेलर की जरूरत पड़ती है और कई बार स्थिति इतनी ज्यादा गंभीर हो जाती है कि अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति आ सकती है।
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सर्दियों में COPD मरीज इन बातों का रखें ध्यान
डॉ. नीतू जैन के अनुसार, ठंड और प्रदूषण दोनों के कारण COPD के मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में COPD के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए आप इन बातों का ध्यान रखें-
- घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें, इससे प्रदूषण और ठंडी हवा दोनों से सुरक्षा मिलती है।
- सुबह और शाम की ठंड में बाहर जाने से बचें, क्योंकि इससे प्रदूषण और स्मॉग का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है।
- घर में हवा साफ रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
- रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, क्योंकि इससे म्यूकस गाढ़ा नहीं होता है।
- इनहेलर और दवाइयों का नियमित इस्तेमाल करें और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को समय पर लें।
- गर्म कपड़े पहने और अपने गले-नाक को ढककर रखें।
- घर में भाप लें ताकि श्वसन नलिकाएं खुली रहें।
निष्कर्ष
सर्दियों में ठंड और प्रदूषण दोनों का असर COPD के मरीजों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ठंडी हवा एयरवे को सिकोड़ती है, जबकि प्रदूषण फेफड़ों में सूजन और जलन की समस्या को बढ़ाता है। इसके कारण खांसी, सांस फूलना, सीने में भारीपन आदि जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती है। इसलिए, जरूरी है कि आप अपना खास ध्यान रखें और समय पर दवाओं का सेवन करें।
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FAQ
सीओपीडी का मुख्य कारण क्या है?
COPD का मुख्य कारण फेफड़ों को लंबे समय तक नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों, जैसे सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना है, लेकिन वायु प्रदूषण, कार्यस्थल पर धूल या केमिकल और कुछ जेनेटिक कारणों से इसके होने का जोखिम बढ़ जाता है।सीओपीडी के 4 मुख्य लक्षण क्या हैं?
COPD के 4 मुख्य लक्षण हैं, सांस लेने में समस्या होना, लगातार खांसी आना, घरघराहट होना और सीने में जलन महसूस होना है। ये लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और समय के साथ और ज्यादा बदतर होते जाते हैं।सीओपीडी कौन सी बीमारी होती है?
COPD फेफड़ों से जुड़ी एक बीमारी है, जिससे सांस लेने में काफी समस्या होती है, जिसमें क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फिसीमा शामिल है। यह आमतौर पर स्मोकिंग या प्रदूषित हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होता है।
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Dec 12, 2025 15:58 IST
Published By : Katyayani Tiwari