
प्रेग्नेंसी एक ऐसा सफर है जिसमें हर मां अपने बच्चे की सेहत और सुरक्षित जन्म के लिए हर संभव कोशिश करती है। इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं और कुछ पोषक तत्वों की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। इन्हीं में से एक है विटामिन D, जिसे अक्सर सनशाइन विटामिन कहा जाता है लेकिन क्या आप जानती हैं कि इस विटामिन की कमी से आपकी प्रेग्नेंसी पर गहरा असर पड़ सकता है? दरअसल, विटामिन D सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाने तक सीमित नहीं है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान प्लेसेंटा के सही विकास, इन्फ्लेमेशन को कंट्रोल करने और बेबी की इम्यून सिस्टम की मजबूती में भी अहम भूमिका निभाता है। इस लेख में यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद की कंसल्टेंट ऑब्स्टेट्रिशियन एंड गायनकोलॉजिस्ट, डॉ. शिल्पा रेड्डी वी (Dr. Shilpa Reddy. V, Consultant Obstetrician and Gynaecologist, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से जानिए, क्या विटामिन D की कमी से प्रीमेच्योर बर्थ का खतरा बढ़ जाता है?
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क्या विटामिन D की कमी से प्रीमेच्योर बर्थ का खतरा बढ़ जाता है? - Can Low Vitamin D Increase Risk Of Premature Birth
डॉ. शिल्पा रेड्डी वी, कंसल्टेंट ऑब्स्टेट्रिशियन एंड गायनकोलॉजिस्ट, यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद बताती हैं, ''लो विटामिन D लेवल वाली प्रेग्नेंट महिलाओं में समय से पहले डिलीवरी का खतरा ज्यादा होता है, जबकि जिन महिलाओं में विटामिन D का लेवल सामान्य होता है, उनमें यह खतरा कम देखा गया है।''
दरअसल, विटामिन D शरीर में कई जरूरी कार्यों को कंट्रोल करता है, जिनमें प्लेसेंटा (गर्भनाल) का सही विकास और इंफ्लेमेशन को कंट्रोल करना शामिल है। जब शरीर में विटामिन D की कमी होती है, तो ये दोनों कार्य प्रभावित हो सकते हैं। इसका असर यह होता है कि शरीर समय से पहले लेबर ट्रिगर कर देता है, जिससे बच्चे का जन्म तय समय से पहले हो सकता है।
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विटामिन D केवल समय से पहले डिलीवरी से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसकी कमी अन्य कई समस्याओं को भी जन्म दे सकती है। इसकी कमी से बच्चे में कम हड्डियों की मजबूती या रिकेट्स का खतरा बढ़ सकता है। मां को मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और थकान की समस्या हो सकती है।
विटामिन D की जांच डॉक्टर कब करवाते हैं?
डॉ. शिल्पा रेड्डी के अनुसार, ''हम आमतौर पर उन्हीं महिलाओं में विटामिन D की जांच करवाते हैं, जिनमें कमी के खतरे वाले फैक्टर मौजूद हों या जिनका पिछला गर्भधारण किसी जटिलता से गुजरा हो।'' यदि महिला पहले भी प्रीमैच्योर डिलीवरी कर चुकी हो, सूरज की रोशनी में कम समय बिताती हो, या शाकाहारी डाइट लेती हो, तो डॉक्टर ब्लड टेस्ट के जरिए विटामिन D का लेवल जांचने की सलाह देते हैं।
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विटामिन D की कमी कैसे दूर करें?
- प्रेग्नेंट महिलाओं को विटामिन D के लेवल को संतुलित रखने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार कदम उठाने चाहिए।
- सुबह की हल्की धूप में 15-20 मिनट रोजाना समय बिताना विटामिन D का नेचुरल सोर्स है।
- डाइट में फिश , अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध और अनाज को शामिल करें।
अगर ब्लड रिपोर्ट में विटामिन D की कमी पाई जाती है, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लिया जा सकता है। खुद से सप्लीमेंट लेना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि अत्यधिक मात्रा में विटामिन D भी हानिकारक हो सकता है।
निष्कर्ष
प्रेग्नेंसी के दौरान हर पोषक तत्व जरूरी है, लेकिन विटामिन D की भूमिका विशेष है। यह मां और बच्चे दोनों के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। इसलिए, प्रेग्नेंट महिलाओं को अपने विटामिन D लेवल की जांच करवानी चाहिए, हेल्दी डाइट लेनी चाहिए और डॉक्टर से नियमित परामर्श लेना चाहिए। सही मात्रा में विटामिन D प्राप्त कर प्रीमैच्योर डिलीवरी जैसे जोखिमों को काफी हद तक रोका जा सकता है।
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FAQ
विटामिन D का नेचुरल सोर्स क्या है?
विटामिन D का सबसे अच्छा नेचुरल सोर्स है सूर्य की रोशनी। इसके अलावा, फिश, अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध और मशरूम भी अच्छे सोर्स हैं।क्या विटामिन D सप्लीमेंट लेना जरूरी है?
यदि आपकी डाइट और धूप पर्याप्त नहीं है या रिपोर्ट में कमी पाई गई है, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लेना फायदेमंद हो सकता है। खुद से दवा लेना सही नहीं है क्योंकि अधिक मात्रा नुकसानदायक हो सकती है।विटामिन D की कमी के लक्षण क्या हैं?
लगातार थकान, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी, और मूड स्विंग्स विटामिन D की कमी के सामान्य संकेत हो सकते हैं।
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Nov 14, 2025 07:07 IST
Published By : Akanksha Tiwari