
High BP and Eye Problems: आजकल की भागदौड़ भरी और स्ट्रेस वाली जिंदगी में हाई बीपी की समस्या होना बहुत ही आम हो गया है। ऐसे में लोगों को लिए हाइपरटेंशन की परेशानी एक चुनौती बन गई है, क्योंकि हाई बीपी (high blood pressure problems) की वजह से हार्ट और किडनी को काफी नुकसान पहुंचता है। आमतौर पर लोग हाई बीपी को सिर्फ हार्ट और किडनी से ही जोड़ते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अगर लगातार हाई बीपी रहे, तो इससे आंखों को भी गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इसमें कितनी सच्चाई है, यह जानने के लिए हमने नई दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल के प्रिंसीपल डायरेक्टर और एचओडी, कार्डियोलॉजी और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी (Dr Nityanand Tripathi, Principal Director & HOD Cardiology & Electrophysiology Fortis Hospital Shalimar Bagh, New Delhi) से बात की। उन्होंने आंखों की रोशनी और हाई बीपी को लेकर विस्तार से बताया। सबसे पहले जानते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर क्या होता है?
हाई ब्लड प्रेशर क्या है?
डॉ. त्रिपाठी कहते हैं, “शरीर का ब्लड फ्लो धमनियों की दीवारों पर प्रेशर डालता है, उसे ब्लड प्रेशर कहा जाता है। CDC के अनुसार, नार्मल ब्लड प्रेशर करीब 120/80 mmHg माना जाता है। अगर यह लगातार 140/90 mmHg या उससे ज्यादा रहता है, तो उसे हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है। अगर बीपी काफी लंबे समय तक हाई रहे, तो यह शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए अपने खानपान और लाइफस्टाइल को बदलकर हाई बीपी को कंट्रोल किया जा सकता है।”
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क्या हाई बीपी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है?
इस बारे में डॉ. त्रिपाठी कहते हैं, “अगर ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ा रहता है, तो आंखों की बहुत ही बारीक ब्लड वैसेल्स पर प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे वे कमजोर, संकरी या फट सकती हैं। इस कंडीशन को हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी कहा जाता है और अगर शुरुआती लक्षणों की अनदेखी कर दी जाए, तो इससे परमानेंट आंखों की रोशनी भी जा सकती है। हाई ब्लड प्रेशर इन ब्लड वैसेल्स को नुकसान कई तरीकों से पहुंचाता है।
- ब्लड वैसेल्स का सिकुड़ना - हाई ब्लड प्रेशर के कारण रेटिना की रक्त वाहिकाएं मोटी या संकरी हो जाती हैं। इससे आंखों में खून का फ्लो कम होता है और रेटिना की कोशिकाएं खराब हो सकती हैं।
- ब्लड वैसेल्स का फटना - बहुत ज्यादा प्रेशर के कारण छोटी-छोटी ब्लड वैसेल्स फट सकती है, जिससे रक्तस्राव या सूजन हो सकती है। इस कंडीशन में इंसान को अचानक से धुंधलापन और कम दिखना शुरू हो सकता है।
- आंखों के अंदर प्रेशर बढ़ना - हाई ब्लड प्रेशर से आंखों का अंदरूनी दबाव बढ़ सकता है, जिससे ग्लूकोमा (Glaucoma) जैसी बीमारी का रिस्क बढ़ सकता है। इससे धीरे-धीरे ऑप्टिक नर्व को भी नुकसान हो सकता है।
- खून के थक्के बनना - हाई बीपी के कारण खून गाढ़ा और चिपचिपा हो सकता है, जिससे आंखों की ब्लड वैसेल्स में थक्के बन सकते हैं। इस वजह से अचानक आंखों की रोशनी धुंधली या गायब हो सकती है।
हाई बीपी में शुरुआती लक्षण क्या है?
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि हाई बीपी के कारण जब शुरुआत में आंखों के लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह काफी हल्के होते हैं, जिन्हें पहचानना बहुत जरूरी है।
- आंखों के सामने धुंधलापन या धब्बे दिखना
- आंखों में दर्द या दबाव महसूस होना
- आंखों में अचानक रोशनी की चमक या फ्लैश दिखना
- सिरदर्द और आंखों के आसपास भारीपन
- आंखों का अचानक धुंधला होना या अंधेरा छा जाना
- पढ़ने या दूर देखने में मुश्किल होना
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हाई बीपी से आंखो को बचाने के तरीके
डॉ. त्रिपाठी ने बताया है कि जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या लगातार है, उन्हें अपनी आंखों का खास ख्याल रखना चाहिए। इसके लिए इन टिप्स को फॉलो किया जा सकता है।
- रेगुलर आंखों का चेकअप कराएं - हाई बीपी वाले लोगों को साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच जरूर करानी चाहिए। ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट आंखों में हाइपरटेंशन के शुरुआती संकेत पहचान सकते हैं, जिससे समय रहते इलाज हो सकता है।
- ब्लड प्रेशर कंट्रोल करें - हमेशा बीपी को 120/80 mmHg के आसपास ही रखें। घर पर बीपी मॉनिटर रखें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाई लें।
- हेल्दी लाइफस्टाइल रखें - लोगों को रोजाना कसरत या 30 मिनट की वॉक करनी चाहिए। नमक कम से कम रखें और कॉफी या चाय बहुत ज्यादा न पिएं।
- स्मोकिंग बिल्कुल छोड़ दें - स्मोक से ब्लड वैसेल्स सख्त हो जाती है और ब्लड फ्लो कम हो जाता है। इसलिए स्मोकिंग छोड़ना आंखों के लिए बहुत जरूरी है।
- स्ट्रेस को कंट्रोल में रखें - अगर स्ट्रेस से लगातार ब्लड प्रेशर को बढ़ता है, तो मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग, और म्यूजिक थेरेपी जैसे तरीकों से मन को शांत रखें।
निष्कर्ष
डॉ. त्रिपाठी कहते हैं कि अगर किसी को अचानक धुंधलापन दिखने लगे या आंखों में सूजन या दर्द रहे, तो तुरंत आंखों के स्पेशलिस्ट से मिलें। जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या होती है, उन्हें रेगुलर आंखों की जांच कराते रहना चाहिए। जितनी जल्दी लक्षणों का पता चलेगा, उतनी जल्दी बचाव हो पाएगा। इसके अलावा, बीपी कंट्रोल करना भी जरूरी है ताकि आंखों की रोशनी को सहेजा जा सके।
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Oct 15, 2025 16:39 IST
Modified By : Aneesh RawatOct 15, 2025 16:39 IST
Published By : Aneesh Rawat