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आंखों की रोशनी बनाए रखने के लिए अपनाएं ये 5 आदतें, जानें हेल्थ एक्सपर्ट से

आज के डिजिटल युग में जहां स्क्रीन का इस्तेमाल दिनभर होता है, वहीं आंखों पर तनाव बढ़ना एक आम समस्या बन गई है। यहां जानिए, रोजाना आंखों की देखभाल कैसे करें?
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आंखों की रोशनी बनाए रखने के लिए अपनाएं ये 5 आदतें, जानें हेल्थ एक्सपर्ट से


आज के समय में तेजी से बदलती लाइफस्टाइल, घंटों स्क्रीन के सामने बिताया जाने वाला समय, अनियमित डेली रूटीन और अनहेल्दी खानपान ने आंखों की सेहत को बुरी तरह प्रभावित किया है। पहले जहां उम्र बढ़ने के साथ नजर कमजोर होती थी, अब 20-30 साल के युवाओं को भी चश्मा लगने लगा है। आंखों में थकान, जलन, धुंधलापन और ड्राईनेस जैसी समस्याएं अब आम हो चुकी हैं। आंखें शरीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा होती हैं और इनका सही तरीके से ध्यान न रखा जाए तो गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनमें मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और आंखों की रोशनी कमजोर होना शामिल हैं। लेकिन समस्या यह है कि आज के बिजी शेड्यूल में लोग अपनी आंखों के प्रति लापरवाह हो गए हैं। सही खानपान, पर्याप्त नींद और आंखों को आराम देना, ये सब बातें अब सिर्फ थ्योरी बनकर रह गई हैं।

ऐसे में लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर आंखों को नेचुरली हेल्दी कैसे रखा जाए, वो भी बिना किसी महंगे ट्रीटमेंट या दवा के। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने मेवाड़ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं प्राकृतिक चिकित्सालय बापू नगर, जयपुर की वरिष्ठ चिकित्सक योग, प्राकृतिक चिकित्सा पोषण और आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरण गुप्ता (Dr. Kiran Gupta, Yoga, Naturopathy, Nutrition and Ayurveda Specialist, Professor at Mewar University and Senior Physician at Naturopathy Hospital, Bapunagar, Jaipur) से बात की-

रोजाना आंखों की देखभाल कैसे करें? - What are the healthy habits for eye care

1. पल्मिंग - Palming

पल्मिंग एक बहुत ही सरल और प्रभावशाली तकनीक है, जिसे आप कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। इसके लिए दोनों हाथों को रगड़कर गर्म करें और फिर अपनी बंद आंखों के ऊपर हल्के-हल्के हाथ रख दें। ध्यान रखें कि आपकी हथेलियां आंखों पर पूरी तरह से कवर हों, लेकिन दबाव न पड़े। यह गर्माहट आपकी आंखों की मांसपेशियों को आराम देती है और तनाव को कम करती है।

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पल्मिंग करने से आंखों की थकान दूर होती है, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और आंखों में जलन या सूखापन कम महसूस होता है। दिनभर काम करते समय, खासकर स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने वाले लोग इसे हर 1-2 घंटे में दो-तीन मिनट के लिए जरूर करें। इससे न केवल आंखों की रोशनी बनी रहती है, बल्कि माइग्रेन और सिरदर्द जैसी समस्याओं में भी राहत मिलती है।

2. सुबह-सुबह सूरज की ओर देखना - Early Morning Sun Gazing

सुबह की हल्की और ठंडी धूप में सूरज की रोशनी देखने की प्राचीन आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को सूर्योदय दर्शन या सन गैजिंग कहा जाता है। यह तरीका आंखों के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। सूरज की शुरुआती किरणें विटामिन डी प्रदान करती हैं और आंखों के लिए ऊर्जा का सोर्स होती हैं।

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सुबह 6 से 8 बजे के बीच 5-10 मिनट तक धीरे-धीरे सूरज की रोशनी में नजरें गड़ाना आंखों की मांसपेशियों को मजबूत करता है, दृष्टि को तेज करता है और आंखों की थकान को कम करता है। ध्यान रखें कि सूरज को सीधे देखने में कभी जल्दी या लंबा समय न बिताएं। ऐसा इसलिए, क्योंकि तेज रोशनी आंखों को नुकसान भी पहुंचा सकती है। यह अभ्यास नियमित करने से आंखों की बीमारियों जैसे दृष्टि कमजोरी और मोतियाबिंद की संभावना कम हो सकती है।

3. आंखों को बार-बार झपकाना - Blinking Eyes

जब हम किसी स्क्रीन या किताब पर ज्यादा ध्यान लगाते हैं, तो हम अनजाने में अपनी आंखें कम झपकाते हैं। इससे आंखों की नमी कम हो जाती है और आंखें सूखी और थकी हुई महसूस होती हैं। इस समस्या से बचने के लिए बार-बार आंखें झपकाना जरूरी है। आंखें झपकाने से उनकी सतह पर प्राकृतिक आंसू की एक पतली परत बनती रहती है, जो आंखों को नमीयुक्त रखती है और धूल-मिट्टी से बचाती है। यह आदत विशेषकर उन लोगों के लिए बहुत जरूरी है जो लंबे समय तक कंप्यूटर, मोबाइल या टेलीविजन स्क्रीन के सामने काम करते हैं। हर 20 मिनट बाद कम से कम 15 बार धीरे-धीरे आंखें झपकाने का प्रयास करें।

Healthy Habits For Eye Care

4. चंद्रमा की ओर देखना - Moon Gazing

रात में खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की ओर देखना एक प्राकृतिक और शांति प्रदान करने वाली विधि है। यह आंखों को ठंडक और आराम देता है। चंद्रमा की ठंडी और मंद रोशनी आंखों की मांसपेशियों को तनाव मुक्त करती है और मन को शांति प्रदान करती है। रात को सोने से पहले 5-10 मिनट के लिए चंद्रमा की ओर देखना आंखों की थकान को दूर करता है और नींद की क्वालिटी को भी बेहतर बनाता है। इसके अलावा, यह अभ्यास आंखों की बल्ड सर्कुलेशन प्रक्रिया को सुधारता है, जिससे आंखें हेल्दी बनी रहती हैं। खासकर बच्चों और युवाओं के लिए यह आदत आंखों की देखभाल में बेहद लाभकारी साबित होती है।

5. आंखों को धोना - Washing Eyes

आंखों की सफाई और हाइजीन का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। रोजाना सुबह और शाम साफ, ठंडे ताजे पानी से आंखों को धोना आंखों की सतह से धूल, जलन और सूखापन दूर करता है। यह तरीका आंखों को ठंडक प्रदान करता है और इंफेक्शन के खतरे को कम करता है। ध्यान रखें कि आंखों को धोते समय हाथ पूरी तरह साफ हों और पानी स्वच्छ हो। गरम या बहुत ठंडे पानी का उपयोग न करें क्योंकि इससे आंखों को नुकसान हो सकता है। अगर आंखों में किसी भी प्रकार की जलन या खुजली हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

निष्कर्ष

आंखों की सुरक्षा और देखभाल करना बेहद जरूरी है। ऊपर बताई गई आदतें, पल्मिंग, सुबह सूरज की रोशनी में नजरें गड़ाना, बार-बार आंखें झपकाना, चंद्रमा की ओर देखना और आंखों को धोना बहुत ही सरल और प्रभावशाली तरीके हैं जिनसे आप अपनी आंखों की रोशनी और सेहत को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं। साथ ही, यदि आंखों में कोई परेशानी या समस्या महसूस हो तो जल्द डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • आंखें कमजोर होने के क्या लक्षण हैं?

    आंखों के कमजोर होने के कई शुरुआती लक्षण होते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जैसे कि धुंधला दिखना, पास या दूर की चीजों को देखने में दिक्कत होना, बार-बार सिरदर्द होना, आंखों में जलन या सूखापन महसूस होना, पढ़ते समय आंखों में थकान या भारीपन लगना और बार-बार आंखें मिचमिचाना। अगर ऐसे लक्षण लगातार बने रहें, तो यह आंखों की रोशनी कमजोर होने का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में नेत्र चिकित्सक से जांच करवाना जरूरी होता है।
  • आंखों की नजर को तेज कैसे करें? 

    आंखों की नजर को तेज करने के लिए नियमित देखभाल और सही लाइफस्टाइल जरूरी है। सबसे पहले पौष्टिक डाइट लें, जिसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, आंवला, बादाम, अखरोट और विटामिन ए युक्त फल शामिल हों। सुबह सूरज की हल्की रोशनी में सूर्य नमस्कार या सन गैजिंग करें। आंखों को ठंडे पानी से दिन में दो-तीन बार धोएं। पर्याप्त नींद लें और स्क्रीन टाइम कम करें। साथ ही, आंखों की जांच नियमित करवाएं और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लें।
  • सूखी आंखों के क्या कारण हैं?

    सूखी आंखों (Dry Eyes) की समस्या तब होती है जब आंखों में नमी बनाए रखने वाले आंसू पर्याप्त मात्रा में नहीं बनते या उनकी क्वालिटी खराब हो जाती है। इसके प्रमुख कारणों में लंबे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन देखना, कम झपकना, उम्र बढ़ना, हार्मोनल बदलाव, प्रदूषण, तेज हवा या धूप के संपर्क में आना शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ दवाएं भी आंखों को सूखा बना सकती हैं। कॉन्टैक्ट लेंस का अधिक प्रयोग और ऑटोइम्यून बीमारियां भी इसके कारण हो सकते हैं।

 

 

 

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