
सर्दियों की शुरुआत हो या बारिश का मौसम, गले की खराश (Sore Throat) की समस्या लगभग हर किसी को कभी न कभी परेशान करती है। सुबह उठते ही गले में जलन, निगलते समय दर्द या बात करते वक्त खराश महसूस होना, ये सब संकेत हैं कि गला इंफ्लेमेशन या इंफेक्शन का शिकार हो गया है। ऐसे में लोग अक्सर तुरंत दवा या एंटीबायोटिक लेने लगते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार यह समस्या जड़ी-बूटियों और घरेलू नुस्खों से भी पूरी तरह ठीक की जा सकती है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि गले की खराश में आयुर्वेदिक गरारे (Ayurvedic Gargles) और हर्बल चाय (Herbal Tea) बेहद फायदेमंद होते हैं। इस लेख में सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, गले की खराश और दर्द से राहत के लिए आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
गले की खराश और दर्द के लिए आयुर्वेदिक गरारे - Ayurvedic gargles for sore throat and pain
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, फिटकरी (Alum) का उपयोग गले की खराश में बहुत लाभकारी होता है। फिटकरी का स्वाद कसाय (कसैला) होता है और यह कसाय रस वाली द्रव्य सूजन और इंफ्लेमेशन को कम करने का काम करती है। गरारे के लिए आप एक गिलास गुनगुने पानी में एक चुटकी फिटकरी घोलकर दिन में दो से तीन बार गरारे करें। इससे गले की जलन, सूजन और खराश में तुरंत राहत मिलती है। फिटकरी न सिर्फ इंफेक्शन को कम करती है, बल्कि यह गले में मौजूद बैक्टीरिया को भी खत्म करने का गुण रखती है।
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1. बहेड़ा और मुलेठी का गरारा
डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि बहेड़ा (Terminalia bellirica) और मुलेठी दोनों ही गले की खराश में बेहद उपयोगी हैं। बहेड़ा में कसैलापन होता है जो गले की सूजन को कम करता है, जबकि मुलेठी में गले को मुलायम करने और कफ को बाहर निकालने का गुण होता है। गरारे के लिए आप 70% मुलेठी और 30% बहेड़ा का मिश्रण तैयार करें। इसे पानी में उबालकर हल्का ठंडा होने पर गरारे करें। यह मिश्रण आप पी भी सकते हैं, क्योंकि यह गले की सूजन को भीतर से शांत करता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है।
2. त्रिफला से गरारा
गले की खराश के घरेलू इलाज में त्रिफला भी एक असरदार विकल्प है। त्रिफला तीन फलों हरड़, बहेड़ा और आंवला का संयोजन होता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और टिश्यू रिपेयर में मदद करता है। एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला पाउडर डालकर उबालें, फिर इसे छानकर हल्का गुनगुना होने पर गरारे करें। यह न केवल गले के इंफेक्शन को कम करता है, बल्कि बार-बार होने वाली खराश की समस्या से भी बचाता है।
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गले में खराश के लिए कौन सी चाय सबसे अच्छी है? - Which tea is best for sore throat
गरारे के अलावा, गले की खराश के लिए एक खास हर्बल चाय भी लाभकारी हो सकती है। डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, यह चाय गले की जलन, दर्द और सूजन को अंदर से ठीक करती है। इस चाय को बनाने के लिए अदरक, मग, मुलेठी, तुलसी और अश्वगंधा का उपयोग किया जाता है। इन सभी जड़ी-बूटियों में एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यूनिटी बूस्टिंग गुण होते हैं। इन हर्ब्स को रातभर पानी में भिगोकर रखें और अगली सुबह इन्हें उबालकर छान लें। इस चाय को दिन में 1-2 बार पिएं। इससे गले की खराश, खांसी और कफ में तेजी से आराम मिलता है।
डॉक्टर की सलाह
इन आयुर्वेदिक गरारों और हर्बल चाय का फायदा सिर्फ गले की खराश तक सीमित नहीं है। मुलेठी और अश्वगंधा शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं, तुलसी सर्दी-जुकाम से बचाव करती है, अदरक गले में जमा कफ को साफ करता है और फिटकरी व बहेड़ा गले की सूजन को कंट्रोल करते हैं। नियमित रूप से इनका सेवन करने से गला साफ और स्वस्थ रहता है। साथ ही, यह गले में बार-बार होने वाले इंफेक्शन से भी बचाव करते हैं।
निष्कर्ष
गले की खराश एक सामान्य लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। इसे नजरअंदाज करने से यह गले के इंफेक्शन या टॉन्सिल जैसी समस्याओं में बदल सकती है। इसलिए शुरुआत में ही अगर आप फिटकरी, मुलेठी, बहेड़ा और त्रिफला से गरारे करें और तुलसी-अदरक-अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियों की हर्बल चाय पिएं, तो गले की खराश जल्दी ही दूर हो सकती है।
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FAQ
गले में खराश क्यों होती है?
गले में खराश का सबसे आम कारण वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है। इसके अलावा ठंडी चीजें खाना, मौसम में बदलाव, बहुत जोर से बोलना, धूल या प्रदूषण, या एलर्जी भी गले में जलन और दर्द का कारण बन सकते हैं।क्या गले की खराश सर्दी-जुकाम का लक्षण है?
गले में खराश सर्दी-जुकाम या वायरल इंफेक्शन की शुरुआती निशानी हो सकती है, लेकिन कई बार यह सूखी हवा, धूम्रपान या एसिडिटी से भी हो सकती है।क्या गले की खराश के लिए एंटीबायोटिक जरूरी है?
एंटीबायोटिक लेने की जरूरत है या नहीं ये बात डॉक्टर आपका चेकअप कर के बताएंगे। कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवाएं नहीं लेनी चाहिए।
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Oct 29, 2025 14:05 IST
Published By : Akanksha Tiwari