अस्थमा सांस लेने से जुडी एक गंभीर बीमारी है जिसमें फेफड़ों को काफी नुकसान होता है। इस बीमारी में सांस की नालियों में सूजन की समस्या होती है जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होती है। अस्थमा की बीमारी में मरीजों को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकड़न, खांसी जैसी कई समस्याएं होती हैं। इस बीमारी की वजह से मरीजों को कई अन्य गंभीर समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। अस्थमा की समस्या आज के समय में तमाम लोगों में देखी जा रही है और इसका प्रमुख कारण हवा की गुणवत्ता में खराबी और स्मोकिंग आदि है। अस्थमा की बीमारी को लक्षणों के आधार पर दो अलग प्रकार दिया गया है, पहला बाहरी अस्थमा और दूसरा आंतिरक अस्थमा। एक शोध के मुताबिक अस्थमा की बीमारी का न सिर्फ फेफड़ों पर प्रतिकूल प्रभावपड़ता है बल्कि इसकी वजह से ओरल हेल्थ को भी काफी नुकसान होता है। अस्थमा की बीमारी से पीड़ित तमाम मरीजों को दांत और मसूढ़ों से जुडी समस्याएं हो सकती हैं। आइये विस्तार से जानते हैं इसके कारण, लक्षण और बचाव के बारे में।
अस्थमा के मरीजों में दांत और मसूढ़ों से जुड़ी समस्या (Asthma Connection With Oral Health)
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एक रिसर्च के मुताबिक अस्थमा के मरीजों में मसूढ़ों और दांत से जुडी समस्याएं सामान्य लोगों की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक होती है। अस्थमा की वजह से मरीजों में मसूढ़ों से जुडी समस्याओं के साथ दांतों के खराब होने का खतरा भी रहता है। शिमला डेंटल कॉलेज के पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री के विभाग अध्यक्ष डा. विनय भारद्वाज के शोध में भी इस बात का दावा किया गया है की अस्थमा के मरीजों में मसूढ़ों और दांत से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर किये गए इस शोध के मुताबिक अस्थमा के मरीजों में ओरल हेल्थ जैसे मसूढ़ों और दांतों की समस्याओं को पैदा करने वाले जीवाणु तेजी से बढ़ते हैं। इन जीवाणुओं की वजह से मरीजों को मसूढ़ों, दांत और हड्डियों से जुड़ी समस्या हो सकती है। आमतौर पर अस्थमा की समस्या पराग, जानवरों, धूल जैसे बाहरी एलर्जिक चीजों और रासायनिक तत्वों जैसे सिगरेट का धुआं, पेंट वेपर्स आदि की वजह से होती है।
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मसूढ़ों और दांत से जुडी समस्या बैक्टीरिया (प्लाक) की वजह से होती है। इन बैक्टीरिया को नजरअंदाज करने से इसका असर आपके आपके ओरल हेल्थ पर पड़ता है। इसके साथ ही अस्थमा के मरीजों में मसूढ़ों और दांत से जुडी गंभीर समस्याओं के होने का एक कारण सिरप और अन्य रूप में दी जाने वाली दवाएं भी हैं। इन दवाओं की वजह से भी दांतों की परतों और मसूढ़ों को गंभीर नुकसान होता है। इसलिए हमेशा अस्थमा के मरीजों को चिकित्सक यही सलाह देते हैं कि वे सुबह और शाम अच्छी तरह से अपने दांतों और मसूढ़ों की सफी जरूर करें। अस्थमा की बीमारी होने पर मरीज को दवाओं का सेवन जरूर करना होता है। ये दवाएं कई रूप जैसे सिरप, गोली और कैप्सूल के रूप में आती हैं। ऐसे मरीज जो अस्थमा की बीमारी में सिरप या गोली का सेवन करते हैं उन्हें मसूढ़ों और दांत से जुडी समस्या का खतरा ज्यादा होता है। इसका कारण सिरप और दवाओं में मौजूद तत्वों का दांत या मसूढ़ों से संपर्क में आना भी होता है। इसलिए ऐसे मरीजों को हमेशा अपने मुहं को साफ रखना चाहिए।
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अस्थमा की बीमारी में मसूढ़ों और दांत को नुकसान होने के कारण (How Asthma Can Lead To Oral Health Disease?)
तमाम शोध और एक्सपर्ट दद्वारा जुटाई गयी जानकारियों के मुताबिक अस्थमा की समस्या और ओरल हेल्थ के बीच में संबंध की पुष्टि की गयी है। अस्थमा के मरीजों द्वारा ली जाने वाली दवाओं के अलावा लंबे समय तक मुहं का सूखा रहना भी इसका जिम्मेदार माना जाता है। शुष्क मुहं या मुहं के सूखापन की समस्या अस्थमा के मरीजों को ज्यादा होती है। इस समस्या के कारण दांत और मसूढ़ों से जुडी बीमारियों का खतरा भी ज्यादा होता है। इसलिए हमेशा अस्थमा के मरीजों को इन लक्षणों को पहचानने और इनसे बचाव के लिए चिकित्सक की सलाह लेने की राय दी जाती है। अस्थमा के मरीजों को दांत और मसूढ़ों से जुडी बीमारयां होने के प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।
ड्राई माउथ या मुहं का सूखापन
इसकी वजह से भी अस्थमा की समस्या में मसूढ़ों और दांतों से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अस्थमा की बीमारी में मरीजों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से उनका मुहं ड्राई हो जाता है। अधिक समय तक ड्राई माउथ की समस्या बनी रहने के कारण आपको मसूढ़ों और दांत से जुडी बीमारियां हो सकती हैं।
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मुहं में मौजूद बैक्टीरिया
अस्थमा के मरीजों में मुहं की सही ढंग से साफ-सफाई न करने की वजह से मुहं में जीवाणुओं के बढ़ने का खतरा रहता है। ये बैक्टीरिया कैविटी, दांतों की सड़न, या मसूड़ों की बीमारी को बढ़ाने का काम करते हैं। इसकी वजह से आपके मुहं से दुर्गन्ध आने की समस्या भी हो सकती है।
दवाओं की वजह से
अस्थमा की समस्या में मरीजों को निरंतर कुछ दवाओं का सेवन करना पड़ता है। इन दवाओं के सेवन की वजह से भी मरीजों को मुहं से जुडी कुछ गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इन्हेलर कॉर्टिकोस्टेरॉइड, बीटा -2 एगोनिस्ट आदि के इस्तेमाल से आपको मसूढ़ों और दांत से जुड़ी समस्याओ का खतरा बढ़ जाता है। ये दवाएं मरीज को सांस लेने में मदद तो करती हैं लेकिन इनकी वजह से मुहं में मौजूद लार की मात्रा में कमी आती है जिसकी वजह से आपको समस्याएं होती हैं। अस्थमा की समस्या में इन दवाओं या सिरप के इस्तेमाल के बाद इनके कुछ कण आपके मसूढ़ों और दांतों से चिपक जाते हैं जो कि आपके ओरल हेल्थ से जुडी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
अस्थमा की समस्या में ओरल हेल्थ से जुड़ी बीमारियों से बचाव के टिप्स (How To Prevent Oral Disease In Asthma?)
अस्थमा के मरीजों में ऊपर बताये गए कारणों की वजह से दांत और मसूढ़ों से जुड़ी समस्याओं का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए ऐसे मरीजों को चिकित्सक हमेशा अच्छी तरह से ओरल हेल्थ का ध्यान रखने की सलाह देते हैं। मरीजों में ओरल हेल्थ से जुड़े खतरे को देखते हुए चिकित्सक इन बातों का विशेष ध्यान रखने की सलाह देते हैं।
- हमेशा पानी पीते रहे हैं और मुहं को सूखने से बचाएं।
- मुहं को तर रखने के लिए शुगर फ्री च्युइंगगम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉस करें।
- अस्थमा की समस्या को बढ़ने से रोकें।
इसके अलावा आप अगर इन समस्याओं के लक्षणों से अधिक परेशान हैं तो चिकित्सक की सलाह जरूर लें। हल्के फ्लेक्सर्स से दांतों की सुबह शाम अच्छी तरह सफाई करना भी इस समस्याओं में फायदेमंद माना जाता है। अस्थमा के मरीजों को अच्छे फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। हर चार महीने के बाद अपने ब्रश को बदलना भी फायदेमंद हो सकता है।
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