Tips To Control Asthma During pollution Winter In Hindi: मौसम में बदलाव होने के बावजूद प्रदूषण में किसी तरह की कमी नहीं आ रही है। कभी प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो कभी कम हो जाता है। यह कंडीशन अस्थमा के मरीजों के लिए बिल्कुल सही नहीं है। वैसे भी ठंड के मौसम में हवा में नमी की कमी होती है। ड्राईनेस की वजह से अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है। कई बार, कंडीशन को समय रहते न संभाला जाए, तो अस्थमा अटैक भी आ सकता है। अस्थमा के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे अपनी सेहत का ध्यान रखें, ताकि इसके लक्षणों को सही तरह से मैनेज किया जा सके।
सर्दियों में बढ़ते प्रदूषण में अस्थमा के लक्षणों को कैसे मैनेज करें- Tips To Control Asthma During pollution Winter In Hindi
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इनहेलर का यूज करें
सर्दियों में प्रदूषण से बचने के लिए अस्थमा के मरीजों को चाहिए कि वे नियमित रूप से इनहेलर को अपने पास रखें। कभी-कभी बढ़ते प्रदूषण की वजह से अगर सांस लेने में तकलीफ हो, तो इनहेलर पंप का यूज करें। इनहेली से सांस से जुड़ी परेशानी को मैनेज करने में मदद मिलती है।
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घर से बाहर कम निकलें
अस्थमा के मरीजों के लिए जरूरी है कि प्रदूषण में कम से कम घर से बाहर निकलें। घर से बाहर मौजदू हवा में पल्यूटेंट की मात्रा ज्यादा होती है। जबकि, घर के अंदर की हवा कम पल्यूटेड होती है। इसके अलावा, कुछ लोगों के घरों में इंडोर प्लांट लगे होते हैं, जो वहां की हवा की दूषित होने से बचाते हैं। ऐसी जगहों में अस्थमा के मरीजों के लिए रहना सही होता है। यही नहीं, घर की हवा साफ-सुथरी होने के कारण अथमा के अटैक का रिस्क भी कम हो जाता है।
ट्रिगर से बचने की कोशिश करें
सर्दियों के मौसम में अस्थमा के मरीजों को चाहिए कि वे ऐसी जगहों में जाने से बचें, जहां अस्थमा अटैक आ सकता है। यहां तक कि अस्थमा के मरीजों को इसके ट्रिगर प्वाइंट से भी बचना चाहिए। सवाल है, अस्थमा को कौन-कौन सी चीजें ट्रिगर कर सकती हैं? घर की धूल-मिट्टी और गंदगी आदि। अस्थमा के मरीजों को साफ जगह पर रहना चाहिए और धूल-मिट्टी से बचना चाहिए।
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डॉक्टर के संपर्क में रहें
कभी-कभी पल्यूशन के कारण अस्थमा के मरीजों की सेहत काफी बिगड़ जाती है। कई बार प्रदूषण की वजह से अस्थमा के मरीज की हालत इतनी खराब हो जाती है कि उसे कंट्रोल करने के लिए इनहेलर भी काफी नहीं होता है। इस तरह की सिचुएशन बहुत बुरी होती है। मरीजों को चाहिए कि वे हमेशा डॉक्टर के संपर्क में रहें। जब भी जरूरत हो, उन्हें फोन कर सकें या फिर उनके पास जाकर अपना ट्रीटमेंट करवा सकें। अपनी बिगड़ती हालत को लेकर कभी भी लापरवाही न करें।
खुद को गर्म रखें
बढ़ती ठंड की वजह से हवा काफी ड्राई हो जाती है। शुष्क हवा में सांस लेना अस्थमा के मरीजों के लिए सही नहीं होता है। उन्हें ब्रीदिंग प्रॉब्लम हो जाती है। वहीं, अगर ठंड की वजह से मरीज की छाती में बलगम जमने लगे, तो यह घातक स्थिति हो सकती है। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए अस्थमा के मरीजों को चाहिए कि वे हेल्दी और गर्म चीजें खाएं। इससे छाती में बलगम नहीं जमेगा और सांस लेने की तकलीफ भी कम होगी।
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