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काली मिर्च और सफेद मिर्च में क्या अंतर है? आयुर्वेदाचार्य से जानें गुण, फायदे, नुकसान और उपयोग के तरीके

काली मिर्च और सफेद मिर्च दोनों की स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती हैं। यहां जानिए, काली मिर्च और सफेद मिर्च के बीच का अंतर, इनके औषधीय गुण, तासीर और उपयोग के सही तरीके।
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काली मिर्च और सफेद मिर्च में क्या अंतर है? आयुर्वेदाचार्य से जानें गुण, फायदे, नुकसान और उपयोग के तरीके


आजकल के बिजी जीवन और फास्ट फूड कल्चर के बीच जब भी बात खाने के स्वाद को बढ़ाने की आती है, तो काली मिर्च और सफेद मिर्च का नाम जरूर लिया जाता है। ये दोनों मसाले हर भारतीय रसोई का अहम हिस्सा हैं। लोग अक्सर इनका इस्तेमाल स्वाद और तीखापन बढ़ाने के लिए करते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आयुर्वेद में इन दोनों मिर्चों के गुणों, प्रभावों और उपयोग को लेकर गहराई से बताया गया है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में काली मिर्च और सफेद मिर्च को केवल मसाले नहीं, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर प्राकृतिक तत्व माना गया है। जहां काली मिर्च को अग्निदीपक, कफ-वात नाशक और पाचन सुधारने वाला बताया गया है, वहीं सफेद मिर्च को सूजन कम करने वाली और बुखार के उपचार में उपयोगी बताया गया है।

आयुर्वेद के बारे में लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए ओन्लीमायहेल्थ 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) स्पेशल सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में हम आज रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा से जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार काली मिर्च और सफेद मिर्च के बीच का अंतर, इनके औषधीय गुण, सेवन के तरीके और सावधानियां, ताकि आप इन मसालों का सही लाभ उठा सकें।

काली मिर्च का आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, काली मिर्च दक्षिण भारत के ऊष्ण और आद्र (नम) क्षेत्रों में पाई जाती है, और इसका पौधा एक लतादार प्रकार का होता है। काली मिर्च तीव्र स्वाद और शक्तिशाली औषधीय गुणों से भरपूर होती है। काली मिर्च का स्वाद तीव्र, कटु और अग्नि को उत्तेजित करने वाला होता है और यह पाचन क्रिया को सुधारने (Which pepper is good for health) में मदद करती है।

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काली मिर्च के प्रमुख गुणों में ऊष्णवीर्य, पित्त कारक, रूक्षता और कफ और वायु को नियंत्रित करने की क्षमता शामिल है। यह स्वास, शूल (पेट दर्द) और कृमि रोगों (पेट से संबंधित संक्रमण) को नष्ट करने वाली होती है। काली मिर्च तीव्र और तासीर में गर्म होती है, जो शरीर के अंदर की अग्नि को प्रज्वलित करने का कार्य करती है।

इसके अलावा, काली मिर्च में पाइपरिन नामक एक सक्रिय कंपाउंड पाया जाता है, जो इसे सुगंधित, उत्तेजक और पाचनीय बनाता है। यह विशेष रूप से पाचन क्रिया को सुधारती है और गैस, अपचन और पेट में भारीपन जैसी समस्याओं में लाभकारी होता है। इसके सेवन से मूत्र की मात्रा बढ़ती है और शरीर में स्फूर्ति आती है। काली मिर्च का उपयोग घी के साथ किया जाता है, जो इसे और भी प्रभावी बनाता है।

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सफेद मिर्च का आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

वहीं, सफेद मिर्च काली मिर्च की तुलना में कम तीव्र और गुणकारी मानी जाती है। हालांकि, इसका उपयोग आयुर्वेद में कई प्रकार की समस्याओं के लिए किया जाता है, खासकर शलिपद (सूजन और शोध) और बार-बार ज्वर आने की समस्या में सफेद मिर्च का उपयोग बहुत प्रभावी होता (Which pepper is good for health) है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से सफेद मिर्च का उपयोग काली मिर्च की तरह तो किया जाता है, लेकिन इसके गुणों की तीव्रता और प्रभाव कुछ कम होते हैं। सफेद मिर्च का पाचन क्रिया पर समान प्रभाव होता है, लेकिन इसकी गर्म तासीर और तीव्रता काली मिर्च से कम होती है। सफेद मिर्च का उपयोग विशेष रूप से सूजन, दर्द और शरीर में जलन की समस्या में लाभकारी माना जाता है।

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काली मिर्च और सफेद मिर्च के उपयोग के अंतर - Which Is Better Black Pepper Or White Pepper

आयुर्वेद में काली मिर्च और सफेद मिर्च दोनों के उपयोग के तरीके में कुछ अंतर हैं। इन मसालों का प्रयोग आमतौर पर घी में तड़का लगाकर या छाछ में किया जाता है। काली मिर्च का सेवन दूध के साथ नहीं किया जाना चाहिए। दूध में काली मिर्च का उपयोग अवांछनीय है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह पेट की अम्लता को बढ़ा सकता है और हाजमा खराब कर सकता है। सफेद मिर्च को काली मिर्च की तुलना में अधिक हल्के रूप में उपयोग (Which is healthier, black pepper or white pepper) किया जाता है। यह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी होती है जो काली मिर्च के तीव्र प्रभाव से बचना चाहते हैं।

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काली और सफेद मिर्च के फायदे - What Are The Benefits Of White Pepper and Black Pepper

1. काली मिर्च और सफेद मिर्च (What are the benefits of white pepper) दोनों ही पाचन क्रिया को मजबूत करने में सहायक होती हैं। इन मसालों में पाया जाने वाला पाइपरिन पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है और गैस, अपचन और सूजन को कम करता है।

2. इन मसालों के सेवन से शरीर में गर्माहट बढ़ती है और ऊर्जा का संचार होता है। यह विशेष रूप से सर्दी और जुकाम में उपयोगी साबित होती है।

3. काली मिर्च में पाया जाने वाला पाइपरिन शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और फैट जलने की प्रक्रिया को (When to use black pepper and white pepper) प्रोत्साहित करता है। यह वजन घटाने में सहायक हो सकता है।

4. सफेद मिर्च और काली मिर्च दोनों ही सूजन और दर्द को कम करने में सहायक होती हैं। इनका प्रयोग विशेष रूप से गठिया, शरीर में सूजन और मांसपेशियों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता है।

5. काली मिर्च का सेवन श्वसन तंत्र को भी फायदा (What is the benefit of black pepper) पहुंचाता है। यह सर्दी, खांसी और श्वास नली की समस्याओं में लाभकारी है। यह स्वास नलिका को साफ करने और श्वसन संबंधी संक्रमण से बचाने में मदद करती है।

काली और सफेद मिर्च के नुकसान - What Are The Side Effects Of White Pepper And Black Pepper

काली और सफेद मिर्च के कई फायदे हैं, लेकिन इनका अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है। इन मसालों की तीव्र तासीर के कारण, यदि किसी व्यक्ति को मुंह में छाले, पेट में जलन, चक्कर, घबराहट और उल्टी जैसी समस्याएं हो, तो उसे इन मसालों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, अत्यधिक सेवन से पाचन क्रिया में असंतुलन और पेट में जलन हो सकती है। इसलिए, इनका सेवन ऋतुओं के अनुसार, सीमित मात्रा में और सही तरीके से करना चाहिए।

काली और सफेद मिर्च का सही उपयोग - Right Way Of Use Of Black And White Pepper

1. घी में तड़का

इन मसालों को घी में तड़का लगाकर सेवन करना सबसे प्रभावी तरीका होता है। यह पाचन को बेहतर बनाता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

2. छाछ के साथ

काली मिर्च का सेवन छाछ के साथ भी किया जा सकता है, जो पाचन को बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष

काली और सफेद मिर्च दोनों का सही और सीमित उपयोग स्वास्थ्य को लाभकारी बनाता है। हालांकि, इनका अधिक सेवन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, इसलिए इनका सेवन सोच-समझ कर सीमित मात्रा में और आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह से करना चाहिए।

All Images Credit- Freepik

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