Ayurvedic Tips To Ease Labour Pain: डिलीवरी से पहले होना वाला लेबर पेन हर महिला के जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण समय होता है। लेबर पेन के दौरान महिलाओं को शारीरिक दर्द के साथ-साथ असहनीय मानसिक पीड़ा का भी सामना करना पड़ता है। डिजिटल जमाने में बेशक लेबर पेन को कम करने के कई तरीके मौजूद हैं, लेकिन आयुर्वेद में इसे कम करने के कई विकल्प मौजूद हैं। इस लेख में हम आपको लेबर पेन को कम करने के ऐसे ही आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने दिल्ली के आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. चंचल शर्मा से बात की।
1. अभ्यंग
डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, गर्भावस्था के आखिरी 2 महीनों में तिल के तेल से पेट और शरीर के निचले हिस्से का अभ्यंग (तेल मालिश) करने से मांसपेशियां लचीली बनती हैं। आखिरी महीनों में प्रतिदिन अभ्यंग करवाने से ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है, जिससे प्रसव पीड़ा (लेबर पेन) कम होता है।
इसे भी पढ़ेंः डिलीवरी के बाद बढ़े हुए पेट को कम करेंगे डॉक्टर के बताए ये ट्रिक्स, आज से करें फॉलो
2. गर्म पानी से स्नान
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का कहना है कि जैसे-जैसे महिलाओं की डिलीवरी का समय नजदीक आता है, महिलाओं को गर्म पानी से स्नान करना चाहिए। प्रसव पीड़ा से कुछ समय पहले गर्म पानी से नहाने से मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और दर्द में आराम मिलता है। इसमें आप चाहें तो पानी में थोड़ा सा एरंड (अरण्डी) का तेल या नीलगिरी का तेल मिला सकते हैं।
3. शतावरी और अश्वगंधा
गर्भावस्था के आखिरी महीनों में महिलाएं शतावरी और अश्वगंधा का सेवन करें, तो यह उनकी शारीरिक ताकत को बढ़ाता है। शतावरी और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियां हार्मोन को भी संतुलित करती हैं। हालांकि गर्भावस्था में महिलाओं को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
इसे भी पढ़ेंः क्या प्रेग्नेंसी में 8 से 10 घंटे का ट्रैवल करना सुरक्षित है? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
4. त्रिफला खाएं
त्रिफला के पोषक तत्व गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर को डिटॉक्स करते हैं। गर्भावस्था के आखिरी महीनों में त्रिफला का सेवन करें, तो यह कब्ज को दूर करता है, जिससे प्रसव के समय पेट का दबाव कम होता है और दर्द को कम करने में मदद मिलती है।
इसे भी पढ़ेंः क्या डिलीवरी से पहले वजाइना के बाल हटाना जरूरी है? स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ से जानें
5. जीरा, सौंफ और अजवाइन का काढ़ा
गर्भावस्था के आखिरी महीनों में महिलाएं जीरा, सौंफ और अजवाइन का काढ़ा पिएं तो यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है, गैस कम करता है और शरीर को ऊर्जावान बनाता है। इससे प्रसव प्रक्रिया थोड़ी कम करने में मदद मिलती है।
डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि आयुर्वेद के अनुसार मन और शरीर का गहरा संबंध होता है। यदि मन शांत और सकारात्मक रहेगा तो शरीर भी दर्द को सहने में सक्षम होगा। डिलीवरी से पहले जब महिलाओं को प्रसव पीड़ा शुरू होती है, तो उन्हें विभिन्न प्रकार के मंत्रों का जाप और मेडिटेशन करना चाहिए। आयुर्वेद इस बात को मानता है कि प्रसव पीड़ा में मानसिक ध्यान दर्द को सहने में मदद मिलती है।
इसे भी पढ़ेंः आयुर्वेद के अनुसार डिलीवरी के बाद महिला की डाइट और लाइफस्टाइल कैसी होनी चाहिए? जानें
निष्कर्ष
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के साथ बातचीत के आधार पर यह कहा जा सकता है कि आयुर्वेद में प्रसव पीड़ा को कम करने के कई उपाय हैं। हालांकि हर महिला की शरीर संरचना और गर्भावस्था की स्थिति अलग होती है, इसलिए कोई भी आयुर्वेदिक उपाय अपनाने से पहले योग्य आयुर्वेदाचार्य से सलाह जरूर लें। जिन लोगों को डॉक्टर ने प्रेग्नेंसी में बेड रेस्ट करने की सलाह दी है, वो इन उपायों को अपनाने से बचें।