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लेबर के दौरान होने वाले दर्द को कैसे कम करें? डॉक्टर से जानें

प्रसव महिलाओं के जीवन का सबसे कठिन लेकिन खूबसूरत अनुभव होता है। हालांकि इस दौरान होने वाला संकुचन यानी लेबर पेन बेहद असहनीय हो सकता है। यहां जानिए, प्रसव के दर्द को कम करने के लिए क्या करना चाहिए?
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लेबर के दौरान होने वाले दर्द को कैसे कम करें? डॉक्टर से जानें


प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के जीवन में बेहद खास और भावनात्मक होता है और इस दौरान शरीर और मन दोनों में कई बदलाव आते हैं। जब डिलीवरी का समय करीब आता है, तो एक ओर जहां अपने शिशु से मिलने की खुशी होती है, वहीं दूसरी ओर लेबर पेन का डर भी सताने लगता है। लेबर पेन यानी संकुचन (contraction) का दर्द ऐसा होता है जो कई बार असहनीय हो जाता है और महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से थका देता है। अक्सर पहली बार मां बनने जा रही महिलाएं इस दर्द को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित रहती हैं। उनके मन में एक ही सवाल बार-बार आता है, 'क्या लेबर पेन को कम किया जा सकता है?', 'क्या कोई ऐसा उपाय या दवा है जिससे संकुचन का दर्द कम हो जाए?' दरअसल, यह जानना जरूरी है कि लेबर पेन एक नेचुरल प्रक्रिया का हिस्सा है, जिससे बच्चा गर्भ से बाहर आने के लिए तैयार होता है। लेकिन आज के समय में कुछ ऐसे उपाय, तकनीक और मेडिकल विकल्प मौजूद हैं जो इस पीड़ा को सहन करने योग्य बना सकते हैं।

इस लेख में हम मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल (Dr. Tanima Singhal, Pregnancy educator and Lactation Consultant at Maa-Si Care Clinic, Lucknow) से जानेंगे कि लेबर पेन क्यों होता है, इसे कम करने के नेचुरल तरीके क्या हैं और साथ ही कुछ ऐसे सुझाव भी, जो प्रसव के इस कठिन दौर को थोड़ा आसान बना सकते हैं। अगर आप या आपके परिवार में कोई महिला मां बनने वाली है, तो यह जानकारी उनके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है।

लेबर के दौरान होने वाले दर्द को कैसे कम करें? - How To Reduce Contraction Pain During Labor

लेबर पेन गर्भाशय की मांसपेशियों के सिकुड़ने और बच्चे को जन्म नली (बर्थ कैनाल) की ओर धकेलने की प्रक्रिया के कारण होता है। यह दर्द पीठ, पेट, कमर और जांघों में महसूस हो सकता है। दर्द समय के साथ बढ़ता है और यह घंटों तक चल सकता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन कई बार ज्यादा दर्द महिला को थका देता है और मानसिक रूप से भी तनाव देता है।

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1. गहरी सांस लेना - Breathing Techniques

लेबर के दौरान गहरी सांस लेने से न केवल दर्द सहने की क्षमता बढ़ती है बल्कि शरीर को ऑक्सीजन मिलती है जिससे बच्चा भी सुरक्षित रहता है। इसके नियमित अभ्यास से डर और चिंता भी कम होती है।

2. गर्म पानी से स्नान या गर्म सेक

गर्म पानी में स्नान या पीठ व पेट के निचले हिस्से पर गर्म पानी की थैली से सेंक करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है। यह एक प्रकार की 'हाइड्रोथेरेपी' है जो लेबर पेन को अस्थायी रूप से कम कर सकती है। अगर महिला को अस्पताल में यह सुविधा मिले तो दर्द से काफी राहत मिल सकती है।

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3. संगीत थेरेपी - Music Therapy

मधुर संगीत प्रसव के समय मन को शांत रखता है और दर्द की तीव्रता कम महसूस होती है। कई अस्पतालों में आज 'बर्थिंग प्ले लिस्ट' चलाने की सुविधा दी जाती है। आपकी पसंद का हल्का, सुकून देने वाला संगीत तनाव और डर को कम करता है।

How to reduce contraction pain during labor

4. मसाज और अरोमा थेरेपी

कमर, पीठ और कंधों की हल्की मसाज से मांसपेशियां ढीली होती हैं और दर्द से राहत मिलती है। लैवेंडर, यूकलिप्टस या बादाम के तेल से मसाज करने पर आराम मिलता है। अरोमा थेरेपी में इस्तेमाल होने वाले प्राकृतिक तेल दर्द कम करने और मूड को बेहतर करने में सहायता करते हैं।

5. आयुर्वेदिक उपाय

आयुर्वेद के अनुसार गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के अंतिम महीनों में शतावरी, अश्वगंधा या सौम्य गर्म गुणों वाली औषधियां देने से शरीर को प्रसव के लिए तैयार किया जा सकता है। लेकिन इनका सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

6. पार्टनर का साथ

प्रसव के दौरान पति या किसी प्रियजन की मौजूदगी से महिला को भावनात्मक सहयोग मिलता है, जिससे दर्द सहन करना आसान होता है। रिसर्च से साबित हुआ है कि भावनात्मक सपोर्ट से एंडोर्फिन का स्राव बढ़ता है, जो प्राकृतिक पेनकिलर होता है।

निष्कर्ष

प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन इसके दौरान सही तैयारी और उपायों से दर्द को कम किया जा सकता है। योग, ध्यान, मसाज, सही खान-पान और मानसिक दृढ़ता से महिला खुद को प्रसव के लिए तैयार कर सकती है। अगर लेबर पेन के दौरान महिला को सही सपोर्ट और चिकित्सा मिले, तो यह अनुभव जीवनभर की खूबसूरत याद बन सकता है।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • 9 महीने लगने के कितने दिन बाद डिलीवरी होती है?

    गर्भावस्था सामान्यतौर पर 9 महीने या लगभग 40 हफ्तों (280 दिन) की होती है, जिसकी गणना आखिरी मासिक धर्म यानी पीरियड्स की पहली तारीख से की जाती है। हालांकि हर महिला की डिलीवरी की तारीख थोड़ी अलग हो सकती है। कुछ महिलाओं को 37वें हफ्ते के बाद ही प्रसव हो जाता है, जबकि कुछ को 41वें हफ्ते तक भी डिलीवरी हो सकती है। इसलिए 9 महीने पूरे होने के लगभग 1 से 2 हफ्तों के भीतर कभी भी डिलीवरी हो सकती है। डॉक्टर की निगरानी में अल्ट्रासाउंड और जांच से अनुमान लगाया जा सकता है।
  • प्रसव नजदीक आने के क्या लक्षण हैं? 

    प्रसव नजदीक आने पर शरीर कुछ संकेत देने लगता है। सबसे सामान्य लक्षणों में पेट नीचे की ओर खिसकना (baby dropping), बार-बार पेशाब आना, पीठ और कमर में तेज़ दर्द, थकान महसूस होना और योनि से हल्की ब्लीडिंग या सफेद-स्लिपरी डिस्चार्ज (mucus plug) निकलना शामिल हैं। इसके अलावा कुछ महिलाओं को डायरिया या मतली भी हो सकती है। यदि ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि डिलीवरी का समय नजदीक हो सकता है।
  • क्या अल्ट्रासाउंड डिलीवरी की सही तारीख बता सकता है?

    अल्ट्रासाउंड डिलीवरी की अनुमानित तारीख बताने में मदद करता है, लेकिन यह 100% सटीक नहीं होता। गर्भावस्था की शुरुआत में, खासकर पहले तिमाही में किया गया अल्ट्रासाउंड, भ्रूण की लंबाई के आधार पर अपेक्षाकृत अधिक सटीक अनुमान देता है। हालांकि, वास्तविक डिलीवरी तारीख बच्चे की ग्रोथ, मां के स्वास्थ्य और अन्य कारकों पर निर्भर करती है।

 

 

 

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