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लेबर पेन से राहत पाने में मदद करेंगे ये 5 योग, जानें कब और कैसे करें अभ्यास

लेबर पेन को कम करने में बद्ध कोणासन, बालासन, मालासन जैसे योग मदद करते हैं। ये पेल्विक एरिया की मसल्‍स को लचीला बनाकर डिलीवरी को आसान बनाते हैं।
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लेबर पेन से राहत पाने में मदद करेंगे ये 5 योग, जानें कब और कैसे करें अभ्यास


गर्भावस्‍था एक नाजुक समय होता है, इस दौरान हर कदम फूंक-फूंककर रखा जाता है। ऐसे में गर्भवती मह‍िलाओं के मन में अक्‍सर ड‍िलीवरी को लेकर कई तरह के सवाल आते हैं और लेबर पेन के बारे में सोचकर डर भी लगता है। डिलीवरी के समय, गर्भवती महिला को होने वाला दर्द बहुत तीव्र और थकाने वाला हो सकता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ विशेष योगासन (Prenatal Yoga) ऐसे होते हैं, जो डिलीवरी के समय शरीर को सहने की क्षमता देते हैं और लेबर पेन को भी कम करने में मदद करते हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये योगासन सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी महिला को प्रसव के लिए तैयार करते हैं। इस लेख में हम ऐसे ही 5 योगासनों के बारे में जानेंगे। साथ ही आपको बताएंगे इनके फायदे, स्‍टेप्‍स और इन्‍हें करने का सही समय। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के व‍िकास नगर की न‍िवासी और फ‍िटनेस एक्‍सपर्ट पायल अस्‍थाना से बात की।

1. बद्ध कोणासन- Butterfly Pose or Baddha Konasana

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बद्ध कोणासन, पेल्विक क्षेत्र को खोलता है, जांघों की जकड़न को कम करता है और डिलीवरी को आसान बनाता है। नियमित अभ्यास से लेबर पेन की तीव्रता कम हो सकती है।

  • फर्श पर बैठें, दोनों पैरों के तलवे आपस में मिलाएं।
  • घुटनों को बाहर की ओर फैलाएं।
  • हाथों से पैरों को पकड़ें और धीरे-धीरे घुटनों को ऊपर-नीचे करें।

कब करें?: सुबह या शाम के समय, खाने के 2 घंटे बाद।

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2. मार्जरासन-बिटिलासन- Cat Cow Pose or Marjaryasana-Bitilasana

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मार्जरासन-बिटिलासन, स्पाइन को फ्लेक्सिबिलिटी देता है, पीठ दर्द को कम करता है और गर्भस्‍थ श‍िशु की पोजीशन को बेहतर करने में मदद करता है।

  • अपने हाथों और घुटनों के सहारे टेबल जैसी मुद्रा में आएं।
  • सांस लेते हुए पीठ को नीचे और सिर ऊपर करें (गाय मुद्रा)।
  • सांस छोड़ते हुए पीठ को ऊपर और सिर नीचे करें (बिल्ली मुद्रा)।
  • इसे 10-15 बार दोहराएं।

कब करें?: दिन में कभी भी किया जा सकता है।

3. बालासन- Child Pose or Balasana

बालासन मुद्रा तनाव और थकान को कम करती है। पीठ और कूल्हों की मांसपेशियों को आराम देती है, जिससे लेबर के समय सहनशीलता बढ़ सकती है।

  • घुटनों के बल बैठें, फिर धीरे-धीरे आगे झुकें और माथा जमीन पर टिकाएं।
  • दोनों हाथ सामने की ओर फैलाएं या शरीर के पास रखें।

कब करें?: थकान के समय या दिन के अंत में यह आसन करना फायदेमंद है।

4. उत्कट कोणासन- Goddess Pose or Utkata Konasana

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उत्कट कोणासन मुद्रा पेल्विक और थाई मसल्स को मजबूत करती है। गर्भाशय की तैयारी में मदद करती है और डिलीवरी के समय सहनशक्ति को बढ़ाती है।

  • सीधे खड़े हो जाएं और पैरों को कंधे से ज्‍यादा फैलाएं।
  • अब घुटनों को मोड़ें और स्क्वैट की स्थिति में आएं।
  • दोनों हाथ नमस्कार की मुद्रा में या थाइज पर रखते हुए, छाती के सामने रखें।

कब करें?: सुबह या योग सेशन के बीच में करें।

5. मालासन- Garland Pose or Malasana

मालासन पेल्विक क्षेत्र को खोलता है और शरीर को डिलीवरी के लिए तैयार करता है। यह मुद्रा, श‍िशु के पेल्‍व‍िक क्षेत्र की ओर नीचे आने में भी मदद करती है।

  • पैरों को थोड़ा फैलाकर स्क्वैट की मुद्रा में बैठें।
  • दोनों हाथों को कमर पर रखें या नमस्कार मुद्रा में जोड़ें और कोहनियों को घुटनों के अंदर लगाएं।

कब करें?: दिन में 1 बार 30 सेकंड से शुरू करके धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।

गर्भवती मह‍िलाओं के ल‍िए योग करने के ट‍िप्‍स- Tips For Yoga in Pregnancy

  • इन सभी योगासनों को प्रेग्नेंसी के दूसरे और तीसरे तिमाही में डॉक्टर या प्रशिक्षित योग एक्‍सपर्ट की सलाह के बाद ही करें।
  • हर योग को धीरे-धीरे करें, अगर कोई दर्द या असहजता हो, तो तुरंत रुक जाएं।
  • योग के साथ गहरी सांस लेना (Deep Breathing) बहुत जरूरी है, यह लेबर के दौरान भी काफी मदद करता है।

ड‍िलीवरी के समय लेबर पेन को सहना आसान नहीं होता, लेकिन अगर महिला गर्भावस्था के दौरान इन आसान योगासनों का अभ्यास करे, तो डिलीवरी न केवल आसान बन सकती है, बल्कि दर्द भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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FAQ

  • नार्मल डिलीवरी के लिए कौन सा योग करें?

    नार्मल डिलीवरी के लिए बटरफ्लाई पोज, मालासन और कैट-काउ पोज फायदेमंद होते हैं। ये पेल्विक क्षेत्र को मजबूत और लचीला बनाते हैं।
  • क्या योग नार्मल डिलीवरी में मदद करता है?

    हां, नियमित योग अभ्यास शरीर को रिलैक्स करता है, पेल्विस मसल्‍स को लचीला बनाता है और लेबर के दौरान सहनशक्ति बढ़ाता है, जिससे नार्मल डिलीवरी में मदद मिलती है।
  • नार्मल डिलीवरी के लिए एक्सरसाइज कब शुरू करनी चाहिए?

    दूसरी तिमाही (14-28 हफ्ते) में डॉक्टर की सलाह से योग या हल्की एक्सरसाइज शुरू की जा सकती है, ताकि शरीर तैयार हो सके।

 

 

 

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