प्रेग्नेंसी में हर महिला के लिए अलग-अलग अनुभव हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को खुद के साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे का भी ख्याल रखना होता है। इस दौरान किसी भी तरह की गलती बच्चे और मां के लिए जोखिम का कारक बन सकती हैं। हर महिला चाहती है कि वह एक हेल्दी प्रेग्नेंसी से बच्चे को जन्म दें। इससे बच्चे के स्वस्थ होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रेग्नेंसी के अंतिम दौर में कई बार कुछ महिलाएं लेबर पेन को समय पर लाने के लिए कई तरह के उपायों को अपनाती हैं। इन उपायों में निप्पल स्टिम्युलेशन को भी शामिल किया जाता है। यह प्रसव पीड़ा का एक प्राकृतिक उपाय माना जा सकता है। इस दौरान कई महिलाओं को मन में प्रश्न उठता है कि क्या वाकई में यह तकनीक कारगर होती है? इस लेख में साईं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि क्या प्रेग्नेंसी के अंतिम दौर में निप्पल स्टिम्युलेशन से प्रसव पीड़ा को शुरु किया जा सकता है?
प्रेग्नेंसी में निप्पल स्टिमुलेशन क्या होता है?- What is Nipple Stimulation During Pregnancy In Hindi
निप्पल स्टिमुलेशन का अर्थ है ब्रेस्ट के निप्पल और एरिओला (निप्पल के चारों ओर का क्षेत्र) को हाथों से या अन्य साधनों से धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से स्टिम्युलेट (उत्तेजित) करना। इससे महिला के शरीर में ऑक्सीटोसिन हार्मोन के रिलीज को बढ़ावा मिल सकता है, यह हार्मोन गर्भाशय संकुचन (यूटराइन कॉन्ट्रैक्शन) और प्रसव आरंभ करने में प्रमुख भूमिका निभाता है। ऑक्सीटोसिन वही हार्मोन है जो स्तनपान के दौरान दूध आने (लेट-डाउन रिफ्लेक्स) को भी नियंत्रित करता है। कई मामलों में कुछ देशों में मेडिकल रूप से प्रसव शुरू करने के लिए सिंथेटिक ऑक्सीटोसिन (पिटोसिन) भी अस्पतालों में दिया जाता है।
2015 में वर्ल्डव्यूज ऑन एविडेंस-बेस्ड नर्सिंग में प्रकाशित एक स्टडी में करीब 390 प्रेग्नेंट महिलाओं को शामिल किया गया था। इन महिलाओं को तीन भागों में बांटा गया था। पहले भाग की महिलाओं को निप्पल स्टिम्युलेशन, दूसरे ग्रुप की महिलाओं को यूट्राइन स्टिम्युलेशन और तीसरे को कुछ न करने की सलाह दी गई। इस स्टडी में निप्पल स्टिम्युलेशन करने वाली महिलाओं का लेबर टाइम अन्य की तुलना में सबसे कम पाया गया। साथ ही, इन महिलाओं को सिजेरियन डिलीवरी की भी आवश्यकता नहीं हुई। फिलहाल, इस विषय पर कई अन्य रिसर्च की भी आवश्यकता है।
निप्पल स्टिमुलेशन कैसे काम करता है? - How Nipple Stimulation Works In Pregnancy In Hindi
- जब निप्पल को उत्तेजित किया जाता है, तो मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन रिलीज होता है। ऑक्सीटोसिन के प्रभाव से महिलाओं में आगे बताए लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
- गर्भाशय की मांसपेशियां संकुचित (कॉन्ट्रैक्शन) होने लगती हैं।
- यह कॉन्ट्रैकशन नियमित होते हैं, जिससे सर्वाइकल डाइलेशन (गर्भाशय ग्रीवा का खुलना) संभव होता है।
- यह प्रक्रिया प्रसव को गति दे सकती है।
- कुछ महिलाओं में यह तरीका प्रभावी होता है, खासकर जब शरीर पहले से प्रसव के लिए तैयार हो रहा होता है यानी जब सर्विक्स मुलायम हो और थोड़ा खुल चुका हो।
निप्पल स्टिमुलेशन करने का सही तरीका - How to use nipple stimulation to induce labor
निप्पल स्टिम्युलेशन से पहले आपको डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। आगे जानते हैं इसे कैसे किया जाता है।
- इसे करने के लिए आप आरामदायक अवस्था में बैठें या लेटें।
- इसके बाद हल्के हाथों से निप्पल और एरिओला क्षेत्र को उंगलियों से गोल-गोल घुमाते हुए मसाज करें।
- प्रत्येक ब्रेस्ट पर शुरुआत में लगभग 2-5 मिनट तक मसाज कर सकती हैं।
- यदि गर्भाशय में नियमित कॉन्ट्रैक्शन शुरू हो जाएं, तो रुक जाएं और शरीर की प्रतिक्रिया को देखें।
- अगर इस प्रक्रिया में दर्द महसूस हो रहा हो, तो तुरंत रुकें और डॉक्टर से संपर्क करें।
निप्पल स्टिमुलेशन करते समय किन बातों का ध्यान दें - Prevention Tips Of Nipple Stimulation During Pregnancy In Hindi
- इस प्रक्रिया को तभी अपनाएं जब गर्भावस्था पूर्ण अवधि (कम से कम 39 सप्ताह) में पहुंच चुकी हो।
- अगर, महिला को पहले सीजेरियन डिलीवरी हुई हो ऐसे में बिना डॉक्टर से सलाह लिए इसे नहीं करना चाहिए।
- अगर, आपका डॉक्टर प्रसव को अभी शुरू न करने की सलाह दे चुका है, तो निप्पल स्टिमुलेशन से बचना चाहिए।
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निप्पल स्टिमुलेशन प्रसव को शुरु करने का एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका हो सकता है, लेकिन इसे सही समय पर और सही तरीके से किया जाना चाहिए। हालांकि हर महिला का शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है, इसलिए इस तकनीक को आजमाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। यदि आपको पहले से किसी तरह की समस्या है और डॉक्टर से सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दी है तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।