आयोडीन की कमी बड़े या हो बच्चे किसी को भी प्रभावित कर सकती है। दरअसल, आयोडीन शरीर के कुछ जरूरी खनिज पदार्थों में से एक है। पर आज भी दुनिया भर के कई बच्चे आयोडीन की कमी के शिकार हैं और ये उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर रही है। इसी बारे में हमने डॉ संजय चौधरी (Dr.Sanjay Choudhary), वरिष्ठ सलाहकार, बाल रोग, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, जयपुर से बात की। डॉ. संजय बताते हैं कि बात अगर सिर्फ बच्चों में आयोडीन की कमी की करें, तो इसका सबसे बड़ा कारण है संपूर्ण डाइट की कमी और रॉक सॉल्ट लेना। दरअसल, रॉक सॉल्ट में आयोडीन की कमी होती है और सी सॉल्ट में इसकी कमी नहीं होती है। आयोडीन की कमी होने पर बच्चा जन्म से ही डल और सुस्त होता है। उनके एक्टिविटी की तुलना करें तो, ऐसे बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में कमजोर और सुस्त नजर आते हैं। इसके अलावा भी आप बच्चों में आयोडीन की कमी के लक्षण (Iodine deficiency symptoms in children) देख सकते हैं। तो, आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे में विस्तार से।
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बच्चों में आयोडीन की कमी के लक्षण-Iodine deficiency symptoms in children
1. जन्म से बच्चे का सुस्त होना
डॉ. संजय चौधरी बताते हैं कि जिन बच्चों में आयडीन की कमी जन्म से होती है ये उनकी मां में आयोडी की कमी के कारण हो सकता है। दरअसल, जिन महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान आयोडीन की कमी होती है, उनके बच्चे भी बीमार रहते हैं। आयोडीन की कमी थायराइड हार्मोन के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और थायराइड हार्मोन ही शरीर में एनर्जी लाने में मदद करती है। जब शरीर में आयोडीन की कमी होती है तो थायराइड हार्मोन सही से काम नहीं करता, शरीर में एनर्जी नहीं रहती और इसी कारण बच्चा सुस्त लगता है।
2. थायराइड से जुड़ी परेशानी
बच्चे में थायराइड से जुड़ी परेशानी का सबसे बड़ा कारण आयोडीन की कमी है। थायराइड हमारे गले में दिखने वाला एक तितली जैसा ग्लैंड है। ये थायराइड स्टूमुलेटिंग होर्मोन (TSH) से सिग्नल लेकर बॉडी में थायराइड होर्मोन बनाता है। जब आयोडीन की कमी होती है तो ये असंतुलित हो जाता है और इसके कारण हाइपरथाइरॉयडिज़्म की शिकायत होती है। साथ ही शरीर में हाइपरथाइरॉयडिज़्म के लक्षण नजर आने लगते हैं।
3. घेंघा रोग
आयोडीन की कमी घेंघा रोग का सबसे आम कारण है। थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने के लिए शरीर को आयोडीन की आवश्यकता होती है। अगर आपके आहार में पर्याप्त आयोडीन नहीं है, तो थाइरोइड बड़ा हो जाता है और जितना हो सके उतना आयोडीन पाने की कोशिश करता है और गले में ये घेंघा रोग हो जाता है। इसलिए आयडीन की कमी होने पर सबसे पहले घेंघा रोग होने के खतरे को चेक किया जाता है।
4. पेट फूला लगना
आयोडीन की कमी से पेट फूल जाता है। आपने कई बार देखा भी होगा कि कुछ बच्चों का पेट बहुत ज्यादा निकला होता है जबकि बाकी शरीर कमजोर नजर आता है। दरअसल, आयोडीन की कमी के कारण हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है और आपके पेट और आंतों के कामकाज को प्रभावित करके खाना पचाने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। धीमी गति से पाचन के कारण बच्चे का पेट हमेशा फूला हुआ नजर आता है।
5. खाना ना पचा पाना
थायराइड हार्मोन आपके पेट के काम काज को भी प्रभावित करती है। तभी आपने देखा होगा कि थायराइड हार्मोन की कमी होने पर या ज्यादा हो जाने पर ये वजन बढ़न और पेट की कई समस्याओं का कारण बनता है। ये पाचन लक्षणों को प्रभावित करता है और जिसके कारण इसमें कमी भी आ जाती है। इसकी वजह से अपच, सीने में दर्द और पेट संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। साथ ही ऐसे बच्चों में कब्ज की समस्या भी रहती है। शरीर में पानी का संतुलन नहीं बन पाता और मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण भी उसका शरीर बाकी अंगों के साथ मिल कर डाइजेशन से लेकर एक्सक्रिएशन तक के सामान्य से प्रोसेस को करने में भी सक्षम नहीं हो पाता है।
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6. वजन कम होना
वजन का काम होना बच्चो में आयोडीन की कमी का एक बड़ा लक्षण है। दरअसल, जब बच्चे का खान पान सही नहीं होता या फिर उसका खाना सही से नहीं पचता उसके शरीर को खाना नहीं लग पाता है और उसका वजन कम होता जाता है। इसके अलावा थायराइड ग्लैंड की सही से काम ना करना मेटाबोलिज्म को भी प्रभावित करता है और इसी वजह से बच्चे का संतुलित नहीं रहता है।
7. बच्चे की ग्रोथ ना होना
आयोडीन की कमी बच्चों की ग्रोथ से भी जुड़ी हुई है। जब बच्चे का थायराइड गड़बड़ा जाता है, उसका मेटाबोलिज्म से लेकर शरीर में बाकी विटामिन और खनिजों का संतुलन भी बिगड़ जाता है। इसकी वजह से ना उसका शारीरिक ग्रोथ हो पाता है ना कि उसके शरीर में ग्रोथ के लक्षण नजर आते हैं।
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8. मानसिक विकास ना हो पाना
बच्चों में जब आयोडीन की कमी होती है, तो उसका मानसिक विकास धीमा होता है। यहां तक कि ऐसे बच्चो में सोचने और समझने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है। ऐसी स्थिति में बच्चा पढ़ाई भी नहीं कर पाता है और बाकी बच्चों की तुलना में नॉर्मल चीजों के प्रति भी उसकी समझ कमजोर होती है।
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बच्चों में आयोडीन की कमी से बचाव के उपाय- Tips to prevent Iodine deficiency in children
1. बच्चों को दें एक बैलेंस डाइट
ज्यादातर लोगों को लगता है कि अगर बच्चों में आयोडीन की कमी है तो वे नमक के कारण है। जबकि इसके पीछ एक खराब डाइट का भी बड़ हाथ है। दरअसल, जब आपकी डाइट खराब होती है और उसमें पौष्टिक फलों और सब्जियों की कमी होती है तो, इससे आयोडीन की कमी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आयोडीन एक ट्रेस खनिज है और ये नमक के अलावा कई अन्य चीजों में भी मिल सकता है। तो आयोडीन की कमी से बचाने के लिए अपने बच्चों के खाने में
मछली
अंडे
मीट
रोटी
डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही और पनीर
समुद्री नमक
आयोडीन युक्त टेबल नमक आदि को शामिल करें
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2. खाने में बढ़ाएं माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा
आयोडीन की कमी से बचना है तो, प्रेग्नेंसी के समय से ही एक औरत को अपने खाने में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स बैलेंस का खास ध्यान देना चाहिए। साथ ही बच्चे का जन्म के बाद अपने खाने में उन फलों, सब्जियों और अनाजों को शामिल करें जिनमें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स हों और जो विटामिन और खनिज पदार्थों से भरपूर हों।
इसके अलावा बच्चों में आयोडीन की कमी को लेकर डॉ. संजय चौधरी कहते हैं कि अच्छी बात ये है कि भारत में अब आयोडीन की कमी से बीमार बच्चों की संख्या कम हो गई है। पर आज भी हमें इसे लेकर दूसरे लोगों में जागरूकता फैलानी चाहिए। पर हमें सबसे ज्यादा ध्यान बच्चों में आयरन की कमी पर देना चाहिए। दरअसल, भारत में हर दूसरा बच्चा आयरन की कमी को झेल रहा है तो, स्वस्थ भारत के लिए जरूरी है कि हम आयोडीन की कमी के साथ बच्चों में आयरन की कमी को भी दूर करें।
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