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मेनोपॉज के बाद UTI की समस्या क्यों बढ़ जाती है? डॉक्टर ने बताए इसके कारण

Menopause and UTI problems in Hindi: कई महिलाएं मेनोपॉज के बाद पेशाब में जलन या बार-बार पेशाब आने जैसी समस्याओं से बहुत जूझती है। इसकी वजह होती है UTI और इसके कारणों के बारे में डॉक्टर ने इस लेख में बताया।

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मेनोपॉज के बाद UTI की समस्या क्यों बढ़ जाती है? डॉक्टर ने बताए इसके कारण


Menopause and UTI problems in Hindi: पीरियड्स शुरू होने से लेकर मेनोपॉज तक महिलाओं के हार्मोन्स में कुछ न कुछ बदलाव होते ही रहते हैं। इन सब में मेनोपॉज ऐसी स्टेज होती है, जो पीमेनोपॉज से होते हुए मेनोपॉज तक जाती है। महिलाओं में मेनोपॉज 45 से 55 साल की उम्र के बीच होता है और इस दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन्स का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है। जब मेनोपॉज हो जाता है, तो महिलाओं को पीरियड्स आना भी बंद हो जाते हैं। लेकिन इस दौरान महिलाओं को शारीरिक दिक्कते भी होने लगती हैं। इसमें सबसे ज्यादा जिस समस्या को महिलाएं झेलती हैं, वो है बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) का होना। इस समस्या के कई कारण होते हैं, जिसके बारे में हमने दिल्ली के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के स्त्रीरोग विशेषज्ञ विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. साधना सिंघल विश्नोई (Dr. Sadhna Singhal Vishnoi, Senior Consultant – Obstetrics and Gynecology, Cloudnine Group of Hospitals, New Delhi, Punjabi Bagh) से बात की।

मेनोपॉज के बाद UTI का रिस्क होने के कारण

एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी

डॉ. साधना कहती हैं, “दरअसल, मेनोपॉज के बाद शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल काफी ज्यादा कम हो जाता है। एस्ट्रोजन मूत्रमार्ग (urethra) और योनि की परत को मजबूत बनाता है और साथ ही अच्छे बैक्टीरिया (लैक्टोबैसिलस) को बैलेंस करता है। अगर एस्ट्रोजन कम होने लगता है, तो ये परते पतली और सेंसटिव होने लगती है और अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन भी खराब होने के कारण इंफेक्शन बहुत आसानी से हो सकती है। इसलिए इस दौरान UTI की संभावना बढ़ जाती है।”

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योनि और मूत्रमार्ग की परत का पतला होना

डॉ. साधना बताती हैं कि जैसाकि मैंने बताया कि एस्ट्रोजन मूत्रमार्ग और योनि को दीवारें पतली हो जाती है और उनमें लचीलापन भी कम हो जाता है। इससे संक्रमण होने का रिस्क बढ़ जाता है। इसलिए मेनोपॉज के बाद अक्सर जलन, बार-बार पेशाब आने और UTI के लक्षणों की शिकायत लेकर आती हैं।

अच्छे बैक्टीरिया का कम होना

डॉ साधना कहती हैं, “जब तक महिलाओं की फर्टिलिटी की उम्र रहती हैं, तब तक योनि में लैक्टोबैसिलस अच्छा बैक्टीरिया मौजूद रहता है। इस वजह से योनि में खराब बैक्टीरिया नहीं जमा हो पाते, लेकिन मेनोपॉज के बाद लैक्टोबैसिलल बैक्टीरिया कम हो जाते हैं। इस वजह से इंफेक्शन करने वाले E. coli जैसे बैक्टीरिया ज्यादा होने लगते हैं।”

मूत्राशय का कमजोर होना

डॉ. साधना के अनुसार, मेनोपॉज के दौरान उम्र बढ़ने लगती है और इसका असर मूत्राशय पर भी पड़ता है। इसकी मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और इस वजह से पेशाब पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाता और थोड़ी मात्रा में मूत्राशय में रह जाता है। यह जमा हुआ पेशाब बैक्टीरिया के पनपने में मददगार साबित होता है और इससे UTI का रिस्क बढ़ जाता है।

इम्यूनिटी कमजोर होना

डॉ. साधना कहती हैं कि मेनोपॉज के दौरान शरीर की इम्यूनिटी भी धीरे-धीरे घटने लगती है। जब इम्यूनिटी कमजोर होती है, तो संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।

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हेल्थ से जुड़ी समस्याएं

डॉ. साधना कहती हैं कि कुछ महिलाओं को मेनोपॉज के बाद डायबिटीज या ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। अगर किसी महिला को डायबिटीज है, तो UTI का रिस्क नार्मल से कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि शरीर की इम्यूनिटी काफी ज्यादा कमजोर हो जाती है।

लाइफस्टाइल फैक्टर

डॉ. साधना ने बताया कि जिन महिलाओं को पानी कम पीने, पेशाब रोकने, पर्सनल हाइजीन न रखने और टाइट कपड़े पहनने की आदत होती है, उनमें मेनोपॉज के बाद UTI का रिस्क बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

डॉ.साधना जोर देते हुए कहती हैं कि जो महिलाएं मेनोपॉज के दौर से गुजर रही हैं, वे खुद की साफ-सफाई रखने के साथ डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का चेकअप जरूर कराएं। अगर महिलाओं को UTI का कोई भी लक्षण जैसे पेशाब करते समय जलन, बार-बार पेशाब आना, पेट के निचले हिस्से में दर्द या बदबूदार पेशाब आए, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

 

FAQ

  • गंभीर यूटीआई के क्या लक्षण हैं?

    गंभीर UTI में मरीज को तेज बुखार, ठंड लगते हुए कंपकंपी होना, पीठ या पसलियों के नीचे दर्द, मतली, उल्टी या या पेशाब में खून आना शामिल हो सकता है। अगर समय पर इलाज न कराया जाए, तो किडनी में इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
  • मेनोपॉज के समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

    मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को बैलेंस और न्यूट्रिशन वाली डाइट लेनी चाहिए, कसरत करना और अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान रखना चाहिए। इससे महिलाओं को प्रीमेनोपॉज और मेनोपॉज के दौरान होने वाली दिक्कतें कम होती है। 
  • Menopause में क्या-क्या प्रॉब्लम होती है?

    मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को हॉट फ्लैशेस, रात में पसीना आना, नींद में समस्या, मूड में बदलाव, योनि का सूखापन, हड्डियों का कमजोर होना और मूत्राशय पर कंट्रोल की परेशानियां होती हैं। 

 

 

 

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