मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में बढ़ सकता है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन कम बनता है। इससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

Pallavi Kumari
Written by: Pallavi KumariUpdated at: Apr 17, 2020 08:00 IST
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में बढ़ सकता है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

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मेनोपॉज (Menopause) यानी कि पीरियड्स के बंद हो जाने पर अक्सर महिलाओं में एस्ट्रोजन होर्मोन का का स्तर गिरता है और इसलिए भी अंडाशय अंडे का उत्पादन बंद कर देते हैं। आमतौर पर, महिलाएं अपने 40 या 50 के उम्र के बीच मेनोपॉज में आ जाती हैं। वहीं टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) भी आमतौर पर 45 वर्ष की उम्र के बाद शुरू होता है। ये भी उसी उम्र है जब ज्यादा महिलाएं मेनोपॉज की ओर बढ़ने लगती हैं। ऐसे में मेनोपॉज की शुरुआत में महिलाओं में डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। वहीं हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन कम बनने से ये आपकी कोशिकाएं इंसुलिन प्रभावित करने लगती हैं और तब ये हार्मोन रक्तप्रवाह से ग्लूकोज (चीनी) को आपकी कोशिकाओं में स्थानांतरित करता है। इस तरह टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ने लगता है।

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ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा-घटा देते हैं होर्मोन्स

इसके साथ ही मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर ऊपर और नीचे चलता रहता है और इस तरह ये आपके ब्लड शुगर का स्तर भी बढ़ सकता है और गिर सकता है। अनियंत्रित हाई ब्लड शुगर तंत्रिका क्षति और देखने में परेशानी जैसी मधुमेह जटिलताओं को जन्म दे सकती है। वहीं शरीर में टाइप-2 डायबिटीज के कुछ लक्षण भी दिखने लगते हैं। 

मेनोपॉज के दौरान दिखने लगते हैं टाइप 2 डायबिटीज के ये लक्षण:

  • -आपका मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है और आपका शरीर कुशलता से कैलोरी को जला नहीं पाता, जिससे वजन बढ़ सकता है।
  • -आपके वजन का अधिकांश हिस्सा आपके पेट में दिख सकता है। पेट की चर्बी अधिक होने का मतलब है कि आपके शरीर में इंसुलिन सही से काम नहीं कर रहा है।
  • -आपका शरीर इंसुलिन बनाना धीरे-धीरे कम कर देता है।
  • -आपकी कोशिकाएं आपके द्वारा उत्पादित इंसुलिन के लिए भी प्रतिक्रिया देना बंद कर देती है।
  • - इसके अलावा नींद की कमी और ब्लड शुगर का बढ़ना-घटना भी इसके लक्षणों में से एक है। 
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बचाव के लिए ध्यान में रखें ये सावधानियां

अपने ब्लड शुगर की अक्सर जांच करवाएं

  • -हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव से रक्त शर्करा में बदलाव हो सकता है। सामान्य से अधिक बार अपने रक्त शर्करा के स्तर की जांच करें। अपने डॉक्टर से साझा करने के लिए अपने रीडिंग का रिकॉर्ड रखें।
  • -अपनी मधुमेह की दवा को समायोजित करें।
  • -अगर हार्मोन परिवर्तन या वजन बढ़ने के कारण आपका रक्त शर्करा बढ़ जाता है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात करें। आपको अपने ब्लड शुगर लेवल को को स्थिर रखने के लिए अपनी दवा की खुराक बढ़ाने या दूसरी दवा जोड़ने की आवश्यकता हो सकती है। 

अपना ख्याल रखना

अच्छी तरह से भोजन करना और सक्रिय रहना हमेशा मधुमेह के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन मेनोपॉज के दौरान यह विशेष रूप से जरूरी हो जाता है। इस समय के दौरान अधिक वजन बढ़ना आपके डायबिटीज को और बढ़ा सकता है। इसके लिए विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दुबला प्रोटीन और कम वसा वाले डेयरी का सेवन करें। अधिक वजन बढ़ने से रोकने और डायबिटीज को नियंत्रण रखने के लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट तक सक्रिय रहने की कोशिश करें।

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हृदय रोग के जोखिमों को नियंत्रित करें

टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में हृदय रोग अधिक आम है। रजोनिवृत्ति के बाद, आपके हृदय रोग का जोखिम भी बढ़ जाता है। हृदय रोग के जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए आपको अपने वजन को नियंत्रित रखना चाहिए। इसके अलावा स्वस्थ आहार खाएं, व्यायाम करें, वजन कम करें और धूम्रपान करना छोड़ दें।

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