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ज्यादा सोचने से पेट खराब क्यों हो जाता है? समझें दिमाग-पेट कनेक्शन

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में ओवरथिंकिंग यानी जरूरत से ज्यादा सोचना एक आम समस्या बन गई है, कई लोगों को तो ज्यादा सोचने के कारण पेट में गड़बड़ी और पेट खराब जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं। यहां जानिए, ज्यादा सोचने से पेट खराब क्यों हो जाता है?
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ज्यादा सोचने से पेट खराब क्यों हो जाता है? समझें दिमाग-पेट कनेक्शन

आज के समय में ओवरथिंकिंग यानी जरूरत से ज्यादा सोचना लगभग हर व्यक्ति की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। छोटी-सी बात हो या बड़ा फैसला, दिमाग बार-बार उसी पर अटक जाता है। दिलचस्प बात यह है कि जब दिमाग लगातार चलता रहता है, तो सबसे पहले असर हमारे पेट पर दिखाई देता है। कभी अचानक पेट दर्द शुरू हो जाता है, कभी गैस, एसिडिटी, पेट खराब या मतली महसूस होने लगती है। कई लोगों को तो यह भी लगता है कि मैंने कुछ गलत खा लिया है, जबकि असल वजह खाना नहीं, बल्कि मन में चल रहा तनाव होता है। अक्सर आपने देखा होगा कि परीक्षा, इंटरव्यू, ऑफिस प्रेजेंटेशन या किसी इमोशनल टेंशन के दौरान पेट में गड़बड़ी होने लगती है। कुछ लोगों को बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है, तो कुछ का पेट बिलकुल जकड़ जाता है। इस लेख में यशोदा हॉस्पिटल, हैदराबाद की कंसल्टेंट मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट, डॉ. सारदा पासंगुलापति (Dr. Sarada Pasangulapati, Consultant Medical Gastroenterologist and Hepatologist, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से जानिए, ज्यादा सोचने से पेट खराब क्यों हो जाता है?


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ज्यादा सोचने से पेट खराब क्यों हो जाता है? - Why overthinking causes an upset stomach

डॉ. सारदा के अनुसार, दिमाग और पेट के बीच एक मजबूत रिश्ता होता है, जिसे गट-ब्रेन एक्सिस (Gut–Brain Axis) कहा जाता है। इसका मतलब है कि हमारा दिमाग और पाचन तंत्र लगातार एक-दूसरे से संवाद करते रहते हैं। जब हम शांत रहते हैं, तो पाचन प्रक्रिया सामान्य रहती है, लेकिन जैसे ही हम जरूरत से ज्यादा सोचने लगते हैं, यह संतुलन बिगड़ने लगता है। ओवरथिंकिंग के दौरान दिमाग लगातार तनाव की स्थिति में रहता है, जिसका सीधा असर पेट की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। इस दौरान शरीर में कॉर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होते हैं। ये हार्मोन शरीर को खतरे से निपटने के लिए तैयार करते हैं, लेकिन पाचन को प्राथमिकता नहीं देते।

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डॉ. सारदा बताती हैं कि तनाव और ओवरथिंकिंग के दौरान शरीर खून की सप्लाई को पेट और आंतों से हटाकर मांसपेशियों की ओर भेज देता है। इससे पेट और आंतों का काम प्रभावित होता है। इसके कारण-

  • पेट दर्द और ऐंठन
  • गैस और पेट फूलना
  • मतली या उलटी जैसा महसूस होना
  • एसिडिटी और सीने में जलन

कुछ लोगों में तनाव के कारण दस्त हो सकते हैं, जबकि कुछ को कब्ज की समस्या महसूस होती है। इसके अलावा, तनाव आंतों को ज्यादा संवेदनशील बना देता है, जिससे सामान्य पाचन भी असहज लगने लगता है।

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overthinking causes an upset stomach

पाचन पर ओवरथिंकिंग का असर - How Stress Affects Digestion

ओवरथिंकिंग और मानसिक तनाव का असर सिर्फ पेट के मूवमेंट तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह गट बैक्टीरिया को भी प्रभावित करता है। आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया पाचन और इम्यूनिटी के लिए बेहद जरूरी होते हैं। डॉ. सारदा के अनुसार, लंबे समय तक तनाव रहने से इन बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे पाचन कमजोर हो जाता है, इम्यूनिटी पर असर पड़ता है और पेट से जुड़ी समस्याएं बार-बार होने लगती हैं।

कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?

अगर ओवरथिंकिंग के साथ पेट की समस्या लंबे समय तक बनी रहे, वजन तेजी से घटे, लगातार उल्टी, खून आना या तेज दर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

निष्कर्ष

ओवरथिंकिंग सिर्फ मानसिक समस्या नहीं है, इसका सीधा असर पेट और पाचन तंत्र पर पड़ता है। दिमाग और पेट के बीच गहरा संबंध होने की वजह से मानसिक तनाव पेट को असहज बना देता है। इसलिए मन को शांत रखना न सिर्फ मानसिक सेहत, बल्कि पेट की सेहत के लिए भी बेहद जरूरी है। जब मन शांत होता है, तो पेट भी बेहतर काम करने लगता है।

All Images Credit- Freepik

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FAQ

  • ओवरथिंकिंग क्या होती है?

    ओवरथिंकिंग वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति किसी बात पर जरूरत से ज्यादा और बार-बार सोचता रहता है, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है।
  • ओवरथिंकिंग कंट्रोल करने के लिए क्या करें?

    डीप ब्रीदिंग, मेडिटेशन, नियमित नींद, समय पर भोजन और फिजिकल एक्टिविटी ओवरथिंकिंग कम करने में मदद करती है।
  • ओवरथिंकिंग IBS को ट्रिगर कर सकती है?

    जिन लोगों को पहले से IBS या सेंसिटिव डाइजेशन की समस्या होती है, उनमें ओवरथिंकिंग सीधे लक्षणों को बढ़ा सकती है।

 

 

 

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  • Current Version

  • Dec 26, 2025 10:45 IST

    Published By : Akanksha Tiwari

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