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आज के समय में खराब डाइट, लाइफस्टाइल और तनाव के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं काफी ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में आर्थराइटिस जो एक उम्र बढ़ने से जुड़ी समस्या है, कम उम्र में ही कई लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। वहीं, कुछ लोग इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) की समस्या से भी परेशान रहते हैं, जिसमें जोड़ों का दर्द, सूजन आदि समस्याएं होती हैं। IBS और गठिया दोनों ही दो अलग-अलग बीमारी है, जिसमें एक जोड़ों से जुड़ी है और दूसरे पाचन तंत्र से। लेकिन कई लोगों का मानना है कि दोनों के बीच गहरा कनेक्शन है। आइए इस लेख में हम जयपुर के नारायणा अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट - ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट डॉ. विजय कुमार शर्मा से जानते हैं कि गठिया और IBS में क्या कनेक्शन है?
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गठिया और IBS में कनेक्शन
डॉ. विजय कुमार शर्मा के अनुसार, आर्थराइटिस और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम दोनों में गहरा कनेक्शन है। यह दोनों ही स्वास्थ्य समस्या किसी एक कारण से नहीं, बल्कि कई कारणों से एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, जिसमें-
1. क्रॉनिक इंफ्लेमेशन
आर्थराइटिस, खासकर रूमेटाइड आर्थराइटिस, सोरियाटिक आर्थराइटिस और एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस, एक ऑटोइम्यून और इंफ्लेमेटरी बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपने ही जोड़ों पर हमला करने लगता है और इस कारण सूजन की समस्या बढ़ जाती है। जबकि IBS को लंबे समय तक एक फंक्शनल बीमारी के रूप में माना जाता है, लेकिन, कई IBS से पीड़ित मरीजों के आंतों में लो-ग्रेड इंफ्लेमेशन मौजूद होता है। ऐसे में जब शरीर में सूजन की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो इम्यून सिस्टम लगातार एक्टिव रहता है, सूजन के केमिकल्स पूरे शरीर में फैलते हैं। इससे न सिर्फ जोड़ों में बल्कि पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ जाती है।
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2. गट माइक्रोबायोम
गठिया और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या में एक बड़ा कनेक्शन गट माइक्रोबायोम यानी आंत और जोड़ों को जोड़ने वाली कड़ी भी है। हमारी आंतों में लगभग 100 ट्रिलियन बैक्टीरिया होते हैं, जिन्हें गट माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये हमारी इम्यून सिस्टम और सूजन के लेवल को कंट्रोल करते हैं। अगर यह माइक्रोबायोम बिगड़ जाए तो IBS पर असर, ब्लोटिंग, गैस, कब्ज की समस्या, पेट में मरोड़, आर्थराइटिस पर असर आदि समस्याएं हो सकती हैं। इसका मतलब है कि जब आंत स्वस्थ होती है तो जोड़ों का दर्द भी कम हो सकता है और जब आंत असंतुलित हो तो जोड़ों में सूजन की समस्या भी बढ़ सकती है।
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3. ऑटोइम्यून बीमारियों में IBS का ज्यादा दिखना
जिन लोगों को ऑटोइम्यून बीमारियां हैं, उन्हें सामान्य लोगों की तुलना में IBS की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। रूमेटाइड आर्थराइटिस, सोरियाटिक आर्थराइटिस, एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस आदि जैसी बीमारियों में इम्यून सिस्टम पहले से ही ज्यादा एक्टिव होता है, जिससे पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है। मरीज अक्सर बताते हैं कि जब जोड़ों की सूजन बढ़ती है, उसी समय पेट भी खराब होता है।
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4. तनाव
गठिया और IBS दोनों बीमारियों का सबसे बड़ा ट्रिगर होता है। तनाव शरीर के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करता है, लेकिन गट और इम्यून सिस्टम पर इसका प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। दरअसल, जब हम तनाव में होते हैं तो शरीर कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन बनाता है जो आंतों की गति को असामान्य बना देते हैं। वहीं IBS के लक्षण जैसे ब्लोटिंग, गैस और ऐंठन की समस्या भी बढ़ जाती है। इसी कारण कई मरीजों का मानना है कि तनाव में पेट और जोड़ों में दर्द बढ़ जाता है।
निष्कर्ष
आर्थराइटिस और IBS भले ही अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं हैं, लेकिन इनका कनेक्शन शरीर की इम्यूनिटी, गट माइक्रोबायोम, तनाव और सूजन से जुड़ी हुई है। अगर किसी व्यक्ति को जोड़ों में दर्द की समस्या और सूजन के साथ-साथ पेट में गैस, कब्ज या दस्त की समस्या भी हो तो इन्हें अलग-अलग समस्याएं मानकर अनदेखा न करें, बल्कि सही डाइट और इलाज की मदद से अपनी समस्या को जल्द से जल्द ठीक करने की कोशिश करें।
Image Credit: Freepik
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Nov 27, 2025 17:01 IST
Published By : Katyayani Tiwari