
आज के दौर में माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics) शब्द सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह अब हमारे शरीर और मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है। हर दिन हम जिन चीजों का उपयोग करते हैं, जैसे प्लास्टिक की बोतलें, पैक्ड फूड, टूथपेस्ट, कॉस्मेटिक और यहां तक कि हवा, उनमें सूक्ष्म प्लास्टिक कण मौजूद हैं। ये माइक्रोप्लास्टिक कण हमारे ब्लड फ्लो में प्रवेश कर रहे हैं और धीरे-धीरे मस्तिष्क तक पहुंच रहे हैं। ऐसे में कई लोगों का सवाल होता है कि क्या माइक्रोप्लास्टिक कॉग्निटिव फंक्शन (Cognitive Function) यानी हमारी सोचने, याद रखने और निर्णय लेने की क्षमता को भी इफेक्ट कर सकता है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने, पारस हेल्थ, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन विभाग के एचओडी, डॉ आरआर दत्ता (Dr. RR Dutta, HOD, Internal Medicine, Paras Health, Gurugram) से बात की-
क्या माइक्रोप्लास्टिक दिमागी सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं - Do Microplastics Affect Brain Function
डॉ आरआर दत्ता बताते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक का असर सिर्फ हमारे शरीर की कोशिकाओं तक सीमित नहीं, बल्कि यह कॉग्निटिव फंक्शन (Cognitive Function) यानी हमारी सोचने, याद रखने और निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है लेकिन इस पर अभी और रिसर्च होनी बाकी है। कुछ प्रयोगों में यह भी पाया गया कि जिन लोगों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा अधिक थी, उनमें ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और वर्किंग मेमोरी (Working Memory) कमजोर पाई गई।
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अगर आप सोच रहे हैं कि ये सूक्ष्म कण हमारे शरीर में कैसे पहुंचे, तो जवाब है हमारा रोजमर्रा का जीवन। प्लास्टिक की पैकेजिंग में रखा खाना, पानी की बोतलें, कपड़े, हवा में उड़ते फाइबर, ये सभी माइक्रोप्लास्टिक का सोर्स हैं। धीरे-धीरे ये कण हमारे शरीर के अंगों में जमा होकर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, इंफ्लेमेशन (Inflammation) और न्यूरोलॉजिकल बदलावों का कारण बन सकते हैं।
स्टडी क्या कहती है?
NIH की एक स्टडी के अनुसार, माइक्रो और नैनोप्लास्टिक्स के पर्यावरण में सर्वव्यापी होने के बावजूद, उनके प्रभाव और विषाक्तता पर डेटा की कमी है। ये प्लास्टिक कण विभिन्न जीवों में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, AChE गतिविधि का अवरोध, न्यूरोट्रांसमीटर स्तरों में बदलाव, और व्यवहार परिवर्तन ला सकते हैं। हालांकि, तंत्रिका तंत्र पर उनके संभावित विषाक्त प्रभाव (neurotoxicity) और मानव रोगों से उनके संबंध को समझने के लिए और अधिक शोध की सख्त जरूरत है।

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सावधानियां
चूंकि अभी तक माइक्रोप्लास्टिक का जोखिम पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन शुरुआती स्टडीज संकेत देती हैं कि सावधानी जरूरी है।
- प्लास्टिक हीटिंग या माइक्रोवेव हीटिंग से बचें, भोजन या ड्रिंक को प्लास्टिक कंटेनर में गर्म करना माइक्रोप्लास्टिक या प्लास्टिक के रसायनों के जोखिम को बढ़ा सकता है।
- माइक्रोबायोम (gut microbiome) का ख्याल रखें और इसके लिए अच्छी डाइट लें, प्रोबायोटिक्स-प्री-बायोटिक्स इस्तेमाल करें।
- प्लास्टिक उपयोग में कमी करें, उदाहरण के लिए, सिंगल-यूज प्लास्टिक स्ट्रॉ, बोतल-प्लास्टिक सीमित करें।
- पानी फिल्टर करके पिएं, प्लास्टिक बोतल की जगह ग्लास या स्टेनलेस कंटेनर में पानी रखें।
- माइक्रोप्लास्टिक केवल हमारा व्यक्तिगत नहीं, पूरे पर्यावरण का विषय है।
निष्कर्ष
वर्तमान स्टडीज संकेत दे रही हैं कि माइक्रोप्लास्टिक्स सिर्फ पर्यावरण-मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी संज्ञानात्मक क्षमता और मस्तिष्क-स्वास्थ्य के लिए एक खतरा हो सकते हैं। हालांकि, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि माइक्रोप्लास्टिक्स ही भूलने की मुख्य वजह हैं, लेकिन अनिश्चितता के बीच सावधानी जरूरी है।
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FAQ
माइक्रोप्लास्टिक क्या हैं?
माइक्रोप्लास्टिक बहुत छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं जिनका आकार 5 मिलीमीटर से छोटा होता है। ये बड़े प्लास्टिक वस्तुओं के टूटने या कपड़ों, टायरों और कॉस्मेटिक्स से निकलकर बनते हैं।माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में कैसे पहुंचते हैं?
ये मुख्य रूप से खाने से, सांस से (हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों से) और स्किन के संपर्क से शरीर में पहुंच सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक से बचाव कैसे करें?
सिंगल-यूज प्लास्टिक से बचें, स्टील, ग्लास या बायोडिग्रेडेबल वस्तुएं अपनाएं, सिंथेटिक कपड़ों की जगह कॉटन या ऊन का प्रयोग करें, प्लास्टिक कचरे का सही निपटान करें।
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Current Version
Oct 28, 2025 11:38 IST
Published By : Akanksha Tiwari