
Blood Clotting in Hindi: आजकल के खराब लाइफस्टाइल और अनियंत्रित जीवनशैली के कारण लोगों में क्रॉनिक डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके चलते जाने अंजाने में लोग माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने लगे हैं। माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आना शरीर के लिए कई तरीकों से नुकसानदायक साबित होता है। कई बार माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने से पुरुषों और महिलाओं दोनों की फर्टिलिटी पर प्रभाव पड़ सकता है। दरअसल, माइक्रोप्लास्टिक छोटे-छोटे कण होते हैं, जो प्लास्टिक की वस्तुओं में पाए जाते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने से शरीर में ब्लड क्लॉटिंग भी होती है। जी हां, हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक ऐसा होता है।
क्या कहती है स्टडी?
साइंटिफिक रिपोर्ट्स (Scientific Reports) में प्रकाशित हुई इस स्टडी के मुताबिक अगर आप लंबे समय तक माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में रहते हैं तो इससे शरीर में ब्लड क्लॉटिंग होने का भी खतरा रहता है। एक आंकड़े की मानें तो दुनियाभर में साल 1950 से लेकर 2021 तक प्लास्टिक का उत्पादन 1.5 मिलियन टन तक बढ़ा है। यही कारण है कि लोग जाने अंजाने में प्लास्टिक के संपर्क में आ ही जाते हैं। दरअसल, शरीर में माइक्रोप्लास्टिक पहुंचने पर हमारी रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं शरीर के अन्य-अन्य अंगों में सूजन का कारण भी बन सकती है। इससे शरीर में खून के थक्के बनने लगते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने के नुकसान
- माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने से हार्ट से जुड़ी समस्याएं होने के साथ-साथ कई बार कैंसर भी हो सकता है।
- इससे इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं और कई बार इम्यून सिस्टम कमजोर भी पड़ सकता है।
- माइक्रोप्लास्टिक शरीर में सूजन का कारण बनने के अलावा कई बार सेल्स को भी डैमेज कर सकता है।
- इससे व्यक्ति को कार्डियोवैस्कुलर डिजीज होने के साथ ही प्रजनन से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- इससे मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है, जिससे मेटाबॉलिक डिसऑर्डर भी हो सकता है।
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