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डायबिटीज क्यों करता है पैरों को प्रभावित? जानें कारण और बचाव के उपाय

आज के समय की खराब लाइफस्टाइल के कारण डायबिटीज एक आम बीमारी बन चुकी है। यहां जानिए, डायबिटीज का पैरों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
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डायबिटीज क्यों करता है पैरों को प्रभावित? जानें कारण और बचाव के उपाय

आज की भागदौड़ भरी और असंतुलित लाइफस्टाइल के कारण डायबिटीज जैसी बीमारियां तेजी से आम होती जा रही हैं। खराब खानपान, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, नींद की अनियमितता और तनाव जैसे कारणों से लोग कम उम्र में ही इस क्रॉनिक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। डायबिटीज एक बार हो जाए तो यह जीवनभर साथ रहने वाली समस्या बन जाती है, जिसे पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे कंट्रोल और मैनेज जरूर किया जा सकता है। डायबिटीज का असर केवल ब्लड शुगर लेवल तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह धीरे-धीरे शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है खासकर पैरों को। ऐसे में अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि डायबिटीज का असर सबसे पहले पैरों पर ही क्यों पड़ता है? पैरों में होने वाली समस्याओं के लक्षण क्या होते हैं और इनसे बचने के लिए किन सावधानियों का पालन करना चाहिए? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज से बात की-

डायबिटीज और पैरों का कनेक्शन क्या है?

जब शरीर में ब्लड शुगर का लेवल लगातार हाई रहता है, तो यह शरीर की नसों और ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाता है। पैरों में ब्लड सर्कुलेशन कमजोर होने लगता है और नर्व डैमेज यानी नर्वस का सुन्न होना या जलन होना शुरू हो जाता है। इसे 'डायबेटिक न्यूरोपैथी' कहा जाता है। डायबेटिक न्यूरोपैथी के कारण पैरों में दर्द, झनझनाहट, सुन्नता और जलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इसके अलावा पैरों में चोट लगने या कटने पर घाव जल्दी नहीं भरता और इंफेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

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डायबिटीज के कारण पैरों की समस्या क्यों गंभीर हो जाती है?

डायबिटीज से ग्रसित लोगों को पैरों में दर्द या चोट का एहसास तक नहीं होता। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनकी नसें सुन्न हो चुकी होती हैं। इसी कारण चोट लगने पर उन्हें पता नहीं चलता और जब तक घाव दिखता है, तब तक वह इंफेक्टेड हो चुका होता है। पैरों की देखभाल में लापरवाही के कारण यह समस्या और गंभीर हो जाती है।

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डायबेटीज से पैरों में होने वाली समस्याएं

1. न्यूरोपैथी

यह सबसे आम समस्या है जिसमें मरीज के पैरों में झनझनाहट, सुन्नता या जलन महसूस होती है। कुछ मरीजों को रात में ज्यादा तकलीफ होती है।

2. ब्लड सर्कुलेशन में कमी

हाई ब्लड शुगर से ब्लड वैसेल्स सिकुड़ जाती हैं, जिससे पैरों में ऑक्सीजन और पोषण की आपूर्ति घट जाती है। घाव या इंफेक्शन जल्दी ठीक नहीं होता।

3. फुट अल्सर

मामूली कट या फफोले से बड़ा जख्म बन सकता है जिसे 'डायबेटिक फुट अल्सर' कहा जाता है। इलाज में देरी से यह जख्म सड़ने लगता है।

4. गैंग्रीन

इंफेक्शन बहुत बढ़ने पर टिशू डेड हो जाते हैं, जिसे गैंग्रीन कहा जाता है। इस स्थिति में डॉक्टर को पैर का हिस्सा काटना पड़ सकता है।

डायबिटीज के मरीजों को रोजाना अपने पैरों की जांच करनी चाहिए। नमी रहित मोजे पहनें, टाइट जूते न पहनें और पैरों को साफ व सूखा रखें। पैरों में चोट, कट या फफोला दिखे तो नजरअंदाज न करें, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

पैरों को हेल्दी रखने के उपाय

  • नियमित दवा, इंसुलिन और खानपान से शुगर लेवल को कंट्रोल करें।
  • कोई कट, घाव, सूजन या रंग में बदलाव नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • पैरों को गुनगुने पानी से धोकर सुखाएं और मॉइश्चराइजर लगाएं।
  • पैरों में दबाव न पड़े ऐसे जूते या सैंडल पहनें। नए जूतों को धीरे-धीरे पहनें ताकि छाला न पड़े।
  • हल्की फुट मसाज, एक्सरसाइज और योग जैसे ताड़ासन, पादहस्तासन से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।

निष्कर्ष

डायबिटीज केवल शुगर की बीमारी नहीं है, यह पूरे शरीर को प्रभावित करती है। यदि समय रहते इसके लक्षणों को पहचाना जाए और नियमित देखभाल की जाए, तो पैरों को सुरक्षित रखा जा सकता है। लाइफस्टाइल, खानपान और सतर्कता अपनाकर पैरों की समस्याओं से बचा जा सकता है।

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FAQ

  • डायबिटीज बीमारी क्यों होती है? 

    डायबिटीज एक मेटाबॉलिक बीमारी है, जो तब होती है जब शरीर इंसुलिन हार्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाता या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पातीं। इसके कारण ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है। यह समस्या अनुवांशिक कारणों, मोटापे, गलत खानपान, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, तनाव और उम्र बढ़ने के साथ हो सकती है। डायबिटीज दो प्रकार की होती है टाइप 1 और टाइप 2। समय पर पहचान और सही लाइफस्टाइल अपनाकर इस बीमारी को कंट्रोल में रखा जा सकता है।
  • डायबिटीज की पहचान क्या है?

    डायबिटीज की पहचान कुछ सामान्य लक्षणों से की जा सकती है। इसमें बार-बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, अचानक वजन घटना, ज्यादा भूख लगना, थकान महसूस होना, नजर कमजोर होना, घाव या चोट का देर से भरना, स्किन पर खुजली या इंफेक्शन होना जैसे लक्षण शामिल हैं। कुछ लोगों में शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आते और बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है। इसलिए नियमित ब्लड शुगर जांच कराना जरूरी होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है।
  • पैरों में ताकत कैसे लाएं?

    पैरों में ताकत लाने के लिए नियमित एक्सरसाइज सबसे जरूरी है। रोजाना पैदल चलना, स्क्वाट्स, लेग लिफ्ट्स, साइक्लिंग और योगासन जैसे ताड़ासन करने से पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। बैलेंस डाइट लें जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन डी भरपूर मात्रा में हों। दूध, दही, हरी सब्जियां, सूखे मेवे और अंडे जैसे फूड्स फायदेमंद होते हैं। पर्याप्त नींद और तनाव मुक्त लाइफस्टाइल भी जरूरी है। 

 

 

 

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