सावन का मौसम स्वास्थ्य के लिहाज से विशेष सावधानी बरतने का होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण में नमी बढ़ जाती है और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी पर भी असर पड़ता है। ऐसे में खानपान को लेकर ज्यादा सतर्कता बरतना जरूरी हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में शरीर की पाचन शक्ति यानी 'अग्नि' मंद हो जाती है। ऐसे समय में भारी और कफवर्धक फूड्स का सेवन शरीर में अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा धार्मिक दृष्टिकोण से भी दही को सावन में त्यागने की परंपरा है। इसलिए साधक और व्रतधारी इस महीने में दही से परहेज करते हैं। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा (Ayurvedacharya Shrey Sharma of Ramhans Charitable Hospital, Sirsa) से जानिए, सावन महीने में दही क्यों नहीं खाना चाहिए?
सावन महीने में दही क्यों नहीं खाना चाहिए? - Why Curd Is Avoided In Sawan
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, 'दही को गुरु आहार माना गया है, यानी यह भारी और पचने में कठिन होता है। जब शरीर की पाचन क्षमता कमजोर होती है, तो दही का सेवन पेट में भारीपन, गैस, सर्दी-जुकाम और बलगम जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।' आयुर्वेद में भोजन की प्रकृति, रस, गुण, वीर्य और विपाक के आधार पर आंकी जाती है। दही का स्वाद अम्लीय होता है और यह गुरु यानी भारी, स्निग्ध (चिकनाईयुक्त) और कफवर्धक होता है। गर्मी में जहां दही शरीर को ठंडक और एनर्जी प्रदान करता है, वहीं सावन में यह नुकसानदेह बन सकता है। डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि इस मौसम में कफ का बढ़ना सामान्य है और यदि हम दही जैसे कफवर्धक पदार्थ का सेवन करते हैं, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है, खासकर बच्चों और वृद्धों में।
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पाचन तंत्र पर असर
सावन में वातावरण की नमी के कारण पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है। इस मंद अग्नि में भारी और अम्लीय भोजन पचने में कठिनाई उत्पन्न करता है। दही न केवल भारी होता है, बल्कि यह आमतौर पर शरीर में जलन और गैस भी उत्पन्न करता है। यही कारण है कि आयुर्वेद में कहा गया है कि इस मौसम में दही का सेवन करने से कब्ज, अपच, एसिडिटी और पेट फूलने की समस्याएं बढ़ सकती हैं। आचार्य चरक और सुश्रुत जैसे आयुर्वेदाचार्यों ने भी वर्षा ऋतु में हल्का, सुपाच्य और गर्म भोजन करने की सलाह दी है। दही इन मानकों पर खरा नहीं उतरता।
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धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
आयुर्वेदिक कारणों के अलावा दही के परहेज का धार्मिक पक्ष भी है। हिन्दू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का विशेष काल माना जाता है। यह समय साधना, संयम और सात्विक जीवनशैली का होता है। दही को तमोगुण प्रधान आहार माना गया है, जिसका अर्थ है कि यह आलस्य, निद्रा और शरीर में जड़ता उत्पन्न करता है। साधना करने वालों के लिए सात्विक और ऊर्जावान आहार की जरूरत होती है। इसलिए ऐसे में दही जैसे आहार से परहेज करना ही उचित है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद केवल रोगों के उपचार तक सीमित नहीं है, यह जीवन जीने की एक शैली है जो ऋतु, भोजन और शरीर के स्वभाव को ध्यान में रखकर संतुलन बनाने की शिक्षा देता है। सावन का महीना आध्यात्मिक और प्राकृतिक दोनों दृष्टियों से विशेष होता है। ऐसे समय में दही जैसे भारी और कफवर्धक पदार्थ का सेवन न करना स्वास्थ्य के लिए हितकर माना गया है।
इसलिए यदि आप इस सावन स्वस्थ और एनर्जेटिक रहना चाहते हैं, तो दही से कुछ समय का विराम लें। आयुर्वेदिक लाइफस्टाइल अपनाकर आप अपने शरीर को ऋतु के अनुरूप ढाल सकते हैं, जिससे न केवल रोगों से बचाव होता है बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी मिलती है।
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FAQ
दही का सेवन कब नहीं करना चाहिए?
आयुर्वेद के अनुसार दही का सेवन रात के समय, वर्षा ऋतु, सर्दी-जुकाम या कफ संबंधी समस्या होने पर नहीं करना चाहिए। दही भारी, अम्लीय और कफवर्धक होता है, जिससे पाचन तंत्र पर असर पड़ता है और सर्दी-खांसी, बलगम, पेट में गैस या अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अस्थमा, एलर्जी या फंगल इन्फेक्शन से पीड़ित लोगों को भी दही से परहेज करना चाहिए। साथ ही, दही को गर्म करके या गर्म चीजों के साथ नहीं खाना चाहिए।दही में क्या मिलाकर खाना चाहिए?
दही को ज्यादा पौष्टिक और सुपाच्य बनाने के लिए उसमें कुछ चीजें मिलाकर सेवन करना लाभकारी होता है। आप दही में भुना हुआ जीरा, काला नमक, हींग, पुदीना पत्ता मिलाकर खा सकते हैं, इससे पाचन में सुधार होता है और गैस व अपच की समस्या नहीं होती। गर्मियों में दही में खीरा, टमाटर, या प्याज मिलाकर रायता बनाना भी स्वास्थ्यवर्धक होता है।दही से पेट में गैस बनती है क्या?
हां, कुछ लोगों को दही खाने से पेट में गैस की समस्या हो सकती है, खासकर जब पाचन शक्ति कमजोर हो या दही गलत तरीके से खाया जाए। दही एक भारी और कफवर्धक आहार है, जिसे पचाना कठिन हो सकता है। अगर इसे रात में, ठंडे मौसम में या अधिक मात्रा में खाया जाए तो यह अपच, गैस और पेट फूलने जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।
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