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सावन में कढ़ी खाने की मनाही क्यों होती है? आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से जानें

सावन के दौरान ज्यादातर घरों में कढ़ी नहीं बनाई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस मौसम में कढ़ी खाने की मनाही क्यों होती है?
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सावन में कढ़ी खाने की मनाही क्यों होती है? आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से जानें


Why don't we eat curry in Sawan: बरसात का मौसम आखिर किसे पसंद नहीं होता है? ठंडी-ठंडी हवा और रिमझिम बारिश देखते हुए चाय पीने का मजा ही कुछ और होता है। लेकिन इस मौसम में लोगों को डायरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियां भी ज्यादा होती है। इसलिए मानसून में खानपान पर खास ध्यान देने की सलाह दी जाती है। ऐसे में कई चीजें खाना फायदेमंद होता है जबकि कुछ चीजों को खाना नुकसानदायक माना जाता है। सावन में कढ़ी खाने की मनाही भी होती है। आपने अपनी दादी-नानी को सावन में कढ़ी न खाने की सलाह देते जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों कहा जाता है। इसका जवाब हमने जाना हरियाणा स्थित सिरसा जिले के आयुर्वेदिक डॉ श्रेय शर्मा से।

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सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? Why Is Kadhi Not Good In Sawan

आयुर्वेद के मुताबिक कढ़ी को छाछ या दही से तैयार किया जाता है। ये अत्यंत पित्तवर्धक होती है और सावन में इनके सेवन से शरीर में पित्त बढ़ सकता है। दरअसल, बरसात के मौसम में पाचन अग्नि धीमी होती है। इस कारण पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और खाना देरी से पचता है। इस वजह से शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ जाती है और परेशानी शुरू हो जाती है। आयुर्वेद में कढ़ी को अत्यंत पित्तवर्धक माना जाता है। इसके सेवन से शरीर में पित्त की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ सकती है। इसलिए बरसात के मौसम में कढ़ी खाने की मनाही होती है।

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बरसात के मौसम में कढ़ी खाने से क्या परेशानी हो सकती है?

आयुर्वेद के मुताबिक पित्तवर्धक होने के कारण कढ़ी सावन में शरीर में पित्त बढ़ा सकती है। इसके कारण पाचन क्रिया धीमी हो सकती है और खाना पचने में ज्यादा समय लग सकता है। इसके कारण पाचन संबंधित समस्याएं जैसे गैस, एसिडिटी, ब्लोटिंग और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस कारण शरीर में वात दोष भी बढ़ सकता है और पाचन संबंधित समस्याएं बनी रहती हैं।

कढ़ी को दही और बेसन से तैयार किया जाता है। ये दोनों ही चीजें पचने में भारी होती हैं जिससे सावन में परेशानियां हो सकती हैं। दही और बेसन दोनों में बरसात के मौसम में बैक्टीरिया पड़ जाते हैं। ये इंफेक्शन और बीमारियों की वजह हो सकते हैं। इसलिए सावन में कढ़ी खाने की मनाही होती है। दही की तासीर ठंडी होती है और सावन के दौरान वातावरण में उमस होती है। ऐसे में दही का सेवम करने से पेट खराब हो सकता है और पेट में ठंड बैठ सकती है।

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सावन में पित्तवर्धक खाद्य पदार्थो का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए?

अगर सावन में पित्तवर्धक खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाएगा, तो इस कारण कई समस्याएं हो सकती हैं। इस कारण पाचन अग्नि मंद हो जाती है जिससे पाचन क्रिया और पाचन तंत्र को नुकसान होता है। पित्तवर्धक खाद्य पदार्थ पाचन संबंधित समस्याओं की वजह भी बन सकते हैं। इनके कारण ब्लोटिंग, एसिडिटी, अपच और पेट दर्द का सामना करना पड़ सकता है। पित्तवर्धक खाद्य पदार्थ ब्लीडिंग डिसऑर्डर की वजह भी बन सकते हैं। इनके कारण लिवर से जुड़ी समस्याएं, माता निकलना, पाइल्स में ब्लीडिंग होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में कई लोगों को बुखार और भूख न लगने जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।

निष्कर्ष

सावन में कढ़ी खाना सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कढ़ी पित्तवर्धक होती है। इसके सेवन से शरीर में पित्त बढ़ता है और परेशानी हो सकती है। पित्त बढ़ने के कारण एसिडिटी, ब्लोटिंग या अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ये पाचन क्रिया को धीमा कर सकती है जिससे खाना देरी से पचेगा। इसके अलावा, तासीर अलग होने से शरीर में वात दोष भी बढ़ सकता है। इन कारणों से सावन में कढ़ी खाना नुकसानदायक होता है। लेख में आपको सामान्य जानकारी दी गई है। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए एक्सपर्ट से बात करें।

FAQ

  • सावन में दही क्यों नहीं खाया जाता है?

    दही गुरु आहार माना गया है इसलिए इसे पचने में समय लगता है। जब शरीर की पाचन क्षमता कमजोर होती है, तो दही का सेवन पेट में भारीपन, गैस और बलगम जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सावन में दही नहीं खाना चाहिए।
  • सावन में बैंगन क्यों नहीं खाना चाहिए?

    आयुर्वेद के मुताबिक बैंगन को पित्तवर्धक माना जाता है। इसके सेवन से शरीर में पित्त दोष बढ़ सकता है और कई समस्याएं हो सकती हैं। बरसात में बैंगन में कीड़े लगने का खतरा भी ज्यादा होता है। इस कारण भी शरीर को नुकसान हो सकता है।
  • सावन मास में कौन सी चीजें नहीं खानी चाहिए?

    सावन में भारी और देरी से पचने वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस मौसम में पाचन क्रिया धीमी होती है। इस दौरान मांस, तला-भूना, मसालेदार, भारी और ज्यादा ठंडी चीजें नहीं खानी चाहिए। 

 

 

 

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