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क्या आयुर्वेद में बवासीर का इलाज संभव है, जानें आयुर्वेदाचार्य से

Can Ayurvedic cure Piles: बवासीर जैसी बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति कई प्रकार की दवाओं को अपनाने के बाद ये सवाल करते हैं क्या आयुर्वेद में बवासीर का इलाज संभव है?
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क्या आयुर्वेद में बवासीर का इलाज संभव है, जानें आयुर्वेदाचार्य से


Can Ayurvedic cure Piles: बवासीर एक बहुत ही आम लेकिन शरीर को तकलीफ देने वाली बीमारी है। बवासीर में मलद्वार के आसपास की रक्त वाहिनियों में सूजन हो जाती है। इस सूजन के कारण बवासीर के मरीज को मल त्याग के दौरान अत्यधिक दर्द, जलन और कभी-कभी खून आने की समस्या होती है। इन दिनों जब लोगों के बीच जंक, प्रोसेस्ड फूड और कोल्ड ड्रिंक का सेवन बढ़ रहा है, तब बवासीर के मरीजों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। बवासीर जैसी बीमारी के जब इलाज की बात आती है, जो एलोपैथी में इसे विभिन्न प्रकार की दवाओं और सर्जरी के जरिए ठीक किया जाता है। लेकिन जब बात आयुर्वेदिक पद्धति से बवासीर का इलाज (Bawaseer ka Ilaj) कराने की आती है, तो लोग कन्फ्यूजन की स्थिति में रहते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं आयुर्वेद के जरिए बवासीर का इलाज हो सकता है या नहीं।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने आयुर्वेदिक सेंटर माधवबाग के सीईओ और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. रोहित साने (Dr. Rohit SANE, Founder madhavbaug, MBBS in Medicine & Surgery and Ayurvedic Expert) से बात की।

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बवासीर क्या है? - What is Piles?

गूदे और मलद्वार के आसपास होने वाली सूजन को बवासीर कहा जाता है। बवासीर मुख्य रूप से 2 प्रकार की होती है।

1. आंतरिक बवासीर (Internal Piles)- आंतरिक बवासीर मुख्य रूप से गुदे के अंदर होता है। आंतरिक बवासीर में मुख्य रूप से गूदे और मलद्वार में दर्द नहीं होता है, लेकिन खून आ सकता है। मलद्वार से निकलने वाले खून के कारण ये डरावना लग सकता है।

2. बाहरी बवासीर (External Piles)- ये मुख्य रूप से गुदा के बाहर नजर आता है। इस प्रकार के बवासीर में काफी तेज दर्द, जलन और खुजली की परेशानी होती है।

आयुर्वेद में बवासीर का दृष्टिकोण

डॉ. रोहित साने बताते हैं कि आयुर्वेद में बवासीर को अर्श नाम से जाना जाता है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में वात दोष अत्यधिक बढ़ जाता है, तो इससे मल मार्ग में सूखापन और सख्ती आती है।

क्या आयुर्वेद में बवासीर का इलाज है?

इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. रोहित साने कहते हैं कि आयुर्वेद में बवासीर का इलाज बिल्कुल संभव है। आयुर्वेद में सबसे पहले इस बात का पता लगाया जाता है कि किसी व्यक्ति को बवासीर होने का मुख्य कारण क्या है। अगर किसी व्यक्ति को खानपान या गलत आदतों के कारण बवासीर हुआ है, तो पहले उसे ठीक करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद किसी प्रकार की चीजों को अपनाया जाता है।

आयुर्वेद में बवासीर का इलाज

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, आयुर्वेद में बवासीर का इलाज कई प्रकार से किया जाता है। इसमें शामिल हैःहर्बल औषधियां (Ayurvedic Herbs)आयुर्वेदाचार्य कहते हैं कि जब खानपान और रोजमर्रा की जीवनशैली से बवासीर में जब किसी प्रकार की परिवर्तन नहीं आता है, तब हर्बल औषधियों के जरिए इसे ठीक करने की कोशिश की जाती है।

- त्रिफला चूर्ण

बवासीर से पहले होने वाले कब्ज दूर करने के लिए लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन करने की सलाह दी जाती है। एक्सपर्ट के अनुसार, रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला चूर्ण लेने से पेट की अच्छे तरीके से सफाई हो जाती है। त्रिफला चूर्ण के तत्व मल को मुलायम बनाकर मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाता है।

- अर्जुन छाल

बवासीर में होने वाले ब्लीडिंग को रोकने में अर्जुन की छाल बहुत फायदेमंद होती है। अर्जुन की छाल में मौजूद फाइबर पाचन शक्ति बढ़ाता है, जिससे गुदे और मलद्वार में होने वाली सूजन कम होती है।

- हरड़हरड़

हरड़हरड़ एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो मल को मुलायम बनाकर मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाता है। हरड़ के पोषक तत्व गूदे और मलद्वार पर होने वाली सूजन को घटाते हैं।piles_in_hindi

2. योग

बवासीर में औषधियों के साथ-साथ नियमित तौर पर विभिन्न प्रकार के योगाभ्यास करने की भी सलाह दी जाती है। बवासीर में ऐसे योगासन करने के लिए कहा जाता है, जिससे कब्ज और पाचन से जुड़ी परेशानी दूर हो। इसमें शामिल हैः

  • अभयारिष्ट
  • अर्श कुठार
  • रसकायाकल्प
  • वटीमाजून मुकर्र

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बवासीर के इलाज में आयुर्वेदिक पंचकर्म थेरेपी

कुछ गंभीर मामलों में बवासीर के इलाज के लिए पंचकर्म थेरेपी भी अपनाई जाती है। बवासीर के इलाज में अपनाई जाने वाली पंचकर्म थेरेपी हैं।

1. कषाय बस्ती- इस थेरेपी में औषधीय एनिमा से पेट की सफाई की जाती है, ताकि कब्ज और पाचन से जुड़ी परेशानी दूर हों। इससे मल को मुलायम बनाकर मल त्याग की प्रक्रिया को सरल बनाने की कोशिश की जाती है।

2. कुंचन क्रिया- इसमें गुदा वाली जगह पर तेल से मालिश की जाती है। इससे बवासीर में होने वाली सूजन और जलन की परेशानी की होती है।

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निष्कर्ष

बवासीर एक ऐसी समस्या है जिससे लाखों लोग पीड़ित हैं, और बहुत से लोग इसके इलाज के लिए सर्जरी की ओर जल्दी रुख करते हैं। लेकिन आयुर्वेद में इसका इलाज न केवल संभव है बल्कि सुरक्षित, प्राकृतिक और स्थायी भी है। यदि शुरुआती चरण में ही इसका उपचार शुरू किया जाए, तो बवासीर को बिना सर्जरी के पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को बवासीर की समस्या है, तो इस विषय पर एक बार आयुर्वेदाचार्य से बात जरूर करें।

FAQ

  • बवासीर को तुरंत ठीक कैसे करें?

    बवासीर को तुरंत ठीक करना बहुत मुश्किल काम है। बवासीर को ठीक करने के लिए 2 से 4 महीनों तक वक्त लग सकता है। बवासीर से राहत पाने के लिए ठंडी Sitz बाथ लें, फाइबर युक्त और अधिक पानी पिएं। बवसीर के रोगियों को अगर लंबे समय तक मल त्याग करने में कठिनाई या मल के दौरान खून आ रहा है तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें।
  • बवासीर किसकी वजह से होता है?

    बवासीर मुख्य रूप से पाचन क्रिया से जुड़ी बीमारी है। जिन लोगों के खाने में फाइबर की कमी होती है, तो उन्हें मल त्याह की परेशानी होती है। लंबे समय तक मल त्याग के दौरान दर्द, खून आना की समस्या रहती है तो ये बवासीर का कारण बन जाता है।
  • बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए क्या खाना चाहिए?

    बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए फाइबर युक्त आहार जैसे फल, सब्जियां, अंकुरित अनाज, त्रिफला, अलसी के बीज और छाछ का सेवन करें। बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए ऐसी चीजों से दूरी बनाना जरूरी है, जिनको खाने से कब्ज की समस्या होती है।

 

 

 

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