सेहतमंद रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपनी डाइट में वही चीजें शामिल करें जो आपकी शरीर की प्रकृति (Body Type) के लिए सही हों। अक्सर लोग किसी चीज के फायदे सुनकर उसका सेवन शुरू कर देते हैं, लेकिन यह नहीं सोचते कि वह उनके शरीर के लिए सही है या नहीं। सौंफ (Fennel Seeds) एक ऐसी ही चीज है जो आमतौर पर हर घर में उपयोग की जाती है और पाचन, सांस की समस्याओं और आंखों के लिए फायदेमंद मानी जाती है। आयुर्वेद में सौंफ को शीतल, मधुर और पाचन सुधारने वाली औषधि माना गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह सभी के लिए सही है।
कई लोगों के लिए सौंफ का सेवन नुकसानदायक भी साबित हो सकता है, खासकर जब शरीर में कफ दोष या हार्मोनल असंतुलन हो। इस लेख में नोएडा के सेक्टर-12 में स्थित, अर्चित आयुर्वेदिक क्लिनिक के डॉ. अनंत त्रिपाठी (Dr. Anant Tripathi of Archit Ayurvedic Clinic, Sector 12, Noida) से विस्तार से जानेंगे कि सौंफ किसे नहीं खानी चाहिए।
सौंफ किसे नहीं खानी चाहिए? - Saunf kise nahi khani chahiye
डॉ. अनंत त्रिपाठी बताते हैं कि आयुर्वेद में सौंफ को मधुर-शीतल प्रकृति का माना गया है और इसका मुख्य प्रभाव पाचन तंत्र पर होता है। यह अग्नि को मंद किए बिना शीतलता प्रदान करती है और आमतौर पर पित्त व कफ को संतुलित करने वाली मानी जाती है। साथ ही यह वात को भी शांत करती है, लेकिन ज्यादा मात्रा में इसका सेवन वात को बढ़ा सकता है। सौंफ का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधियों में पाचन, मूत्र विकार, आंखों की जलन व सांस संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इसके बावजूद कुछ विशेष परिस्थितियों में इसका सेवन हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
1. शरीर में ज्यादा कफ होने पर
यदि आपके शरीर में कफ दोष की अधिकता है, जैसे कि बार-बार खांसी, गले में बलगम, भारीपन, नींद में आलस्य, भूख कम लगना आदि, तो सौंफ का सेवन सीमित मात्रा में ही करें। सौंफ भले ही कफ को संतुलित करती हो, लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन करने पर यह कफ को और बढ़ा सकती है, खासकर जब इसका सेवन ठंडे पानी के साथ या रात के समय किया जाए।
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2. शरीर में वात दोष
वात दोष से ग्रस्त लोगों में आमतौर पर गैस, कब्ज, जोड़ों का दर्द, नींद की समस्या, चिंता आदि समस्याएं देखी जाती हैं। रोजाना सौंफ के ज्यादा सेवन से वात दोष असंतुलित (saunf kise nahi khani chahie) हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह हल्की और ड्राई प्रकृति की होती है। यदि ऐसे व्यक्ति सौंफ का सेवन करना चाहते हैं, तो इसे घी के साथ ही लें।
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3. प्रेग्नेंट महिलाएं
प्रेग्नेंसी में सौंफ का ज्यादा सेवन गर्भाशय यानी यूट्रस को उत्तेजित कर सकता है। आयुर्वेद में ऐसे किसी भी पदार्थ से परहेज करने की सलाह दी जाती है जो यूट्रस को उत्तेजित करे, विशेषकर प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में। हालांकि हल्की मात्रा में इसका सेवन सुरक्षित माना जा सकता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
निष्कर्ष
सौंफ एक उपयोगी और गुणकारी औषधि है, लेकिन हर औषधि सभी के लिए उपयुक्त नहीं होती। यदि आपकी प्रकृति कफ प्रधान, वात प्रधान या पाचन शक्ति कम है, तो सौंफ का ज्यादा सेवन हानिकारक हो सकता है। प्रेग्नेंट महिलाओं और हार्मोनल असंतुलन से ग्रस्त लोगों को भी सावधानी बरतनी चाहिए। यदि सौंफ से आपको कोई दिक्कत होती है, तो किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य या डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
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FAQ
सौंफ खाने का सही तरीका क्या है?
सौंफ खाने का सही तरीका आयुर्वेद में व्यक्ति की प्रकृति और समय के अनुसार बताया गया है। भोजन के बाद आधा से एक चम्मच सौंफ चबाकर खाने से पाचन में सुधार होता है और मुंह की दुर्गंध भी दूर होती है। गर्म पानी के साथ सौंफ का सेवन गैस और अपच में लाभकारी होता है। सौंफ को भूनकर या त्रिफला जैसे अन्य औषधीय तत्वों के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता है।सौंफ कब खाना चाहिए?
सौंफ कब खाना चाहिए, यह आपकी स्वास्थ्य जरूरतों पर निर्भर करता है। आमतौर पर सौंफ का सेवन भोजन के बाद किया जाता है ताकि पाचन ठीक रहे और गैस, अपच जैसी समस्याएं न हों। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ सौंफ लेना वजन कम करने और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद करता है। रात को सोने से पहले सौंफ का पानी पीने से नींद अच्छी आती है और कब्ज की समस्या में राहत मिलती है।1 दिन में कितना सौंफ खाना चाहिए?
दिन में कितना सौंफ खाना चाहिए, यह व्यक्ति की उम्र, शारीरिक प्रकृति और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्य रूप से एक स्वस्थ वयस्क के लिए दिन में 1 से 3 ग्राम सौंफ का सेवन पर्याप्त माना जाता है।