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थायरॉइड की दवा लेते हुए प्रेग्नेंसी कंसीव हो जाए, तब क्या करें और क्या नहीं बता रहे हैं डॉक्टर

कई बार महिलाएं थायरॉइड की दवा ले रही होती हैं और उसी दौरान प्रेग्नेंसी भी कंसीव हो जाती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अब क्या करें? क्या दवा जारी रखें?
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थायरॉइड की दवा लेते हुए प्रेग्नेंसी कंसीव हो जाए, तब क्या करें और क्या नहीं बता रहे हैं डॉक्टर


थायरॉइड की समस्या आजकल महिलाओं में आम होती जा रही है। थायरॉइड की वजह से ना सिर्फ महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है, बल्कि ये बीमारी उनकी प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर रही है। कई बार महिलाएं थायरॉइड की दवा ले रही होती हैं और उसी दौरान प्रेग्नेंसी भी कंसीव हो जाती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अब क्या करें? क्या दवा जारी रखें? क्या थायरॉइड की गोली खाने से बच्चे पर इसका बुरा असर होता है?

थायरॉइड क्या है और इसका प्रजनन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

फरीदाबाद स्थित क्लाउडनाइन अस्पताल में एसोसिएट निदेशक और वरिष्ठ स्त्री रोग सलाहकार डॉ. शैली शर्मा (Dr. Shailly Sharma, Senior Consultant Gynaecology and Associate Director at Cloudnine Hospital, Faridabad) के अनुसार,  थायरॉइड ग्रंथि गले के सामने स्थित एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) हार्मोन बनाती है। यह हार्मोन शरीर की मेटाबोलिज्म, दिन की धड़कन और कई कामों को मैनेज करती है।

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थायरॉइड दो तरह का हो सकता है:

1. हाइपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism)- इस स्थिति में शरीर में थायरॉइड हार्मोन का प्रोडक्शन सामान्य से कम होता जाता है।

2. हाइपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism) - इसमें शरीर में अतिरिक्त मात्रा में थायरॉइड हार्मोन बनने लगता है।

थायरॉइड का प्रजनन स्वास्थ्य पर असर

डॉ. शैली शर्मा बताती हैं कि किसी भी महिला में थायरॉइड हार्मोन का असंतुलन अंडोत्सर्जन (Ovulation), पीरियड्स और भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है। यदि महिलाओं के शरीर में थायरॉइड संतुलित नहीं हो तो गर्भधारण में कठिनाई या गर्भपात जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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थायरॉइड  दवा लेते हुए प्रेग्नेंसी कंसीव हो जाए तो क्या करें?

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के अनुसार, अगर आप थायरॉइडकी दवा (जैसे एल्थरॉक्सिन) ले रही हैं और आपको पता चलता है कि आप गर्भवती हैं, तो सबसे पहला कदम है आपको सबसे पहले गायनेकोलॉजिस्ट और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। आपकी प्रेग्नेंसी की तिमाही के आधार पर डॉक्टर आपको दवा के डोज में परिवर्तन और आपको किन चीजों का ध्यान रखना है, इसकी जानकारी देंगे।

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प्रेग्नेंसी में TSH और T4 की जांच कराएं

प्रेग्नेंसी कंसीव करने के तुरंत बाद से ही महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के बदलाव आते हैं, इसलिए ऐसे में थायरॉइड लेवल की जांच जरूरी हो जाती है। डॉ. शैली के अनुसार, थायरॉइड लेवल (TSH, Free T4) की दोबारा जांच करवाई जाए। आमतौर पर TSH लेवल को पहले तिमाही में 2.5 mIU/L से कम बनाए रखने की सलाह दी जाती है। इन टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर प्रेग्नेंसी में शरीर को अधिक थायरॉक्सिन की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर आपकी दवा की मात्रा बढ़ा सकते हैं। यह बदलाव पूरी तरह सुरक्षित होता है। इसलिए महिलाओं को मानसिक तौर पर बिल्कुल भी घबराने की जरूत नहीं है।

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प्रेग्नेंसी में थायरॉइड गोली कैसे करें

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का कहना है कि प्रेग्नेंसी में थायरॉइड की गोली की डोज में बदलाव संभव होता है। प्रेग्नेंट महिलां थायरॉइड की दवा (जैसे कि एल-थायरॉक्सिन) हमेशा खाली पेट सुबह लें और खाने से कम से कम 30 मिनट पहले लें। साथ ही ध्यान दें कि आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट प्रेग्नेंसी के दौरान लिए जा रहे हैं, तो उन्हें थायरॉइड दवा से कम से कम 4 घंटे के अंतर पर लें, ताकि दवा का असर कम न हो।

थायरॉइड की दवा से बच्चे को नुकसान होता है क्या?- Does thyroid medication harm the baby?

डॉ. शैली बताती हैं कि जो महिलाएं थायरॉइड की गोली लेते हुए प्रेग्नेंसी कंसीव कर लेती हैं, उनके मन में पहला सवाल यही आता है कि क्या उनकी थायरॉइड की गोली गर्भ में पलने वाले बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है। लेकिन यह धारणा गलत है। असल में थायरॉइड की दवा अगर सही मात्रा में ली जाएं तो यह मां और बच्चे- दोनों के लिए फायदेमंद होती हैं। थायरॉइड की गोली एल्थरॉक्सिन (Levothyroxine) एक सिंथेटिक हार्मोन है जो शरीर में नैचुरल थायरोक्सिन की कमी को पूरा करता है। यह पूरी तरह सुरक्षित होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान बिना किसी संकोच के इसका सेवन किया जा सकता है।

प्रेग्नेंसी के दौरान थायरॉइड कंट्रोल में रखने के उपाय- Ways to keep thyroid under control during pregnancy

अगर आपने थायरॉइड की गोली लेते हुए प्रेग्नेंसी कंसीव कर ली है, तो आप नीचे बताए गए उपायों को अपनाते हुए थायरॉइड को कंट्रोल में रख सकती हैं।

- प्रेग्नेंसी में हर ट्राइमेस्टर मेंथायरॉइड की जांच जरूरी होती है। अगर थायरॉइड पहले से है तो पहले दो ट्राइमेस्टर में हर 4 सप्ताह पर टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।

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- थायरॉइड की दवा सुबह खाली पेट लें और इसके बाद 30 मिनट तक कुछ भी न खाएं। आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट इसे बाद में लें ताकि असर बना रहे।

- प्रेग्नेंसी में आयोडीन की कमी भी थायरॉइड को बिगाड़ सकती है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को लगभग 220 माइक्रोग्राम आयोडीन प्रतिदिन की जरूरत होती है। इसके लिए आयोडीन युक्त नमक और सप्लीमेंट का सेवन करें।

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- प्रेग्नेंसी में पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें। अपने खाने में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन B12, सेलेनियम और जिंक से भरपूर फूड्स को शामिल करें।

निष्कर्ष

थायरॉइड की दवा लेते हुए अगर प्रेग्नेंसी कंसीव हो जाए तो घबराने की जरूरत नहीं है। यह स्थिति आम होती जा रही है और नियमित जांच से पूरी तरह सुरक्षित गर्भावस्था और स्वस्थ शिशु की संभावना बनी रहती है। डॉ. शैली शर्मा कहती हैं कि थायरॉइड की गोली लेते हुए प्रेग्नेंसी कंसीव हो जाती है, तो इस विषय में डॉक्टर से बात जरूर करें।

Image Credit: Freepik.com

FAQ

  • क्या प्रेग्नेंसी में थायरॉइड की डोज बदलती है?

    हां, प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर को थायरॉक्सिन की ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए जो महिलाएं पहले से थायरॉइड की दवा ले रही होती हैं, उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान डोज में बदलाव करना जरूरी होता है।
  • क्या थायरॉइड की दवा प्रेग्नेंसी में नुकसान करती है?

    डॉ. शैली शर्मा के अनुसार, प्रेग्नेंसी में थायरॉइड की दवा की जाए तो ये मां और गर्भस्थ शिशु को नुकसान नहीं पहुंचाती है। लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान थायरॉइड की दवा की सही खुराक को पहचानना बहुत जरूरी होता है।
  • क्या थायरॉइड की वजह से गर्भपात हो सकता है?

    इस सवाल का जवाब और हां दोनों हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी में थायरॉइड असंतुलित रहे तो गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन सही दवा और देखरेख से इससे बचा जा सकता है।
  • क्या डिलीवरी के बाद दवा बंद कर देनी चाहिए?

    नहीं, डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी महिला को थायरॉइड की दवा बंद नहीं करनी चाहिए। बिना डॉक्टरी सलाह के अगर दवा खाना बंद कर दिया जाता है तो इससे डिलीवरी के बाद थायरॉइड फिर से असंतुलित हो सकता है।

 

 

 

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