
प्रेग्नेंसी एक स्त्री के जीवन का सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिनमें थायरॉइड हार्मोन का संतुलन अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गर्भावस्था के दौरान अगर थायरॉइड ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती, तो यह मां और बच्चे दोनों की सेहत को नुकसान पहुंचाता है।
अफसोस की बात ये है कि, कई बार महिलाओं की कुछ सामान्य लेकिन अनजानी गलतियां प्रेग्नेंसी में थायरॉइड जैसी बीमारी को जन्म दे देती है। आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं प्रेग्नेंसी में कौन सी गलतियों के कारण महिलाओं को थायरॉइड होता है।
थायरॉइड क्या है और यह क्यों जरूरी है?
मायो क्लीनिक की रिपोर्ट के अनुसार, थायरॉइड एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो गले के निचले हिस्से में स्थित होती है। यह थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) नामक हार्मोन बनाती है, जो शरीर की मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है।
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प्रेग्नेंसी में थायरॉइड की समस्या की दो मुख्य प्रकार
एलांटिस हेल्थकेयर दिल्ली के मैनेजिंग डायरेक्टर, इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता (Dr. Mannan Gupta, Obstetrician, Gynecologist and Infertility Specialist, New delhi) का कहना है कि प्रेग्नेंसी में होने वाले हार्मोनल बदलावों को सही तरीके से मैनेज न किया जाए, तो 2 प्रकार के थायरॉइड महिलाओं को प्रभावित करते हैं। इसमें शामिल हैः
1. हाइपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism)- जब थायरॉइड हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है।
2. हाइपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism)- जब थायरॉइड हार्मोन जरूरत से ज्यादा बनने लगता है।
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प्रेग्नेंसी में किन गलतियों के कारण होती है थायरॉइड की समस्या?
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रेग्नेंट महिलाएं कुछ गलतियां करती हैं, जिससे उन्हें थायरॉइड की संभावना कई गुणा ज्यादा होती है।
1. थायरॉइड की जांच न कराना
गर्भवती महिलाओं की सबसे बड़ी गलती यही होती है कि वे प्रेग्नेंसी प्लान करते समय या शुरुआती महीनों में थायरॉइड की जांच नहीं करातीं। यदि पहले से कोई थायरॉइड समस्या है और इसका इलाज नहीं होता, तो यह मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि प्रेग्नेंसी कंसीव करने से पहले और कंसीव करते ही थायरॉइड प्रोफाइल टेस्ट (TSH, T3, T4) जरूर कराएं।
2. आयोडीन की कमी
गर्भावस्था में शरीर को अधिक आयोडीन की आवश्यकता होती है क्योंकि यह थायरॉइड हार्मोन के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन कई महिलाएं आयोडीन युक्त नमक या आयोडीन से भरपूर आहार नहीं लेतीं, जिससे हाइपोथायरायडिज्म की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। इसलिए प्रेग्नेंसी प्लान करते समय आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें।
3. आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट को एक साथ लेना
गर्भवती महिलाओं को आयरन और कैल्शियम दोनों की आवश्यकता होती है, लेकिन इन दोनों सप्लीमेंट को एक साथ लेने से थायरॉइड दवा (थायरॉक्सिन) का असर कम हो जाता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट को कम से कम 4 घंटे के अंतर रखना चाहिए।
4. डॉक्टर की सलाह के बिना दवा बंद करना
कई बार महिलाएं थायरॉइड दवा लेते हुए प्रेग्नेंट हो जाती हैं और फिर डॉक्टर से सलाह लिए बिना दवा बंद या डोज कम कर देती हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है। अगर आपको थायरॉइड की बीमारी हैं और आपने प्रेग्नेंसी कंसीव कर ली है, तो थायरॉइड की दवा का सेवन जरूर करें और इस बारे में डॉक्टर से बात करें।
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5. अधिक मानसिक तनाव और नींद की कमी
तनाव और नींद की कमी से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो थायरॉइड फंक्शन को बाधित करता है। गर्भवती महिलाओं में यह एक आम स्थिति होती है, खासकर पहले और तीसरे ट्राइमेस्टर में। मानसिक तनाव के कारण थायरॉइड होने की संभावना कई गुणा ज्यादा होती है। तीसरे ट्राइमेस्टर में मानसिक तनाव को कम करने के लिए योग, प्राणायाम जरूर करें।
6. अनियमित खानपान और फास्ट फूड की आदत
फास्ट फूड, जंक फूड और प्रोसेस्ड चीजें आयोडीन और जरूरी पोषक तत्वों की कमी का कारण बनती हैं, जिससे थायरॉइड की बीमारी होती है। थायरॉइड जैसी बीमारी प्रेग्नेंसी के दौरान न हो, इसके लिए महिलाओं को घर का बना पौष्टिक आहार जिसमें हरी सब्जियां, फल, दूध, दही, अंडा और साबुत अनाज को शामिल करने की सलाह दी जाती है।
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प्रेग्नेंसी में थायरॉइड के लक्षण क्या हैं-
- अत्यधिक शारीरिक थकान
- कब्ज
- वजन बढ़ना
- ठंड लगना
- शारीरिक सूजन
- बाल झड़ना
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- बिना किसी कारण पसीना आना
- दिल की धड़कन तेज होना
- चिड़चिड़ापन
- वजन घटना
- भूख बढ़ना
- हाथ कांपना
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प्रेग्नेंसी में थायरॉइड होने से बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ता है?
डॉ. मनन गुप्ता कहते हैं कि प्रेग्नेंसी में थायरॉइड होने पर गर्भस्थ शिशु के विकास में बाधा आ जाती है। कुछ मामलों में थायरॉइजड के कारण समय से पहले प्रसव, गर्भपात का खतरा, जन्म के समय कम वजन और जन्म के बाद शिशु के मानसिक विकास में कमी आ सकती है।
थायरॉइड से बचाव के लिए क्या करें?
- प्रेग्नेंसी प्लान करते समय और कंसीव करते ही तुरंत थायरॉइड जांच जरूर करवाएं।
- डॉक्टर द्वारा बताई गई थायरॉइड दवा को रोज सुबह खाली पेट लें।
- अपने खाने में आयोडीन, सेलेनियम, जिंक और विटामिन बी12 से भरपूर आहार को शामिल करें।
- प्रेग्नेंसी में मानसिक तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान और वॉक जैसी एक्टिविटी को अपनाएं।
- बाजार में मिलने वाली कीटनाशक युक्त सब्जियां, प्लास्टिक कंटेनर और केमिकल्स से दूर रहें।
निष्कर्ष
गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड की समस्या को हल्के में लेना भारी नुकसान पहुंचा सकता है। यह समस्या कई बार महिलाओं की अनजानी या नजरअंदाज की गई गलतियों के कारण बढ़ जाती है। यदि सही समय पर जांच की जाए, तो इस स्थिति से पूरी तरह बचा जा सकता है।
FAQ
- गर्भवती महिला को थायरॉइड होने से क्या होता है?थायरॉइड की समस्या गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास को प्रभावित कर सकती है। इससे गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी या जन्मजात दोषों का खतरा बढ़ जाता है। मां को भी थकान, डिप्रेशन और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- प्रेगनेंसी में थायरॉइड की समस्या होने का खतरा क्या है?प्रेगनेंसी में थायरॉइड असंतुलन से भ्रूण का विकास रुक सकता है, जन्म के समय कम वजन, मानसिक विकार, या मृत शिशु का खतरा बढ़ सकता है। मां में हाई ब्लड प्रेशर, एनीमिया और प्री-एक्लेम्पसिया जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। समय पर जांच और इलाज जरूरी है।
- प्रेगनेंसी में थायरॉइड लेवल कितना होना चाहिए?प्रेगनेंसी के दौरान TSH (Thyroid Stimulating Hormone) स्तर तिमाही के अनुसार होना चाहिए:पहली तिमाही: 0.1 से 2.5 mIU/Lदूसरी तिमाही: 0.2 से 3.0 mIU/Lतीसरी तिमाही: 0.3 से 3.0 mIU/Lसटीक स्तर डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।
- प्रेगनेंसी में थायरॉइड हो तो क्या क्या नहीं खाना चाहिए?थायराइड होने पर अधिक सोया प्रोडक्ट्स, ब्रोकली, फूलगोभी, कच्ची पत्तागोभी, प्रोसेस्ड फूड, शुगर और कैफीन से बचना चाहिए। अत्यधिक आयोडीन युक्त सप्लीमेंट बिना सलाह के न लें। आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट थायरॉक्सिन दवा से अलग समय पर लें।
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