कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली टारगेटेड थेरेपी के फायदे, नुकसान और जरूरी सावधानियां

कैंसर जैसी घातक बीमारी में टार्गेटेड थेरेपी के माध्यम से कैंसर की कोशिकाओं को लक्षित कर इलाज किया जाता है, जानें इस थेरेपी के बारे में विस्तार से।
  • SHARE
  • FOLLOW
कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली टारगेटेड थेरेपी के फायदे, नुकसान और जरूरी सावधानियां


कैंसर एक जानलेवा और घातक बीमारी है। इस बीमारी के इलाज में लापरवाही बरतने पर मरीज की जान चली जाती है। कैंसर जैसी घातक बीमारी के लक्षण दिखने पर ही मरीज को डॉक्टर से परामर्श करने के बाद इलाज जरूर कराना चाहिए। कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी के अलावा कई तरह की अन्य थेरेपी भी की जाती है। कई तरह के कैंसर के इलाज में टार्गेटेड थेरेपी (Targeted Therapy) का सहारा लिया जाता है। टार्गेटेड थेरेपी कैंसर की कोशिकाओं को नियंत्रित करने और उन्हें ठीक करने के लिए की जाती है। कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और उनको विकसित होने से रोकने के लिए यह थेरेपी की जाती है। अमेरिका की एजेंसी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने भी कई तरह के कैंसर के इलाज के लिए टार्गेटेड थेरेपी के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। इस थेरेपी को डीएनए परिवर्तन और कैंसर की कोशिकाओं के विकास के हिसाब से डिजाइन किया गया है। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

कैसे काम करती है टार्गेटेड थेरेपी? (How Does Targeted Therapy Work?)

Targeted-Therapy-Cancer

(image source - freepik.com)

शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकसित होने पर कोशिकाएं शरीर में ऊतकों का निर्माण करती हैं। उदहारण के तौर पर आप रक्त कोशिकाओं, मस्तिष्क कोशिकाओं और स्किन की कोशिकाओं में कैंसर के सेल्स बनते हैं। हर तरह की कोशिकाओं का शरीर में काम होता है। आनुवांशिक उत्परिवर्तन और कई अन्य कारणों की वजह से कैंसर की कोशिकाएं शरीर में निर्माण हो जाती हैं। टार्गेटेड थेरेपी के द्वारा शरीर की इन कोशिकाओं को निष्क्रिय किया जाता है। इस थेरेपी में कैंसर की कोशिकाओं को विकसित और विभाजित होने से भी रोका जाता है। इस थेरेपी के माध्यम से शरीर में सिर्फ कैंसर की कोशिकाओं को टारगेट किया जाता है।  ट्यूमर को बढ़ने और बदलने में मदद करने वाले आनुवंशिक परिवर्तनों की पहचान करने के बाद इस थेरेपी को दिया जाता है। इसके माध्यम से कैंसर की कोशिकाओं में मौजूद प्रोटीन को टारगेट किया जाता है। टागरेटेड थैरेपी में कैंसर सेल्स को ब्लॉक करके केवल उसे नष्ट किया जाता है इसलिए मरीज की स्वस्थ कोशिकाएं इस थैरेपी में बच जाती हैं। कैंसर सेल्स स्वस्थ कोशिकाओं से अलग होती हैं। ये थैरेपी इस तरह डिजाइन की गई है कि इससे कैंसर सेल्स का अलग से पता लगाया जा सकता है और उन्हें ऐसे सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जा सकता है कि स्वस्थ कोशिकाओं को कोई हानि न पहुंचे।

इसे भी पढ़ें : ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को करना है कम तो डाइट में करें यह जरूरी बदलाव, जोखिम होगा कम

टार्गेटेड थेरेपी के प्रकार (Different Types Of Targeted Therapy)

कैंसर का इलाज तीन तरह से होता है-सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी। रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद होता है, ताकि दोबारा कैंसर से बचाव हो सके। रेडिएशन से कैंसर कोशिकाएं तो मर जाती हैं, लेकिन इससे स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचता है। अब 3डीसीआरटी और आईएमआरटी जैसी टागेर्टेड रेडिएशन थेरेपी से यह परेशानी काफी हद तक दूर हो गई है। इसमें स्वस्थ कोशिकाओं को बचाते हुए सीधे प्रभावित क्षेत्र पर रेडिएशन देना संभव होता है। यह थेरेपी कई तरह से की जाती है। इस थेरेपी को दवाओं के आधार पर बांटा गया है।

Targeted-Therapy-Cancer

(image source - freepik.com)

किन तरह के कैंसर में इस्तेमाल होती है टार्गेटेड थेरेपी? (Targeted Therapy Examples)

कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने और उन्हें विभाजित करने से रोकने के लिए टार्गेटेड थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। आपके डॉक्टर कैंसर के जीन, प्रोटीन और अन्य कारकों को बारे में जानकारी जुटाने के बाद इस उपचार का इस्तेमाल करते हैं। टार्गेटेड थेरेपी का इस्तेमाल कई तरह के कैंसर के इलाज में किया जाता है।

इसे भी पढ़ें : प्रोस्टेट कैंसर के एडवांस स्टेज में दिखते हैं ये 6 लक्षण, पुरुषों को नहीं करना चाहिए नजरअंदाज

ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)

लगभग 20% से 25% स्तन कैंसर में बहुत अधिक प्रोटीन होता है जिसे ह्यूमन एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर 2 (HER2) कहा जाता है। यह प्रोटीन ट्यूमर कोशिकाओं को विकसित करता है। यदि कैंसर "HER2 पॉजिटिव" है, तो कई टार्गेटेड थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। 

क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया (सीएमएल) (Chronic Myeloid Leukemia)

क्रोनिक मायलोइड ल्यूकेमिया के लगभग सभी मामले बीसीआर-एबीएल नामक जीन के गठन से होते हैं। यह जीन बीसीआर-एबीएल प्रोटीन नामक एंजाइम के उत्पादन की ओर जाता है। यह प्रोटीन सामान्य मायलोइड कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं की तरह व्यवहार करने का कारण बनता है। इस तरह के कैंसर का सबसे पहले टार्गेटेड थेरेपी के माध्यम से इलाज किया गया था। क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया के इलाज में टार्गेटेड थेरेपी को बहुत कारगर माना जाता है।

इसे भी पढ़ें : ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए ज्यादा बेहतर विकल्प है टार्गेटेड थेरेपी: एक्सपर्ट

लंग कैंसर (Lung Cancer)

लंग कैंसर की बीमारी में मरीज को टार्गेटेड थेरेपी दी जा सकती है। इस तरह के कैंसर में मरीज को ईजीएफआर को अवरुद्ध करने वाली दवाएं दी जाती हैं जो कैंसर के विकास को रोकने का काम करती हैं। कुछ फेफड़ों के कैंसर के लिए डॉक्टर एंजियोजेनेसिस इनहिबिटर का भी उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए टार्गेटेड थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

Targeted-Therapy-Cancer

(image source - freepik.com)

कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer)

कोलोरेक्टल कैंसर अक्सर एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (ईजीएफआर) नामक बहुत अधिक प्रोटीन बनाता है। इसमें भी टार्गेटेड थरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।

इसे भी पढ़ें : ब्रेस्ट कैंसर से बचने के उपाय क्या हैं? डॉक्टर से जानें ब्रेस्ट कैंसर के आयुर्वेदिक उपचार

लिंफोमा (Lymphoma)

लिम्फोमा में, बी कोशिकाओं का अतिउत्पादन होता है, एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका जो संक्रमण से लड़ती है। इसके इलाज में टार्गेटेड थेरेपी को अच्छा विकल्प माना जाता है।

मेलेनोमा (Melanoma)

मेलेनोमा में बीआरएफ जीन में उत्परिवर्तन होता है। इसको रोकने के लिए टार्गेटेड थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

टार्गेटेड थेरेपी के नुकसान (Side Effects Of Targeted Therapy)

कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कई थेरेपी के साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते हैं। टार्गेटेड थेरेपी के इस्तेमाल से भी मरीजों में कई लक्षण देखने को मिल सकते हैं। इस थेरेपी में दस्त, लिवर से जुड़ी समस्याएं और बालों व नाखूनों में परिवर्तन आम है। टार्गेटेड थेरेपी के कारण मरीजों में ये दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

  • खोपड़ी, चेहरे, गर्दन, छाती और पीठ पर मुंहासों जैसे दानें।
  • खुजली और जलन की समस्या।
  • सूर्य के प्रकाश के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता।
  • रूखी त्वचा की समस्या
  • आपके नाखूनों और पैर की उंगलियों पर सूजन, दर्दनाक घाव।
  • खोपड़ी और बालों के झड़ने या गंजापन की समस्या।
  • पलकों का लाल होना और आंखों से जुड़ी समस्या।

Targeted-Therapy-Cancer

(image source - freepik.com)

इसे भी पढ़ें :  अनुवांशिक ब्रेस्ट कैंसर से बचाव में कितना मददगार है जेनेटिक टेस्ट? जानें डॉक्टर से

टार्गेटेड थरेपी लेने से पहले मरीजों को डॉक्टर से इसके बारे में पूरी जानकारी जरूर लेनी चाहिए। इस थेरेपी को शुरू करने से पहले आपको हल्के साबुन और शैंपू का इस्तेमाल करना चाहिए। इस थेरेपी के दौरान होने वाली किसी भी समस्या में डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए। किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स दिखने पर मरीजों को तुरंत इसकी जानकारी डॉक्टर को देनी चाहिए।

(main image source - freepik.com)

 

Read Next

ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को करना है कम तो डाइट में करें यह जरूरी बदलाव, जोखिम होगा कम

Disclaimer