Postpartum Preeclampsia In Hindi: पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया का मतलब होता है कि बच्चे की डिलीवरी के बाद महिला को उच्च रक्तचाप यानी हाई बीपी होना। यह एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के कारण महिला के शरीर के कई ऑर्गन शिथिल पड़ जाते हैं। इसका उनकी ओवर ऑल हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। अगर किसी महिला को पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया को हो जाता है, तो उन्हें डॉक्टर से मिलकर अपना प्रॉपर ट्रीटमेंट करवाना चाहिए। ध्यान रखें कि पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया की समस्या डिलीवरी के कुछ घंटों बाद से लेकर 6 सप्ताह बाद तक हो सकता है। इस बीमारी के बारे में जानना हर गर्भवती महिला या प्रेग्नेंसी प्लान कर रही महिलाओं के लिए जरूरी है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण और कारण क्या हैं। साथ ही, जानेंगे कि क्या पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया से बचाव संभव है। इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण- Postpartum Preeclampsia Symptoms In Hindi
पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया होने पर महिला में कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे-
- सिरदर्द होना। यह दर्द कभी-कभी बहुत तीव्र होता है और अक्सर लगातार बना रहता है।
- आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती है। यहां कि आंखें रोशनी के प्रति संवेदनशीलता हो जाती हैं।
- चेहरे, हाथ, पैर और शरीर के अन्य अंगों में सूजन हो जाती है।
- पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया होने पर पेट में दर्द होने लगता है। खासकर, पेट के ऊपरी दाहिनी ओर और पसलियों के नीचे।
- पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के कारण सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।
- कुछ महिलाओं को पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया होने पर उल्टी और मतली के लक्षण भी नजर आते हैं।
- पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के कारण सामान्य से कम पेशाब आने लगता है।
- पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया होने की वजह से डिलीवरी के एक सप्ताह के बीच वजन बढ़ने लगता है।
पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के कारण- Postpartum Preeclampsia Causes In Hindi
मोटापाः पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के मुख्य कारणों में से एक है मोटापा। ध्यान रखें कि मोटापा कई तरह की बीमारियों की अकेली वजह हो सकता है। इसलिए, अगर डिलीवरी के बाद तेजी से वजन बढ़ रहा है, तो इसे हल्के में न लें। वजन बढ़े, तो इसके कारण को जानने की कोशिश करें।
हाई ब्लड प्रेशरः अगर किसी महिला को पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत है, तो डिलीवरी के बाद उनकी कंडीशन बिगड़ने का जोखिम रहता है। वहीं, अगर महिला को पिछली प्रेग्नेंसी में भी पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया हुआ था, तो अगली प्रेग्नेंसी में पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया होने का रिस्क बहुत ज्यादा होता है।
क्रॉनिक कंडीशनः अगर महिला को टाइप 1, टाइप 2 डायबिटीज रहा है या किसी तरह का ऑटोइम्यून डिजीज है, तो इस स्थिति में भी महिला को डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया हो सकता है। ऐसी महिलाओं को अपनी हेल्थ को लेकर बहुत ज्यादा ध्यान रखना चाहिए।
फैमिली हिस्ट्रीः अगर किसी महिला के परिवार में पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया की हिस्ट्री रही है, तो उनमें भी इस बीमारी के होने का खतरा बना रहता है।
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पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया से बचाव कैसे करें- Prevention Tips Of Postpartum Preeclampsia In Hindi
वैसे तो पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया को पूरी तरह बचाव करना संभव नहीं है। हां, इसके रिस्क फैक्टर्स को मैनेज करने की कोशिश की जा सकती है। इसके लिए यहां बताए गए टिप्स को अमल में लाएं-
- हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें। जैसे वजन बढ़ने न दें, नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और हेल्दी तथा बैलेंस्ड डाइट ही लें।
- अपने ब्लड प्रेशर को नियमित रूप से मोनिटर करें। इससे गंभीर स्थिति का समय रहते पता लगाने में मदद मिलती है।
- डिलीवरी के बाद पर्याप्त रेस्ट करें। आप जितना ज्यादा रेस्ट करेंगी, आपकी बॉडी उतनी तेजी से रिकवर होगी और पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया जैसी कंडीशन के विकसित होने का खतरा भी कम होगा।
- अगर पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर के पास जाने में देरी न करें। उन्हें अपनी स्थिति के बारे में बताएं। वे आपको प्रॉपर ट्रीटमेंट करेंगे।