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प्रेग्‍नेंसी में एक्लेम्पसिया होने पर मां और भ्रूण को पहुंच सकता है नुकसान, जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज

नवेदा हेल्थ केयर सेंटर की रेडियोलॉजिस्ट और अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट डॉ. कविता अनेजा का कहना है कि गर्भावस्था में एक्लेम्पसिया एक गंभीर स्थिति है। जिसका इलाज समय के साथ करना जरूरी होता है।  
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प्रेग्‍नेंसी में एक्लेम्पसिया होने पर मां और भ्रूण को पहुंच सकता है नुकसान, जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज


गर्भावस्था सुनने में जितनी आसान और खूबसूरत लगती है, असल मायनों में उससे 10 गुना ज्यादा मुश्किल होती है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में बदलाव होने की वजह से महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर, पैर और हाथों में सूजन और पेशाब के जरिए शरीर का प्रोटीन बाहर आने लगता है। गर्भावस्था में महिलाओं को जब इस तरह की समस्याएं होती हैं, तो इसे बहुत ही आम बात मानती हैं। महिलाओं को लगता है कि जैसे ही बच्चे की डिलीवरी होगी, ये समस्याएं अपने आप ही ठीक हो जाएंगी। लेकिन गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर और पैर व हाथों की सूजन को प्रीक्लैंप्सिया कहा जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है। समय रहते अगर इसका इलाज नहीं होता है, तो स्थिति गंभीर होती चली जाती है और इसकी वजह से महिलाओं को एक्‍लेम्‍पसिया हो जाता है। गर्भावस्था में एक्लेम्पसिया होने से मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को जान का खतरा रहता है। प्रेग्‍नेंसी में एक्लेम्पसिया होने का कारण क्या है और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है, इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए ओनलीमायहेल्थ की टीम ने रोहिणी के नवेदा हेल्थ केयर सेंटर की रेडियोलॉजिस्ट और अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट डॉ. कविता अनेजा से बात की।

प्रेग्‍नेंसी में प्रीक्लैंप्सिया के लक्षण क्या हैं?- Signs and Symptoms of Preeclampsia in Hindi

डॉ. कविता अनेजा के अनुसार, गर्भावस्था में एक्लेम्पसिया से ज्यादा प्रीक्लैंप्सिया पर ध्यान देना जरूरी होता है। अगर महिलाएं प्रीक्लैंप्सिया के लक्षणों पर गौर करके समय के साथ इलाज शुरू करवा दें, तो इससे एक्लेम्पसिया होने की संभावना को रोका जा सकता है। आइए जानते हैं गर्भावस्था में प्रीक्लैंप्सिया होने पर क्या-क्या लक्षण नजर आ सकते हैं?

  • लगातार सिर में दर्द रहना
  • पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
  • हाथों और चेहरे पर असामान्य सूजन
  • अचानक वजन बढ़ना
  • सांस लेने में तकलीफ़
  • धुंधला दिखाई देना 
  • पेट के सीधे हाथ वाले हिस्से में हल्का दर्द रहना

डॉ. अनुजा की मानें तो गर्भावस्था के 12वें सप्ताह के बाद अगर किसी महिला को ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं, तो उसे तुरंत अपने गायनोकॉलोजिस्ट से बात करनी चाहिए। इसके साथ ही गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर 140/90 मिलीमीटर से ज्यादा रहता है, तो भी आपको डॉक्टर से बात करने की जरूरत है।

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प्रेग्‍नेंसी में प्रीक्लैंप्सिया होने का कारण- What causes preeclampsia in Hindi

गर्भावस्था में प्रीक्लैंप्सिया होने के कई कारण हो सकते हैं। इसमें परिवार की हिस्ट्री, महिला की उम्र और रोजमर्रा की जीवनशैली से जुड़ी परेशानियां शामिल हैं। गर्भावस्था में प्रीक्लैंप्सिया होने के कारण नीचे बताए गए हैं : 

  • जेनेटिक कारण
  • ऑटोइम्यून डिसऑर्डर
  • गर्भ में एक से ज्यादा भ्रूण का होना, जैसे जुड़वां या तीन बच्चे
  • 40 साल की उम्र के बाद गर्भधारण करना
  • गर्भधारण करने वाली महिलाओं का वजन ज्यादा रहना
  • डायबिटीज, लिवर की बीमारी, ल्यूपस या अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण प्रीक्लैंप्सिया का कारण हो सकते हैं। 

डॉक्टर के अनुसार, गर्भावस्था में प्रीक्लैंप्सिया के लक्षण 12वें सप्ताह के बाद नजर आते हैं। प्रीक्लैंप्सिया को रोकने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन डॉक्टर कुछ दवाओं के जरिए इसे ठीक कर सकते हैं।

प्रेग्‍नेंसी में प्रीक्लैंप्सिया होने पर क्या परेशानियां हो सकती हैं? - What are the Complications of Preeclampsia in Hindi

स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, गर्भावस्था में प्रीक्लैंप्सिया होना एक बहुत ही गंभीर स्थिति है। अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह गर्भधारण करने वाली मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है। इतना ही नहीं गर्भावस्था में प्रीक्लैंप्सिया होने से नीचे बताई गई परेशानियां भी हो सकती हैं :

  • प्लेटलेट कम होने के कारण ब्लीडिंग की समस्या होना
  • प्लेसेंटल एब्डॉमिनल (गर्भाशय की दीवार से प्लेसेंटा का अलग होना)
  • लिवर को नुकसान
  • किडनी फेलियर 
  • इसके अलावा बच्चे का समय से पहले जन्म होना भी प्रीक्लैंप्सिया के कारण हो सकता है।
 

प्रेग्‍नेंसी में प्रीक्लैंप्सिया का इलाज क्या है?- What is the Treatment of Preeclampsia in Hindi

डॉ. कवीता अनुजा का कहना है कि गर्भावस्था में अगर किसी महिला को प्रीक्लैंप्सिया जैसी स्थितियों को सामना करना पड़ता है, तो रेडियोलॉजिस्ट उसका इलाज करते हैं। इस स्थिति में एक खास तरह की दवा दी जाती है, जिसका प्रभाव होने वाली मां और बच्चे पर बिल्कुल भी नहीं पड़ता है। लेकिन यह दवा सिर्फ स्वास्थ्य विशेषज्ञों की देखरेख में ही दी जानी चाहिए। 

All Image Credit: Freepik.com

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