Is It Common To Get Preeclampsia After Delivery In Hindi: प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं का शरीर बहुत कमजोर हो जाता है। इसलिए, उन्हें इंफेक्शन जैसी समस्याओं का रिस्क बना रहता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि डिलीवरी के बाद उन्हें प्रीक्लेम्पसिया जैसी बीमारी भी हो सकती है। हालांकि, यह बहुत रेयर है। इसके बावजूद, डिलीवरी के बाद महिलाओं को अपनी हेल्थ को लेकर लापरवाही नहीं करनी चाहिए। आपको बता दें कि प्रीक्लेम्पसिया प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली गंभीर बीमारी है, जिसमें हाई ब्लड प्रेशर और पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। आमतौर पर इसे जेस्टेशनल हाई ब्लड प्रेशर के साथ जोड़कर देखा जाता है। मगर क्या यह डिलीवरी के बाद भी हो सकती है? अगर हां, तो इसके कारण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है। इस बारे में हमने Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
क्या डिलीवरी के बाद प्रीक्लेम्पसिया होना सामान्य होता है?- Is It Common To Get Preeclampsia After Delivery In Hindi
डिलीवरी के बाद प्रीक्लेम्पसिया होने को पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के नाम से जाना जाता है। यह संभव है कि डिलीवरी के बाद महिलाओं को यह बीमारी हो। लेकिन, रेयर मामलों में ही देखा जाता है कि प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं को पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया है। जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया था कि यह बीमारी प्रेग्नेंसी से जुड़ी हुई है। लेकिन, डिलीवरी के बाद कुछ महिलाओं को यह बीमारी होने का अंदेशा हो सकता है। कभी-कभी डिलीवरी के 6 सप्ताह बाद यह स्थिति नजर आ सकती है। हालांकि, डिलीवरी के 48 घंटों बाद ही इसके लक्षण नजर आने लगते हैं। यहां तक कि अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया नहीं था, तो भी डिलीवरी के बाद यह परेशान हो सकती है।
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डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण- Postpartum Preeclampsia Symptoms
- हाई ब्लड प्रेशरः पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के कारण महिलाओं में 140/90 140/90 mm Hg या इससे ज्यादा ब्लड प्रेशर हो सकता है।
- पेशाब में प्रोटीन की मात्रा का होनाः अगर पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाए, तो यह किडनी के खराब होने की ओर इशरा करता है।
- दर्द होनाः पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के कारण पेट के ऊपरी हिस्से, कंधे और पूरे शरीर में किसी न किसी तरह का दर्द महसूस करना।
- आंखों की रोशनी का प्रभावित होनाः पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया में आंखों की रोशनी भी प्रभावित होने लगती है। फ्लैश लाइटिंग और प्रकाश के प्रति सेंसिटिविटी भी बढ़ सकती है।
- सूजनः पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया में चेहरे, हाथ, पैर या शरीर के अन्य हिस्सों में सूजन आ जाती है।
- मतली और उल्टीः पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया में मरीज को बार-बार मतली और उल्टी की समस्या हो सकती है।
- पेशाब में कमीः पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया में भी पेशाब की कंसिस्टेंसी में भी कमी देखी जा सकती है।
- वजन कम होनाः पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया के कारण लाइफस्टाइल और डाइट में किसी तरह का बदलाव न करने के बाद वजन अचानक और तेजी से कम होने लगता है।
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डिलीवरी के बाद प्रीक्लेम्पसिया के कारण- Postpartum Preeclampsia Causes
हालांकि, डिलीवरी के बाद प्रीक्लेम्पसिया क्यों होता है, इसका सटीक कारण अब तक पता नहीं चला है। विशेषज्ञों की मानें, तो कुछ फैक्टर इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसलिए, बहुत जरूरी है कि आप प्रेग्नेंसी के दौरान अपनी पूरी मेडिकल हिस्ट्री डॉक्टर के साथ शेयर करें। अगर हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत है, तो डॉक्टर को इस बारे में बताने में जरा भी देरी न करें। अगर शरीर में कोई भी असामान्य लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर को उसकी सूचना दें।
पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया से जुड़े जोखिम- Postpartum Preeclampsia Risk Factors
अगर समय रहते डिलीवरी के बाद महिला ने पोस्टपार्टम प्रीक्लेम्पसिया का इलाज नहीं करवाया, तो ऐसे में उन्हें कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। जैसे-
- लिवर और किडनी का स्थाई रूप से खराब होना
- मिर्गी के दौरे पड़ना
- लंग्स में अतिरिक्त फ्लूइड का जमा होना
- स्ट्रोक
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