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प्रीक्लेम्पसिया का खतरा किन लोगों को ज्यादा होता है? डॉक्टर से जानें

Who Is Most At Risk For Preeclampsia: आमतौर पर प्रीक्लेम्पसिया का खतरा गर्भवती महिलाओं को होता है, लेकिन जितनी पहली प्रेग्नेंसी है या जो आईवीएफ प्रक्रिया की मदद ले रही हैं। उन्हें भी इसका खतरा रहता है।
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प्रीक्लेम्पसिया का खतरा किन लोगों को ज्यादा होता है? डॉक्टर से जानें


Who Is At Risk For Preeclampsia During Pregnancy: प्रीक्लेम्पसिया प्रेग्नेंसी से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। यह समस्या तब होती है, जब ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। असल में प्रीक्लेम्पसिया हाइपरटेंसिव डिस्ऑर्डर का एक प्रकार है, गर्भावस्था के 20वे सप्ताह के बाद इसके होने का जोखिम बढ़ जाता है। आपको बता दें कि प्रीक्लेम्पसिया इतनी गंभीर है कि यह शरीर के ऑर्गन तक को डैमेज कर सकती है। इसलिए, बहुत जरूरी है कि हर गर्भवती महिलाओं को न सिर्फ इससे संबंधित लक्षणों के बारे में पता हो, बल्कि किन महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया का रिस्क अधिक रहता है, उन्हें इसके बारे में भी संपूर्ण जानकारी हो। आज इस लेख में Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से हम यही जानेंगे कि आखिर प्रीक्लेम्पसिया का खतरा किन लोगों को अधिक रहता है और इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है।

प्रीक्लेम्पसिया का खतरा किन्हें अधिक रहता है?- Who Is More At Risk For Preeclampsia

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पहली प्रेग्नेंसी में

प्रीक्लेम्पसिया का खतरा पहली बार हुई प्रेग्नेंट महिलाओं को बहुत ज्यादा रहता है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि शरीर प्लेसेंटा में मौजूद पैरेंटल एंटीजन के प्रति नए तरह से इम्यूनिटी डेवेलप होती है। ऐसी स्थिति में कई बार प्लेसेंट को ब्लड पहुंचाने वाली ब्लड वेसल्स सही तरह से काम नहीं करती हैं। माना जाता है कि असामान्य विकास और प्लेसेंट डिसफंक्शन की वजह से महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है, जिससे प्रीक्लेम्पसिया का रिस्क बढ़ जाता है।

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ट्विन प्रेग्नेंसी

डॉ. शोभा गुप्ता के अनुसार, "अगर किसी महिला की ट्विन प्रेग्नेंसी है, तो उन्हें भी प्रीक्लेम्पसिया का रिस्क अधिक होता है। इसी तरह अगर किसी की ट्रिप्लेट प्रेग्नेंसी है, तो उन्हें इसका जोखिम और ज्यादा होता है।" एनसीबीआई में प्रकाशित लेख से भी इस बात की पुष्टि होती है। इस लेख से पता चलता है कि जब किसी महिला की ट्विन या ट्प्लिट प्रेग्नेंसी होती है, तो ऐसे में प्लेसेंटा मास बढ़ जाता है। ऐसे में प्लेसेंटा तक पर्याप्त मात्रा में रक्त पहुंचाने वाली ब्लड वेसल्स सही तरह से काम न करे, तो महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। इसमें प्रीक्लेम्पसिया एक है।

आईवीएफ प्रक्रिया

American Heart Association की मानें, "जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के लिए आईवीएफ प्रक्रिया की मदद लेती हैं, उन्हें भी प्रीक्लेम्पसिया का जोखिम बहुत ज्यादा होता है। दरअसल, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से गर्भवती महिला को हृदय और प्लेसेंटा संबंधी समस्या हो सकती है। ये स्थितियां प्रीक्लेम्पसिया  का खतरा बढ़ा सकती हैं। खासकर, आर्टिफिशियल फ्रोजन एंब्रेयो ट्रांसफर साइकिल के दौरान, जहां कॉर्पस ल्यूटियम, जो कि एक अस्थायी अंतःस्रावी ग्रंथि है जो हर पीरियड्स साइकिल के दौरान ओवरीज में बनती हैं। ऐसे में हेल्दी प्रेग्नेंसी संभव नहीं हो पाती है, क्योंकि हार्मोन सिक्रेशन और सर्कुलेटरी बदलाव सही तरह से नहीं हो पाते हैं।"

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हेल्थ कंडीशन

अगर किसी महिला को क्रॉनिक हाई ब्लड प्रेशर, क्रॉनिक किडनी डिजीज, डायबिटीज और अन्य ऑटो इम्यून से जुड़ी समस्याएं हैं, तो उन्हें भी प्रीक्लेम्पसिया का खतरा काफी ज्यादा होता है। इसके अलावा, अगर किसी महिला को अपनी पहली प्रेग्नेंसी में प्रीक्लेम्पसिया का रिस्क रहा है, तो दूसरी प्रेग्नेंसी में भी इसका जोखिम बना रहता है। इसलिए, विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि इस तरह की कंडीशन में गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। इसके इतर उन्हें नियमित रूप से अपनी जांच करवाते रहना चाहिए।

निष्कर्ष

प्रीक्लेम्पसिया एक गंभीर बीमारी है। हर गर्भवती महिला को इसके लक्षणों के बारे में पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि इसका रिस्क किन महिलाओं को अधिक होता है। अगर किसी भी गर्भवती महिला को प्रीक्लेम्पसिया का रिस्क है, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर अपना ट्रीटमेंट करवाना चाहिए।

All Image Credit: Freepik

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  • Sep 24, 2025 15:11 IST

    Modified By : Meera Tagore
  • Sep 24, 2025 15:11 IST

    Published By : Meera Tagore

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