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प्रेग्नेंसी में हाई शुगर और बीपी से क्यों बढ़ता है भविष्य में हार्ट डिजीज का रिस्क? जानें डॉक्टर से

High Sugar and BP in Pregnancy:प्रेग्नेंसी में जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज या ब्लड प्रेशर होता है, उन्हें भविष्य में इस वजह से हार्ट से जुड़ी बीमारियों का रिस्क हो सकता है। इस लेख में डॉक्टर ने इसके कारण बताए हैं और साथ ही इसे मैनेज करने के तरीकों पर भी बात की है।

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प्रेग्नेंसी में हाई शुगर और बीपी से क्यों बढ़ता है भविष्य में हार्ट डिजीज का रिस्क? जानें डॉक्टर से


High Sugar and BP in Pregnancy: प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव होता है और साथ ही यह समय सेंसिटिव भी होता है, क्योंकि इस दौरान महिलाओं में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। इन बदलावों का कारण हार्मोन्स होते हैं, जिसकी वजह से कई बार महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज या जेस्टेशनल हाइपरटेंशन की समस्या भी हो जाती है। अक्सर महिलाएं सोचती हैं कि ये दोनों समस्याएं प्रेग्नेंसी तक ही सीमित रहती हैं, लेकिन हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि जेस्टेशनल डायबिटीज या जेस्टेशनल हाइपरटेंशन आगे चलकर हार्ट की बीमारियों (heart diseases) का कारण भी बन सकती है। इसके कारणों को जानने के लिए हमने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के कॉर्डियोथोरेसिक और कॉर्डियोवैस्कुलर सर्जरी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. वरुण बंसल (Dr. Varun Bansal, Senior Consultant, Cardiothoracic and Vascular Surgery, Indraprastha Apollo Hospitals, Delhi) से बात की।

प्रेग्नेंसी में हाई बीपी और शुगर से भविष्य में हार्ट हेल्थ का खतरा क्यों होता है?

डॉ. वरुण कहते हैं, “दरअसल, प्रेग्नेंसी में हाई बीपी महिलाओं के हार्ट ब्लड वेसल्स पर अतिरिक्त प्रेशर डालता है। अगर हाई बीपी और शुगर अनकंट्रोल्ड हो जाए, तो भ्रूण के दिमाग के विकास पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान दवाइयां लेनी पड़ती हैं। अगर समय पर दवाइयां या इलाज न कराया जाए, तो हाई बीपी के कारण बच्चे के विकास पर असर पड़ सकता है, जैसे कि IUGR (Intrauterine Growth Restriction) यानी कि गर्भ में शिशु का विकास रुक जाता है। हालांकि दवाइयों से प्रेग्नेंसी में हाई बीपी और शुगर कंट्रोल कर लिया जाता है, लेकिन डिलीवरी के बाद महिलाएं इस ओर ध्यान ही नहीं देतीं। इसलिए ये समस्याएं आगे चलकर हार्ट हेल्थ पर असर डालती हैं। मैं हमेशा महिलाओं को सलाह देता हूं कि जिन्हें जेस्टेशनल शुगर या बीपी की समस्या है, उन्हें डिलीवरी के बाद भी रेगुलर चेकअप कराते रहना चाहिए।”

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प्रेग्नेंसी के बाद किन महिलाओं को है ज्यादा रिस्क?

डॉ. वरुण ने बताया कि डिलीवरी के बाद इन महिलाओं को हार्ट की बीमारियों का रिस्क सबसे ज्यादा रहता है।

  • जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है।
  • जिनकी फैमिली हिस्ट्री में डायबिटीज या हार्ट डिजीज है।
  • जो महिलाएं फिजिकली बिल्कुल एक्टिव नहीं होतीं।
  • जिन महिलाओं को पीसीओडी (PCOD) जैसी हार्मोनल परेशानियां हैं।

जेस्टेशनल डायबिटीज और शुगर की हार्ट हेल्थ रिस्क से जुड़ी स्टडी

American Heart Association (AHA) की 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान शुगर या हाई बीपी की समस्या होती है, उनमें भविष्य में हार्ट की बीमारियों का रिस्क दो से तीन गुना तक बढ़ जाता है।

वहीं Lancet में साल 2021 में पब्लिश रिसर्च के अनुसार, जेस्टेशनल हाइपरटेंशन (Gestational Hypertension) वाली महिलाओं में भविष्य में हार्ट अटैक (Heart Attack) और स्ट्रोक का रिस्क 70% ज्यादा रहता है।

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प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं को क्या करना चाहिए?

डॉ. वरुण बंसल कहते हैं कि प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • रेगुलर चेकअप कराएं – प्रेग्नेंसी के बाद भी ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की रेगुलर जांच कराएं।
  • वजन कंट्रोल – प्रेग्नेंसी के बाद वजन को नॉर्मल लेकर आना जरूरी है।
  • रेगुलर कसरत – रोजाना हल्की कसरत, योग या तेज चलना हार्ट को हेल्दी रखता है।
  • बैलेंस्ड डाइट – कम तेल, कम नमक और ज्यादा फल-सब्जियां खाने से हार्ट की हेल्थ सही रहती है।
  • स्ट्रेस मैनेज करें - पूरी नींद लेना मेंटल हेल्थ को बैलेंस करने के लिए बहुत जरूरी है।
  • स्मोकिंग और शराब से दूरी - इन्हें बिल्कुल छोड़ने से हार्ट हेल्थ तुरंत रिकवर करना शुरू कर देता है।

निष्कर्ष

डॉ. वरुण कहते हैं कि प्रेग्नेंसी में हाई बीपी और शुगर को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इसके साथ महिलाओं को यह भी देखना चाहिए कि ये दोनों समस्याएं सिर्फ प्रेग्नेंसी तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि भविष्य में भी सेहत पर इसका असर पड़ता है। जेस्टेशनल डायबिटीज और हाइपरटेंशन होने के बाद महिलाओं को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए क्योंकि भविष्य में ये दोनों हार्ट की बीमारियों से जुड़ी हो सकती है। इसलिए समय पर जांच कराते रहना चाहिए और लाइफस्टाइल को हेल्दी रखना चाहिए।

FAQ

  • जेस्टेशनल डायबिटीज कब होती है?

    प्रेग्नेंसी के 24 से 28वें हफ्ते के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज होने का रिस्क रहता है। ज्यादातर महिलाओं में डिलीवरी के बाद यह परेशानी खत्म हो जाती है, लेकिन डॉक्टर सलाह देते हैं कि महिलाओं को डिलीवरी के बाद भी रेगुलर जांच कराते रहना चाहिए।
  • प्रेग्नेंसी में बीपी हाई हो जाए तो क्या करें?

    प्रेग्नेंसी में बीपी हाई को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें, तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर का इलाज कराना जरूरी है। महिलाओं को अपने लाइफस्टाइल में भी कुछ बदलाव करने चाहिए। खाने में पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर फूड्स लेने चाहिए। इस दौरान नमक और सोडियम कम से कम लें और डॉक्टर की बताई दवाइयां समय पर लें।
  • हार्ट पेशेंट का बीपी कितना होना चाहिए?

    हार्ट पेशेंट के बीपी की सही सीमा के लिए डॉक्टर से ही सलाह लें। वैसे आमतौर पर, 120/80 mmHg से कम ब्लड प्रेशर को सही माना जाता है। अगर किसी का ब्लड प्रेशर 130/80 mmHg या उससे अधिक रहता है, तो यह हाई ब्लड प्रेशर में आता है और अगर लगातार यह बीपी रहता है, तो यह हार्ट की हेल्थ के लिए रिस्की हो सकता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।

 

 

 

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  • Sep 22, 2025 18:58 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Sep 22, 2025 18:50 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Sep 22, 2025 18:49 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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