Pregnancy mein Heart Badhne ke Karan: प्रेग्नेंसी में महिलाओं में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं और इन बदलावों का कारण हार्मोंस होते हैं। इन्हीं में से एक बदलाव होता है हार्टबीट का तेज होना (Pregnancy mein heart beat badhna) और कई महिलाएं नोटिस करती हैं कि उनकी हार्ट बीट पहले से ज्यादा तेज हो गई है। कई बार वे इससे घबरा भी जाती हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में हार्ट बीट तेज होना नेचुरल प्रोसेस है लेकिन कुछ मामलों में ये चिंता की वजह भी हो सकता है। सबसे पहले तो यह जानना कि प्रेग्नेंसी में हार्ट बीट क्यों बढ़ती है और इसे महिलाएं कैसे कंट्रोल करें, इन सभी के बारे में जानने के लिए हमने कानपुर के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग की कंसल्टेंट डॉ. निखत सिद्दीकी(Dr. Nikhat Siddiqui, Obstetrics & Gynaecology, Consultant, Apollo Spectra Hospital, Kanpur) से बात की।
प्रेग्नेंसी में हार्ट बीट क्यों बढ़ती है?
डॉ. निखत काजमी कहती हैं, “प्रेग्नेंसी में महिलाओं का शरीर सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी काम करता है। शिशु को अतिरिक्त पोषण के साथ ऑक्सीजन भी चाहिए होती है। इस अतिरिक्त ऑक्सीसन के लिए हार्ट को ज्यादा पंप करना पड़ता है। इसलिए महिलाओं की हार्ट बीट काफी बढ़ जाती है।” इसके अलावा, ये भी कुछ खास कारण होते हैं।
- प्रेग्नेंसी में ब्लड वॉल्यूम 30-50% तक बढ़ जाता है।
- अतिरिक्त रक्त को पंप करने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
- हार्ट रेट 10-20 बीट्स प्रति मिनट तक बढ़ सकती है।
- प्रोजेस्टेरोन जैसे प्रेग्नेंसी हार्मोन भी दिल की धड़कन को प्रभावित करते हैं।
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क्या प्रेग्नेंसी में हार्ट बीट की स्थिति खतरनाक है?
डॉ. निखत कहती हैं कि वैसे तो ज्यादातर मामलों में यह पूरी तरह सामान्य और सुरक्षित है। लेकिन अगर हार्टबीट बढ़ने के साथ कुछ और भी लक्षण दिखें, तो तुरंत महिलाओं को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। कुछ महिलाओं को एनीमिया, थायरॉइड या हार्ट की डिसीज हो सकती है।
- चक्कर आना या सिर घूमना
- सांस फूलना या बार-बार हांफना
- सीने में दर्द या भारीपन
- बेहोशी या लगातार थकान
प्रेग्नेंसी में हार्ट बीट को कंट्रोल कैसे रखें?
डॉ. निखत ने प्रेग्नेंसी में हार्ट बीट कंट्रोल करने के लिए महिलाओं को लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करने चाहिए।
बैलेंस्ड डाइट लें
- खाने में ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, दालें और प्रोटीन को डाइट में शामिल करें।
- प्रचुर मात्रा में पानी पिएं। शरीर को हाइड्रेट रखें।
- चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक जैसे फूड्स अपनी डाइट में सीमित मात्रा में रखें।
हल्की फिजिकल एक्टिवटी करें
- सुबह-शाम हल्की वॉक
- प्रेग्नेंसी योगा और प्राणायाम करें
- हल्की स्ट्रेचिंग करने से स्ट्रेस कम होता है
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नींद पूरी करें
- दिन में छोटे-छोटे ब्रेक्स लेकर रिलैक्स करें।
- कम से कम 7से 8 घंटे की नींद लें।
- रात में पीठ के बल न लेटे क्योंकि इससे हार्ट पर प्रेशर पड़ता है, इसलिए करवट लेकर सोएं।
स्ट्रेस मैनेज करें
- प्रेग्नेंसी में मेडिटेशन करना या हल्का म्यूजिक सुनें।
- स्ट्रेस कम होने से हार्ट बीट कंट्रोल में रहती है।
डॉक्टर से रेगुलर चेकअप कराएं
- रेगुलर ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और थायरॉइड का टेस्ट कराते रहें।
- प्रेग्नेंसी की हर स्टेज पर डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
निष्कर्ष
डॉ. निखत कहती हैं कि अगर किसी महिला को बार-बार बेहोशी हो, धड़कन असामान्य से तेज हो या सांस लेने में दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। वैसे तो प्रेग्नेंसी में हार्ट बीट तेज होना आम है, क्योंकि शिशु की जरूरतों को पूरा करने के लिए शरीर को एक्स्ट्रा काम करना पड़ता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी डाइट और कसरत का ध्यान रखना चाहिए ताकि प्रेग्नेंसी बेहतर तरीके से पूरी हो सके।
FAQ
गर्भवती महिला के लिए खतरनाक हृदय गति क्या है?
प्रेग्नेंसी में 60 बीपीएम से कम हार्ट बीट (ब्रैडीकार्डिया) और 100 बीपीएम से ज्यादा हार्ट बीट (टैकीकार्डिया), दोनों को असामान्य माना जाता है।बेबी की हार्टबीट कब आती है?
बेबी की हार्ट बीट प्रेग्नेंसी के लगभग 5वें से 6वें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड से पता चलती है।गर्भावस्था के दौरान दिल की धड़कन के बारे में चिंता कब करें?
वैसे तो डिलीवरी के बाद यह समस्या ठीक हो जाती है, लेकिन अगर किसी को डिलीवरी के बाद भी हार्ट बीट तेज रहे और साथ ही सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या चक्कर आने लगे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।