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प्रेग्नेंसी में डायब‍िटीज हो जाए तो बाद में होता है Type 2 Diabetes होने का खतरा, डॉक्‍टर से जानें बचाव के उपाय

जेस्टेशनल डायबिटीज भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकती है। संतुलित आहार, एक्‍सरसाइज और ब्लड शुगर मॉनिटरिंग से बचाव संभव है।
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प्रेग्नेंसी में डायब‍िटीज हो जाए तो बाद में होता है Type 2 Diabetes होने का खतरा, डॉक्‍टर से जानें बचाव के उपाय

गर्भावस्था एक महिला के जीवन का खूबसूरत लेकिन चुनौतीपूर्ण दौर होता है। इस दौरान शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो ब्‍लड शुगर लेवल को भी प्रभावित कर सकते हैं। जब किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज होती है, तो इसे जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) कहा जाता है। यह स्थिति अस्थायी हो सकती है, लेकिन अगर इसे ठीक से कंट्रोल न किया जाए, तो भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है। शोध बताते हैं कि जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होती है, उनमें से लगभग 50 प्रत‍िशत मह‍िलाओं को आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा रहता है। यह स्थिति न केवल मां बल्कि शिशु के स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती है, जिससे भविष्य में बच्चे को मोटापा और डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, यह जरूरी है कि प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड शुगर को कंट्रोल रखा जाए और भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज से बचने के लिए सही जीवनशैली अपनाई जाए। आगे हम जानेंगे कि जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव के लिए कौन-कौन से असरदार उपाय अपनाने चाहिए। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के झलकारीबाई हॉस्‍प‍िटल की गाइनोकॉलोजि‍स्‍ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।

जेस्टेशनल डायबिटीज क्‍यों होती है?- Gestational Diabetes Cause

गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा (गर्भनाल) से कुछ ऐसे हार्मोन निकलते हैं, जो इंसुलिन के कार्य को बाधित कर सकते हैं। इससे शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने लगता है, जिससे जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा पैदा होता है। ज्‍यादा वजन होना, परिवार में डायबिटीज (Diabetes) का इतिहास, ज्‍यादा उम्र में गर्भधारण करना और अनहेल्दी डाइट इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।

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जेस्टेशनल डायबिटीज के बाद टाइप 2 डायबिटीज से बचने के उपाय- Type 2 Diabetes Prevention

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संतुलित आहार अपनाएं- Choose Healthy Diet

जेस्टेशनल डायबिटीज के बाद हेल्दी डाइट को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे हरी सब्जियां, साबुत अनाज, दलिया और मेवे खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। ज्‍यादा मीठे और प्रोसेस्ड फूड से बचें।

नियमित एक्‍सरसाइज करें- Do Regular Exercise

शारीरिक रूप से एक्‍ट‍िव रहने से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद म‍िलती है। रोजाना 30-45 मिनट तक हल्की एक्सरसाइज जैसे तेज चलना, योग या स्ट्रेचिंग करें। इससे शरीर में इंसुलिन का असर बढ़ता है और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है।

वजन संतुलित रखें- Control Your Weight

गर्भावस्था के बाद अतिरिक्त वजन को कम करना जरूरी है। ज्‍यादा वजन इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज की संभावना बढ़ती है। धीरे-धीरे वजन कम करने की कोशिश करें।

ब्लड शुगर की नियमित जांच करें- Check Your Blood Sugar Level

जेस्टेशनल डायबिटीज से प्रभावित महिलाओं को नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल मॉनिटर करना चाहिए। इससे किसी भी असामान्यता का जल्दी पता चल जाता है और टाइप 2 डायबिटीज को रोका जा सकता है।

अच्छी नींद लें और स्‍ट्रेस कम करें- Take Good Sleep and Reduce Stress

नींद की कमी और स्‍ट्रेस भी ब्लड शुगर को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। कम से कम 7-8 घंटे की गहरी नींद लें और ध्यान या मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

डॉक्टर की सलाह लेते रहें- Take Doctor's Advice

जेस्टेशनल डायबिटीज के बाद नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह लेती रहें। सही समय पर मेडिकल टेस्ट कराना और उनकी सलाह मानना जरूरी है। दवाओं का सेवन भी समय पर करें।

गर्भावस्था में डायबिटीज होने का मतलब यह नहीं है कि आपको आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज होगी, लेकिन सावधानी न बरतने से इसका खतरा बढ़ सकता है। इसल‍िए ऊपर बताए गए उपायों की मदद लें।

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