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हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में नॉर्मल डिलीवरी संभव है या सिजेरियन डिलीवरी ही होती है? डॉक्टर से जानें

High Risk Pregnancy Delivery Options: प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याएं अक्सर हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का कारण बनती है, जो महिलाओं के डिलीवरी विकल्पों को प्रभावित कर सकती हैं, आइए जानते हैं कैसे- 
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हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में नॉर्मल डिलीवरी संभव है या सिजेरियन डिलीवरी ही होती है? डॉक्टर से जानें


How Does A High Risk Pregnancy Affect Delivery Options in Hindi: आज के समय में महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसका असर कई बार उनकी प्रेग्नेंसी पर भी नजर आता है। ऐसे में कुछ महिलाओं को कंसीव करने में समस्या आती है, तो कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो कंसीव तो कर लेती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी का समय उनके लिए अन्य प्रेग्नेंट महिलाओं से ज्यादा मुश्किल होता है। इसलिए, कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान कई महिलाएं स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करती हैं, जिसका असर उनके स्वास्थ्य और भ्रूण पर भी पड़ सकता है। बता दें कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां या बच्चे के सामान्य से ज्यादा स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम होने पर हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में महिलाओं में नॉर्मल डिलीवरी की संभावना (High Risk Pregnancy Delivery Options) कम हो जाती है। तो आइए गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल की ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी की डायरेक्टर डॉ. आस्था दयाल से जानते हैं कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी डिलीवरी ऑप्शन पर कैसे असर डालती है?

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी डिलीवरी ऑप्शन को कैसे प्रभावित करती है? - How Does High-Risk Pregnancy Affect Delivery in Hindi?

डॉ. आस्था दयाल के अनुसार, "हाई रिस्क वाली प्रेग्नेंसी वास्तव में डिलीवरी के विकल्पों को प्रभावित कर सकती है, जिसमें

समय से पहले या लेबर इंडक्शन

हाई रिस्क वाली प्रेग्नेंसी में अक्सर भ्रूण को होने वाली समस्याएं, प्रीक्लेम्पसिया या प्लेसेंटल एब्डॉमिनल जैसी परेशानियों को रोकने के लिए समय से पहले डिलीवरी (Do high-risk pregnancies have to deliver early) का दर्द देने की जरूरत पड़ती है। इस चीज का फैसला मां के स्वास्थ्य और भ्रूण के विकास और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले जोखिम कारकों पर निर्भर करता है।

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सीजेरियन सेक्शन

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में नॉर्मल डिलीवरी हमेशा सुरक्षित नहीं हो सकती है। खासकर, प्रीक्लेम्पसिया, प्लेसेंटा प्रीविया या पहले सी-सेक्शन की हिस्ट्री जैसी स्थितियों वाली महिलाओं में। इसलिए, गर्भाश्य को नुकसान पहुंचने या भ्रूण को चोट लगने जैसे जोखिमों को कम करने के लिए सी-सेक्शन (Does high-risk pregnancy mean C-section) करने की जरूरत हो सकती है।

अन्य समस्याएं

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से पीड़ित महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं के समय से पहले या कम वजन के साथ जन्म लेने की संभवान ज्यादा होती है। इसलिए, इन शिशुओं को NICU में भर्ती कराया जाता है। इतना ही नहीं, ज्यादा ब्लीडिंग, इंफेक्शन या लंबे समय तक दर्द जैसी स्थितियां हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में काफी आम है, इसलिए, इन महिलाओं को डिलीवरी के बाद सही देखभाल की जरूरत होती है। 

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High Risk Pregnancy

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी कैसे मैनेज करें? - How To Manage High Risk Pregnancy in Hindi?

  • हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वाली महिलां को अपनी स्थिति में किसी भी तरह के बदलाव को ट्रैक करना जरूरी है, जिसमें ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर लेवल और भ्रूण के विकास शामिल है। अगर इन चीजों में आपको बदलाव नजर आए तो डॉक्टर से कंसल्ट करें।
  • महिला की स्थिति के आधार पर, महिलाओं को सही देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में जरूरी है कि उनके आसपास पॉजिटिव माहौल बनाया जाए।
  • हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से पीड़ित महिलाओं को संतुलित आहार बनाए रखने, डॉक्टर की सलाह पर एक्टिव रहने, और तनाव को मैनेज करना जरूरी है।
  • हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से पीड़ित महिलाओं को अपने ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल आदि को कंट्रोल रखने और इन पर निगरानी रखने की जरूरत है, ताकि किसी भी तरह के जोखिम को कम किया जा सके।

निष्कर्ष

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का असर अक्सर महिलाओं के डिलीवरी के तरीके को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि महिला और भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य के अनुसार, ही सीजेरियन या लेबर इंडक्शन की मदद से डिलीवरी का तरीका तय किया जाता है। इसलिए, अगर आप या कोई और हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का सामना कर रही हैं, तो जरूरी है कि आप अपने खानपान और स्वास्थ्य का खास ध्यान दें, और सेहत में नजर आने वाले किसी भी तरह के बदलाव को अनदेखा करने के स्थान पर तुरंत अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।
Image Credit: Freepik

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