
प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के जीवन के सबसे सुखद और अलग अनुभव वाला पल होता है। प्रेग्नेंसी सामान्य रूप से एक नेचुरल प्रक्रिया है। हर महिला अपने जीवन में इस सुखद पल का अनुभव करती हैं, लेकिन सभी का एक्सपीरियंस अलग-अलग होता है। कुछ महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी काफी रिस्की हो सकती है। ऐसी गर्भावस्था को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के रूप में जाना जाता है। इसमें मां या बच्चे को प्रेग्नेंसी, डिलीवरी या डिलीवरी के बाद कई तरह की समस्याओं की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का जोखिम किन महिलाओं को ज्यादा होता है? आइए आज के इस लेख में हम दिल्ली के आनंद निकेतन में स्थित गायनिका: एवरी वुमन मैटर क्लीनिक की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन (Dr. (Col.) Gunjan Malhotra Sarin, Senior Consultant, Obstetrics and Gynecologist, Gynecology: Every Woman Matters Clinic, located in Anand Niketan, Delhi) से जानते हैं?
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हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा किसे होता है?
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन के अनुसार, हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का जोखिम कई महिलाओं को ज्यादा होता है, जिनमें:
1. उम्र से जुड़ा जोखिम
महिला की उम्र प्रेग्नेंसी के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा सकती है। 18 साल से कम उम्र में प्रेग्नेंट होने पर लड़कियों का शरीर पूरी तरह विकसित नहीं होता है, जिसके कारण एनीमिया, हाई बीपी और समय से पहले डिलीवरी का जोखिम बढ़ जाता है। वहीं 35 के बाद ज्यादा उम्र होने के कारम महिलाओं में डायबिटीज, हाई बीपी और गर्भपात की संभावना ज्यादा होती है। इस उम्र में कंसीव करने पर नियमित जांच होनी बहुत जरूरी होती है।
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2. पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं
कंसीव करने से पहले स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, थायराइड, दिल की बीमारी, किडनी या लिवर से जुड़ी समस्याएं होने पर हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। ये बीमारियां प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़ सकती हैं और मां वे भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।
3. पिछली गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं
अगर किसी महिला को पहले से ही प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्या रही हो तो अगली प्रेग्नेंसी भी हाई रिस्क मानी जा सकती है। बार-बार मिसकैरेज, समय से पहले बच्चे का जन्म या मृत शिशु का जन्म और ज्यादा ब्लीडिंग जैसी स्थितियां होने पर डॉक्टर पहले ही खास सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।

4. पोषण और शारीरिक स्थिति
एनीमिया से पीड़ित महिलाओं में थकान, इंफेक्शन और प्रसव के समय समस्या होने का जोखिम ज्यादा रहता है। ज्यादा कम वजन या बहुत ज्यादा वजन भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का कारण बन सकता है। मोटापे के कारण डायबिटीज, हाई बीपी और सिजेरियन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है। पोषक तत्वों की कमी प्रेग्नेंसी में कई समस्याओं का कारण बन सकती है।
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5. लाइफस्टाइल से जुड़े कारण
लाइफस्टाइल से जुड़े कुछ कारण हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिसमें स्मोकिंग, शराब या नशीले पदार्थों का सेवन, ज्यादा तनाव, सही से आराम न करना और नींद की कमी शामिल हैं। लाइफस्टाइल से जुड़े ये कारक प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
निष्कर्ष
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का मतलब यह नहीं है कि आप डरकर रहे, बल्कि ये सतर्कता के साथ रहने की जरूरत को दिखाता है। इसलिए, अगर आपको हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की संभावना है तो नियमित रूप से डॉक्टर से जांच करवाएं, संतुलित आहार लें, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और किसी भी तरह की समस्या होने पर बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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हाई रिस्क प्रेगनेंसी में डिलीवरी कब होती है?
हाई रिर्स प्रेग्नेंसी में डिलीवरी का समय महिला के स्वास्थ्य और स्थिति पर निर्भर करता है, लेकिन अक्सर डॉक्टर जोखिम को कम करने के लिए 37वें हफ्ते से पहले या 39वें हफ्ते के आसपास डिलीवरी करवाने की सलाह देते हैं।
हाई रिस्क गर्भावस्था के क्या लक्षण हैं?
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के लक्षणों में अचानक चेहरे या हाथों में सूजन, तेज सिरदर्द, धुंधला दिखना, योनि से ब्लीडिंग, पेट में तेज दर्द, सांस लेने में तकलीफ और भ्रूण की हलचल में कमी आदि शामिल हैं।
प्रेग्नेंसी में हाई रिस्क क्यों होता है?
प्रेग्नेंसी में हाई रिस्क इसलिए होता है क्योंकि मां या भ्रूण के लिए सामान्य से ज्यादा समस्याएं हो सकती हैं, जो उम्र, पहले से होने वाली बीमारी, लाइफस्टाइल, डाइट आदि कारणों से हो सकती हैं।
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Dec 23, 2025 11:21 IST
Published By : Katyayani Tiwari